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    Home»Top Story»बदल गयी झारखंड की राजनीतिक फिजां
    Top Story

    बदल गयी झारखंड की राजनीतिक फिजां

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 30, 2019Updated:December 30, 2019No Comments3 Mins Read
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    अजय शर्मा
    रांची। एक लंबे अंतराल के बाद झारखंड की राजनीतिक फिजां रविवार को उस वक्त बदल गयी, जब घड़ी की सुइयों ने दोपहर दो बजकर 21 मिनट बजाये। यही वो पल था, जब मोरहाबादी में आयोजित समारोह में हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। मोरहाबादी मैदान खचाखच भरा था। लोग दूर-दराज से आये हुए थे। ऐसा लग रहा था मानो इस बदलाव का इंतजार यहां के लोग लंबे अरसे से कर रहे थे। हेमंत सोरेन ने जैसे ही शपथ ली, सड़क पर पटाखे फूटने लगे।
    हेमंत कुर्ता, पायजामा और बंडी पहन कर पहुंचे थे। खास मौके पर वह यही ड्रेस पहनते हैं। हेमंत जब मंच पर आये, तो इससे पहले पहली कतार में उनके पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन और उनकी मां रूपी सोरेन पहले से विराजमान थीं। सबसे पहले हेमंत ने दोनों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह हेमंत के अंदर कूट-कूट कर भरे संस्कार को दिखाता है।

    सीएम तो हेमंत इससे पहले भी रह चुके हैं, लेकिन उस समय के सीएम के रूप में हेमंत और रविवार को बने सीएम के रूप में हेमंत में भारी अंतर दिखा। इस बार हेमंत को अपार जन समर्थन मिला है। शपथ लेने के पहले ही उन्होंने जता दिया है कि इस बार सरकार बड़े फैसले लेगी। हेमंत ने मंच से जब हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया, तो भारी भीड़ उसी अंदाज में जवाब भी दे रही थी। मोरहाबादी मैदान में उपस्थित लोगों को लग रहा था कि झारखंड का, झारखंड के लिए और झारखंड की सरकार बनी है।

    जैसे-जैसे मेहमान पहुंच रहे थे, चाहे वह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों, कांग्रेस के राहुल गांधी हों, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, या फिर राजद के तेजस्वी यादव, हेमंत सबों का स्वागत कर रहे थे। स्वागत करने का अंदाज ऐसा था मानो कह रहे हों कि आपलोगों ने जो भरोसा जताया है, मैं उस पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा। सही मायने में रविवार को हुए नयी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह ने झारखंड की राजनीति में लंबी लकीर खींच दी है। यह बताया है कि विपक्षी अब एकजुट हो गये हैं। बड़ी उलटफेर की माद्दा भी रखते हैं।

    भीड़ की आशा उत्सुकता के प्रति प्रतिबद्धता भी दिखी।हेमंत सोरेन से आदिवासियों को बड़ी उम्मीदें हैं। झारखंड की 28 आदिवासी सीटों में से 25 सीटों पर मिली महागठबंधन की जीत का निहितार्थ ेयही है। लंबे अंतराल तक झारखंड में भाजपा और उसके सहयोगी दल शासन में रहे। हेमंत और उनकी टीम ने शहरों में भी भाजपा का वर्चस्व तोड़ा और झारखंड की राजनीतिक फिजा ही बदल दी। राजनीतिक पंडितों को भी भरोसा नहीं था कि जेएमएम और गठबंधन की इंट्री इस बार के विधानसभा चुनाव में इतनी शानदार तरीके से होगी।

    The political mind of Jharkhand has changed
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