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    Home»Jharkhand Top News»क्या बंगाल में ममता का दुर्ग भेद पायेंगे अमित शाह?
    Jharkhand Top News

    क्या बंगाल में ममता का दुर्ग भेद पायेंगे अमित शाह?

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 22, 2020Updated:December 22, 2020No Comments6 Mins Read
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    राजनीति में बाहुबली वही होता है, जिसके इशारे पर सत्ता कदमताल करती हो और पश्चिम बंगाल में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा भी यहां बाहुबली होने का ख्वाब देख रही है। भाजपा ने बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 200 पर जीत का दावा करके राजनीति गरमा दी है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए अमित शाह समेत भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने यहां पूरी ताकत झोंक रखी है। वहीं ममता बनर्जी भाजपा की इस आक्रामक रणनीति के जवाब में अपने गढ़ को मजबूत रखने में जुटी हुई हैं। उन्हें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी टीम पर भरोसा है। ममता को भरोसा संघर्ष की अपनी ताकत पर भी है। पर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनौती एक नहीं दोहरी है, क्योंकि एक ओर तो उन्हें पार्टी को टूट से बचाना है, वहीं दूसरी ओर चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन करना है। पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को देखते हुए यह आसान काम नहीं है। पश्चिम बंगाल में ममता का दुर्ग भेदने की भाजपा की कोशिशों और उसके जवाब में ममता बनर्जी की भाजपा की बंगाल विजय की राह रोकने की कोशिशों की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    चुनाव आते-आते ममता बनर्जी अकेली रह जायेंगी। गृह मंत्री अमित शाह का यह बयान केवल एक बयान नहीं, बल्कि भाजपा की उस रणनीति का एक हिस्सा है, जिसे बंगाल में अमली जामा पहनाने में पार्टी जुटी हुई है। इसकी एक झलक 19 दिसंबर को तब मिली जब मेदिनीपुर कॉलेज ग्राउंड मेें आयोजित एक सभा में दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी समेत दस विधायकों और एक सांसद ने भाजपा का दामन थाम लिया। इन विधायकों में तृणमूल के सात, माकपा, भाकपा और कांग्रेस के एक-एक विधायक शामिल हैं। इस सभा में अमित शाह ने शुभेंदु अधिकारी को भाजपा का झंडा थमाया और कहा कि विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा की ही सरकार बनेगी। ममता बनर्जी भाजपा पर दलबदल का आरोप लगाती हैं, लेकिन तृणमूल तो खुद कांग्रेस से टूट कर बनी है। वहीं भाजपा में गये शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा में वह कार्यकर्ता के रूप में आये हैं और पार्टी उन्हें दीवार लेखन के लिए भी कहेगी तो वह भी वे करेंगे। अमित शाह की बंगाल विजय की रणनीति की दूसरी झलक तब मिली, जब 20 दिसंबर को बोलपुर में किये गये उनके रोड शो में जनसैलाब उमड़ पड़ा। यहां हुंकार भरते हुए अमित शाह ने कहा कि बंगाल का धरतीपुत्र ही यहां का मुख्यमंत्री बनेगा। इस बार बंगाल में कमल ही खिलेगा। पांच साल में सोनार बांग्ला बनाकर दिखायेंगे। बोलपुर के डाक बंग्ला मोड़ से चौरास्ता तक की करीब डेढ़ किलोमीटर के फासले को अमित शाह ने रोड शो के जरिये तय किया। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि ऐसा रोड शो नहीं देखा। यह परिवर्तन का आगाज है। इस रोड शो में हिस्सा लेने के बाद अपना दो दिवसीय बंगाल दौरा पूरा कर अमित शाह दिल्ली लौट गये।
