अजय शर्मा
रांची (आजाद सिपाही)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार की पहली वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में साफ संकेत दिया कि वह दूसरों से एकदम अलग हैं। मंगलवार को मोरहाबादी मैदान में आयोजित समारोह तो सरकारी था, लेकिन तामझाम बिल्कुल नहीं। सिर्फ जरूरी लोगों को ही बुलाया गया था। मौके पर अपने संबोधन में सीएम ने अगले चार साल की अपनी कार्ययोजना का साफ संकेत दिया। राज्य की दशा और दिशा बदलने के लिए अपने ब्लू प्रिंट का खाका खींचा। उनका कहना था कि अधिकारी अगर थोड़ी मेहनत करेंगे, तो झारखंड आत्मनिर्भर बन जायेगा। उसे दिल्ली की ओर नहीं देखना पड़ेगा। पिछले एक साल में हेमंत आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में उभरे हैं। मौके पर सौगातों की बारिश करने के बाद मुख्यमंत्री ने उनका आभार जताया, जिन्होंने उन्हें इस कुर्सी पर पहुंचाया है। आदिवासियों के हित की बात करने से भी वह नहीं चूके। ट्राइबल यूनिवर्सिटी इसी की एक कड़ी है। इसी रफ्तार से अगर गठबंधन की सरकार काम करती रही, तो कभी सरप्लस बजट वाला यह राज्य फिर सरप्लस हो सकता है।

अबुआ राज का अभी एक साल हुआ है। हेमंत ने इस अल्प कार्यकाल में एक लंबी लकीर खींच दी है। कम अवधि में उन्होंने बता दिया कि राज्यहित में कैसे काम किया जाता है। अपने संबोधन में वह यह बताने से नहीं चूके कि जब सत्ता की कमान उनके पास आयी थी, तब खाली खजाने की चाबी उनके हाथ में थी। पूर्व की सरकारों को इसके लिए दोषी माना जाता था। यह भी कहा कि पहले की सरकारों के पास विकास का कोई ब्लू प्रिंट नहीं था। अब इसकी रूपरेखा तय कर ली गयी है। वह कोरोना काल में नायक के रूप में उभरे। उनकी आवाज दूर तलक गयी। उन्होंने बता दिया कि वेंटिलेटर विहीन सरकारी अस्पतालों में किस तरह से इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कोरोना काल के दौरान गरीबों को खाना खिलानेवाली गरीब महिलाओं को सैल्यूट भी किया। सीएम के संबोधन से यह संकेत गया है कि वह अगले चार साल में राज्यहित में कई और बड़े फैसले ले सकते हैं। इसमें गरीबों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय हो सकता है। यह निर्णय अभी हो गया होता, यदि खजाने में पैसा उपलब्ध होता।

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