रांची। राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार केवल ‘सूखा’ धान ही खरीदेगी। उन्होंने एक दिसंबर से राज्य में शुरू की गयी धान की सरकारी खरीद की प्रक्रिया में लगे अधिकारियों से कहा है कि वे किसानों को यह बात समझायें। बता दें कि झारखंड सरकार ने इस साल किसानों को धान की प्रति क्विंटल खरीद पर 183 रुपये की दर से बोनस देने का फैसला किया है। डॉ उरांव ने कहा है कि गीला धान खरीदने से खजाने को प्रति क्विंटल 102 रुपये 50 पैसे का नुकसान होगा। यह सरकारी खजाने के साथ बेइमानी करने जैसा होगा। मंत्री के इस निर्देश के बाद किसान पसोपेश में हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि जिस धान को वे सरकारी क्रय केंद्रों पर बेचने के लिए बोरे में बंद कर चुके हैं, उन्हें दोबारा सूखने के लिए कहां रखें।
डॉ उरांव ने कहा कि अभी तक बिहार में धान की बिक्री शुरू नहीं हुई है। झारखंड के साथ बिहार में धान की कटनी देर से शुरू होती है। पंजाब-हरियाणा की बात और है। वहां एक महीने पहले ही धान की कटाई शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा, मैं किसान का बेटा हूं। मुझे पता है कि धान कब कटता है और कब सूखता है। अभी गांवों में धनकटनी शुरू हुई है। उसे सूखने में 15 दिन लगेंगे। धान अभी पूरी तरह से गीला है। उन्होंने कहा कि इस वक्त यदि धान की खरीद की जाती है, तो सूखने के बाद यह प्रति क्विंटल में पांच किलो कम हो जायेगा। बता दें कि झारखंड सरकार के खाद्य व आपूर्ति विभाग ने वर्ष 2020-21 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1868 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। साथ ही 183 रुपये के बोनस की भी घोषणा की गयी है। कुल मिलाकर किसानों को एक क्विंटल धान के बदले 2050 रुपये मिलेंगे।
डॉ उरांव ने कहा कि झारखंड में धान की सरकारी खरीद 15 फरवरी तक जारी रहेगी, जबकि दूसरे राज्यों में यह 31 दिसंबर तक ही होगी। इसलिए राज्य के किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिनका धान नहीं सूखा है, वे थोड़ा इंतजार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार झारखंड के किसानों के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठायेगी।
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