    अमित शाह के रोड शो और तृणमूल कांग्रेस में हुई फूट, इन दोनों ने जाहिर तौर पर ममता की परेशानी बढ़ा दी। ममता परेशान हुर्इं तो प्रशांत किशोर हरकत में आये और उन्होंने सोमवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मीडिया का एक वर्ग भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। वास्तव में भाजपा पश्चिम बंगाल में दहाई का आंकड़ा हासिल करने के लिए संघर्ष करेगी। मेरे इस ट्वीट को सेव करके रखें, यदि भाजपा इससे बेहतर प्रदर्शन करती है, तो मैं यह स्थान छोड़ दूंगा। इसके जवाब में भाजपा के राष्टÑीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि चुनाव के बाद देश को एक चुनावी रणनीतिकार खोना पड़ेगा।
    डैमेज कंट्रोल में जुट गयीं हैं ममता
    भाजपा की सेंधमारी से चौकस हुई ममता अब पार्टी को हर तरह से मजबूत करने में जुट गयी हैं। बीते दिनों कालीघाट में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में ममता ने इसके लिए रणनीति बनायी। इस रणनीति में मुख्य तो यह है कि पार्टी को किसी भावी टूट से बचाया जाये। वहीं, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की भावनाओं की कद्र की जाये। सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस में पीके के काम करने के अंदाज से पार्टी नेताओं में नाराजगी है। अपने दम पर तृणमूल कांग्रेस को सत्ता के शिखर पर पहुंचानेवाली ममता के पास सत्ता में आने के बाद समय की कमी हो गयी है। उनके पास इतना वक्त नहीं है कि वे पार्टी और सरकार दोनों मोर्चों पर पूरा वक्त दे सकें। यह स्वाभाविक भी है। जब तक पार्टी में मुकुल राय थे, वे यह काम बखूबी संभाल रहे थे, पर उनके भाजपा में चले जाने के बाद ममता के लिए कठिनाई बढ़ी। इधर, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी तृणमूल में चुनावी रणनीतिकार पीके को लेकर आये। टीम पीके ने कॉरपोरेट स्टाइल में पार्टी चलाना शुरू कर दिया। पार्टी नेता और कार्यकर्ता जो परंपरागत तरीके से काम करने के आदि थे, वे इस तरीके को पचा नहीं पाये। शुभेंदु अधिकारी के भाजपा छोड़ने की वजह भी कहीं न कहीं टीम पीके के काम करने का तरीका था। इधर, अमित शाह के रोड शो के जवाब में ममता बनर्जी ने 29 दिसंबर को रैली करने का ऐलान किया है। ममता ने कहा है कि मैं 28 दिसंबर को एक प्रशासनिक बैठक के लिए बीरभूम जा रही हूं। 29 दिसंबर को एक रैली भी करूंगी।
    अब क्या करेंगी ममता बनर्जी
    पश्चिम बंगाल में भाजपा ने ममता बनर्जी के सामने जो चुनौतियां पेश की हैं, उसके जवाब में ममता ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि ममता भाजपा को उसी की शैली में उसका जवाब देंगी। यानि पार्टी जैसे को तैसा की रणनीति पर चलेगी। अमित शाह के रोड शो के जवाब में ममता की 29 दिसंबर की रैली इसी का प्रमाण है। वहीं पार्टी में उभरते असंतोष का जायजा लेने के लिए वे पार्टी को अधिक समय भी देंगी। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को केवल तीन सीटों पर जीत मिली थी। वहीं तृणमूल 294 सीटों में 211 सीटें जीतने में सफल रही थीं। वहीं कांग्रेस 44 सीटें जीतने में सफल रही थी। इस बार भाजपा ने यहां 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। जाहिर है कि यह लक्ष्य आसान नहीं है। पर भाजपा यहां इतनी ताकत इसीलिए ही झोंक रही है। वहीं, अब ममता पूरी ताकत पार्टी को एकजुट रखने में लगा रही हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बंगाल में भाजपा का सपना साकार होगा या ममता की ही दाल गलेगी।

    Will Amit Shah find the fortress of Mamta in Bengal?
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