सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में बन रही मस्ज़िद के ट्रस्ट इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन में सरकारी प्रतिनिधि को भी रखने की मांग को खारिज कर दिया है। याचिका में कहा गया था कि पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारियों की हालिया बयानबाजी को देखते हुए चाहे सदस्य मुस्लिम ही हो लेकिन वो सरकारी नुमाइंदे के तौर पर ट्रस्ट में रहें।

याचिका वकील करुणेश शुक्ला ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विष्णु जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के 9 नवम्बर, 2019 के फैसले और वक्फ एक्ट के मुताबिक भी सर्व धर्म समभाव यानी सेक्युलर कार्यों के लिए सरकार अपना प्रतिनिधित्व निश्चित कर सकती है। याचिका में कहा गया था कि मंदिर की तरह मस्ज़िद के ट्रस्ट में भी सरकारी नुमाइंदे हों, जो सुन्नी मुस्लिम हों। इससे ट्रस्ट और वहां आने वालों की गतिविधि पर सरकार की नजर रहेगी और शांति सुनिश्चित होगी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए एक भूखंड आवंटित किया है। इस पर मस्जिद और दूसरी सुविधाओं के निर्माण के लिए 15 सदस्यीय एक ट्रस्ट इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन बनाया है।

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