20 साल के युवा झारखंड की जब देश-दुनिया में चर्चा होती है, तो इसके गर्भ में छिपे खनिज पदार्थों के अकूत भंडार का जिक्र जरूर होता है। कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट और तांबा से लेकर यूरेनियम तक झारखंड की धरती से निकलता है और यही कारण है कि यह प्रदेश दुनिया भर की कंपनियों की निगाह में हमेशा बना रहता है। खनिजों के यह भंडार राज्य के लिए कभी-कभी अभिशाप भी बनने लगता है। झारखंड की प्राकृतिक खूबसूरती और यहां के मूल निवासियों की संस्कृति को खनिजों की लालच में बेदर्दी से मिटाने का हरसंभव प्रयास किया जाता है। कई कंपनियां झारखंड के हितों को दरकिनार कर केवल मुनाफे के लिए हर किस्म के उपाय करती हैं। अनैतिक तरीकों से खनिजों का अंधाधुंध दोहन कर मुनाफा कमाना उनका एकमात्र उद्देश्य होता है। ऐसी ही एक कंपनी है शाह ब्रदर्स, जिसका मुख्य कार्यालय चाईबासा में है। यह कंपनी हाल के दिनों में सुर्खियों में है, क्योंकि इस पर सारंडा में लौह अयस्क के खनन के दौरान कई खेल करने के आरोप लगे हैं। झारखंड में खनन घोटाले को सामने लानेवाले विधायक सरयू राय के साथ राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा तक ने शाह ब्रदर्स द्वारा गड़बड़ी और घोटाला करने का आरोप लगाया है। कहने का मतलब यह है कि शाह ब्रदर्स पिछले 20 साल से झारखंड में खनन के केंद्र में रहने के साथ-साथ चर्चा के केंद्र में भी बनी हुई है। सरकार चाहे किसी की भी हो, यह कंपनी हमेशा अपने लक्ष्य की प्राप्ति में जुटी रही। आखिर क्या है शाह ब्रदर्स और क्यों है इसका इतना रसूख, इन सवालों के जवाब तलाशती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
झारखंड के कोल्हान प्रमंडल का मुख्यालय चाईबासा सारंडा के घने जंगलों और लौह अयस्क के लिए पूरी दुनिया में चर्चित है। इसके अलावा नक्सलियों के गढ़ के रूप में भी इसकी पहचान है। झारखंड बनने के बाद नक्सलियों ने इस इलाके को अपना अड्डा बना लिया और बिटिकल सोय में मुठभेड़ के बाद तो यहां नक्सलियों का राज स्थापित हो गया। लेकिन नक्सलियों के अलावा एक और कारण से सारंडा दुनिया की निगाहों में शामिल हुआ और वह कारण था यहां का लौह अयस्क का भंडार। सारंडा में लौह अयस्क के खनन में कई कंपनियां लगी हुई थीं, लेकिन झारखंड बनने के बाद जिस एक कंपनी की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह है शाह ब्रदर्स। चाईबासा के सदर बाजार में स्थित इस पार्टनरशिप फर्म के कई साझीदार हैं। चाईबासा के यूरोपियन क्वार्टर्स इलाके में रहनेवाले राजकुमार शाह इसके एक साझीदार हैं। कंपनी 1931 के पार्टनरशिप कानून के प्रावधानों के तहत निबंधित है। यही शाह ब्रदर्स कंपनी पिछले 20 साल से झारखंड में लौह अयस्क खनन के क्षेत्र में अपने कारनामों के कारण हमेशा चर्चा में रही है।
हाल ही में शाह ब्रदर्स का नाम एक बार फिर चर्चा में उस समय आया, जब इस कंपनी द्वारा सरकार के खान विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर चार सौ करोड़ रुपये के लौह अयस्क को बेच देने का आरोप लगाया गया। यह आरोप राज्य में खनन घोटाले को सामने लानेवाले विधायक सरयू राय के साथ राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, बाबूलाल मरांडी और मधु कोड़ा ने लगाया। सबसे दिलचस्प यह है कि तमाम आरोपों के बावजूद न तो शाह ब्रदर्स की सेहत पर कोई असर पड़ा और न ही सारंडा के इलाके से लौह अयस्क के अवैध खनन पर ही रोक लग सकी है।
सारंडा के इलाके में लौह अयस्क खनन के कारोबार में कुल 54 कंपनियां लगी हुई हैं। इनमें कुछ कंपनियों के पास अपनी खदान है, तो शाह ब्रदर्स जैसी कंपनियों को खनन कर उनका कारोबार करने के लिए खनन पट्टा मिला हुआ था। इसी साल इन खनन पट्टों को रद्द कर दिया गया। इसके बावजूद इस इलाके में लौह अयस्क का खनन बदस्तूर जारी है। जाहिर है, यह पूरा कारोबार गैर-कानूनी है और खान विभाग की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है।
शाह ब्रदर्स का खेल यहीं से शुरू होता है। उसका खनन पट्टा रद्द होने के बावजूद वह सारंडा के उन इलाकों में लौह अयस्क का बेरोक-टोक खनन कर रहा है, जहां सरकारी अमला पहुंचने की सोच भी नहीं सकता। सरकारी नियमों को ताक पर रख कर यह काम चल रहा है। खनन कर निकाले गये लौह अयस्क को चोरी-छिपे खुले बाजार में बेच दिया जाता है। जिस तरह धनबाद और हजारीबाग-रामगढ़ के इलाके से कोयले की तस्करी का कारोबार चल रहा है, उसी तरह चाईबासा से हर दिन सैकड़ों ट्रक लौह अयस्क पड़ोसी राज्यों तक जाते हैं। हाल में शाह ब्रदर्स के खिलाफ जो आरोप लगे हैं, उसमें कहा गया है कि कंपनी ने खनन पट्टा रद्द होने के बाद पांच लाख टन से अधिक का लौह अयस्क गलत तरीके से बेच दिया है। आरोप है कि खनन पट्टा रद्द होने के समय कंपनी के पास 3.60 लाख टन लौह अयस्क का स्टॉक बचा हुआ था, लेकिन इसने अपने रसूख के बल पर 5.70 लाख टन लौह अयस्क की बिक्री की अनुमति हासिल कर ली और इस तरह उसने राज्य सरकार को चार सौ करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। इतना ही नहीं, इस कंपनी पर नोवामुंडा के करमपदा इलाके में अनुमति से अधिक जमीन पर खनन करने और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने का आरोप भी है।
यहां सवाल यह है कि आखिर शाह ब्रदर्स हर सरकार में अपनी पैठ कैसे बना लेता है। इस कंपनी के पीछे कौन सी ताकत है। इन सवालों का जवाब आसान नहीं है। शाह ब्रदर्स के प्रमोटरों के राजनीतिक कनेक्शन किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे में अब झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर लोगों की निगाहें हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले एक साल में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के खिलाफ जो सख्त रवैया अख्तियार किया है, उससे यह उम्मीद तो बनती ही है कि शाह ब्रदर्स के खिलाफ भी सरकार कदम उठायेगी। झारखंड के लोगों को इस बात का भी यकीन है कि जिस दिन शाह ब्रदर्स के कारनामों की जांच होगी, कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे और झारखंड के माथे पर लगा ‘भ्रष्ट प्रदेश’ का दाग जरूर साफ होगा।