रांची। तीसरे चरण में 17 सीटों पर गुरुवार को हुए मतदान के साथ राज्य की 50 सीटों पर चुनाव निबट गये। यानी चुनावी पिच पर झारखंड ने हाफ सेंचुरी पूरी कर ली है। निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार तीसरे चरण में कुल 62. 35 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
सबसे ज्यादा सिल्ली में 76.98 फीसदी और सबसे कम रांची में 49.10 फीसदी मतदान हुआ। तीसरे फेज के चुनाव में 12 सीटों पर तीन बजे तक और पांच सीटों पर शाम पांच बजे तक वोटिंग हुई। इस चरण में झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो समेत 309 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस चरण में महिला उम्मीदवारों की संख्या 32 है। इस चरण में भी ग्रामीणों में उत्साह दिखा। ग्रामीण क्षेत्रों में लंबी-लंबी कतारें नजर आयीं। वहीं, शहरी क्षेत्रों में मतदाता पहले की तरह बूथ से दूर रहे। तीसरे चरण में 12 सीटों पर सिल्ली, खिजरी, कोडरमा, बरही, बड़कागांव, मांडू, हजारीबाग, सिमरिया, धनवार, गोमिया, बेरमो एवं ईचागढ़ में सुबह सात बजे से तीसरे पहर तीन बजे तक मतदान हुआ। वहीं, पांच सीटों रांची, हटिया, कांके, रामगढ़ और बरकट्ठा में शाम पांच बजे तक वोट डाले गये। 2014 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 64.02 प्रतिशत वोटिंग रिकॉर्ड की गयी थी।
आम और खास ने डाला वोट
तीसरे चरण के मतदान के दौरान आम और खास सभी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र रहे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेद्र सिंह धोनी। वह पत्नी साक्षी के संग मतदान करने दिल्ली से रांची पहुंचे थे। दोपहर करीब तीन बजे धोनी ने जेवीएम श्यामली में बने बूथ पर परिवार के साथ मतदान किया। वहीं, आजसू प्रमुख सुदेश कुमार महतो ने परिवार संग सिल्ली में मतदान किया। उधर, झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने सुबह-सुबह अपने गांव कोदईबांक में मतदान किया। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने सुबह 10.30 बजे रांची में मतदान किया।
मतदान केंद्रों पर सेल्फी जोन बनाये गये
तीसरे चरण में मतदाता उत्साहित नजर आये। उन्होंने खुद तो मतदान किया ही, लोगों को भी इस ओर जागरूक करते रहे। कई मतदान केंद्रों पर सेल्फी जोन बनाये गये थे, जहां मतदाता अपने द्वारा मतदान करने के बाद सेल्फी लेते दिखे। सोशल मीडिया पर उन्होंने अपने फोटो पोस्ट किये। इस काम में पहली बार वोट डालनेवाले मतदाता आगे रहे।
जागरूक मतदाता सम्मान पत्र दिया गया
जागरूक मतदाता को सम्मानित करते हुए कई मतदान केंद्रों पर सबसे पहले आकर वोट देनेवालों को प्रशासन द्वारा जागरूक मतदाता सम्मान पत्र भी दिया गया। पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय को भी इस सम्मान से नवाजा गया। उन्होंने हटिया विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 373 पर सबसे पहले मतदान किया।
सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था
तीसरे चरण में भी सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गयी थी। कई क्षेत्र नक्सल प्रभावित तथा हजारों बूथ संवेदनशील और अतिसंवेदनशील थे। इसे ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किये गये थे।
पिछले दो चरणों में 33 सीटों पर मतदान हो चुके हैं
पिछले दो चरणों में झारखंड विधानसभा की कुल 33 सीटों पर मतदान हो चुके हैं। पहले चरण का मतदान 30 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान सात दिसंबर को संपन्न हुआ था। चुनाव का चौथा चरण 16 दिसंबर को और पांचवां चरण 20 दिसंबर को होगा।
पहले मतदान, फिर विदाई
इटखोरी निवासी सुरभि सौरभ की शादी देर रात बिहार के पंकज सहाय से हुई। शादी के बाद बेटी विदा होने से पहले मतदान केंद्र पहुंची और विकास के नाम पर वोट देकर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल किया। उसके पति पंकज भी उसे मतदान कराने केंद्र पहुंचे थे। इस दौरान नयी नवेली दुल्हन सुरभि ने न सिर्फ मतदान किया, बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया और लोगों से मतदान करने की अपील की।
पहले मतदान, फिर विवाह
इसी तरह बोकारो के बेरमो में कुरपनिया निवासी सत्येंद्र शर्मा के पुत्र सत्यम शर्मा ने शादी के जोड़े में ही बूथ संख्या 70, जो कुरपनिया के संत अन्ना बालिका उच्च विद्यालय में था, अपनी पत्नी के साथ मतदान करने पहुंचे और कहा कि पहले मतदान, बाद में वैवाहिक रस्म।
दुर्दांत नक्सली महाराज प्रमाणिक के परिजनों ने डाला वोट
वोट बहिष्कार के लिए लोगों को धमकानेवाले कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक को उसके ही घर के लोगों ने करारा जवाब दिया है। विधानसभा चुनाव के तहत तीसरे चरण में गुरुवार को ईचागढ़ के दारुदा गांव में उसके माता और पिता ने मतदान किया। दारुदा हार्डकोर नक्सली महाराज प्रमाणिक का गांव है। उसके माता-पिता ने सिर्फ वोट ही नहीं डाला, बल्कि उन्होंने आम लोगों से लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। कहा कि चुनाव के बिना लोकतंत्र अधूरा है। एक ओर अलगाववाद के रास्ते पर चल रहे हार्डकोर नक्सली महाराज प्रमाणिक के दस्ते ने वोट बहिष्कार का फरमान जारी किया था। वहीं, उसके माता-पिता ने इस फरमान को धता बताया।