अजय शर्मा
रांची (आजाद सिपाही)। झारखंड के चर्चित फर्जी गांजा कांड में बड़ा खुलासा हुआ है। धनबाद के निरसा मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। गोड्डा के महागामा में इसी से जुड़े मामले की जांच चल रही है। पुलिस ने जो जांच में पाया है, उसके मुताबिक महागामा के थाना प्रभारी योगदान के पहले ही आरोपी का बयान दर्ज चुके थे। इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी संजय साव और कांड के अनुसंधानक के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है। वहीं, तत्कालीन एसपी की फाइल पुलिस मुख्यालय में पड़ी हुई है। झारखंड पुलिस की इस कार्रवाई से पूरे महकमे की छवि धूमिल हुई है।
क्या है मामला
निरसा थाना में जो मामला दर्ज हुआ था, उसमें इसीएलकर्मी चिरंजीत घोष को आरोपी बनाया गया था। उसे बड़ा तस्कर बताते हुए धनबाद पुलिस ने जेल भेज दिया था। जांच में चिरंजीत निर्दोष पाया गया। इस मामले में पुलिस के कई अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। इसी से जुड़ा मामला गोड्डा के महागामा थाना में भी दर्ज हुआ था। गोड्डा थाना प्रभारी दो सितंबर को सदर थाना से योगदान करने गये थे। गोड्डा के सदर थाना से उनकी रवानगी का समय दो बजे दिन का है। वहां मो रफीक नामक एक आरोपी गांजा तस्कर को पकड़ा गया था। उसका बयान एक सितंबर 2019 की तिथि में दर्ज किया गया है। इससे साफ है कि योगदान के पहले ही थाना प्रभारी ने बयान लिया था। इसे प्लांटेड माना जा रहा है। इस कांड में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में भी चिरंजीत घोष को लपेटा गया था। इस मामले में पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है।

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