मिठास की नगरी मधुपुर में चलेगा तीर या खिलेगा कमल? इस सीट पर उपचुनाव की सरगर्मियां तेज होने के साथ यह सवाल राजनीति की फिजाओं में तैरने लगा है। वैसे सवाल तो यह भी तैर रहा है कि इस बार यहां से झामुमो का प्रत्याशी कौन होगा और क्या इस सीट पर आजसू भी प्रत्याशी उतार सकता है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो संभावना तो यही बन रही है कि पार्टी इस बार भी राज पालिवार पर भरोसा जता सकती है और झामुमो सहानुभूति की लहर का लाभ लेने के लिए हाजी हुसैन अंसारी के परिवार में से किसी को उम्मीदवार बना सकता है। हालांकि इस मुद्दे पर झामुमो और भाजपा दोनों ही पत्ते खोलने से बच रहे हैं। पर इस सीट को लेकर झामुमो और भाजपा दोनों की ही तैयारियां जोरों पर हैं। मधुपुर सीट पर होनेवाले उपचुनाव को लेकर झामुमो और भाजपा की तैयारियों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
23 दिसंबर 2019 को जब झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आये तो राज्य की 30 विधानसभा सीटों पर झामुमो का तीर चला था। वहीं भाजपा 25 सीटों पर सिमट गयी थी। झामुमो की जीती गयी 30 सीटों में एक सीट मधुपुर विधानसभा सीट भी थी, जिसमें झामुमो के कद्दावर नेता हाजी हुसैन अंसारी ने भाजपा के राज पालिवार को हराया था। हाजी हुसैन अंसारी को 88115 वोट मिले थे, जो कुल मतों का 38.4 फीसदी है। वहीं भाजपा के राज पालिवार को 65046 वोट मिले, जो कुल मतों का 28.34 फीसदी है। इस सीट पर तीसरे नंबर पर आजसू उम्मीदवार गंगा नारायण राय थे, जिन्हें 45620 मत मिले थे। अभी हाजी हुसैन अंसारी की जीत के एक साल भी पूरे नहीं हुए कि तीन अक्टूबर को उनका निधन हो गया। इसके बाद यह सीट खाली हो गयी और फिर शुरू हुआ इसी सीट पर उपचुनाव का इंतजार। इसके बीच प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दल झामुमो और भाजपा ने इस सीट पर उपचुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने बताया कि मधुपुर सीट पर होनेवाले उपचुनाव के लिए पार्टी की तैयारियां चल रही हैं। मधुपुर हमारी सीटिंग सीट है। इस सीट पर जिला, प्रखंड और बूथ लेवल के कार्यकर्ता क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जनता से संवाद का कार्यक्रम भी चल रहा है। वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बताया कि भाजपा साल के 365 दिन चुनावी मोड में रहती है और मधुपुर के लिए पार्टी की तैयारियां चल रही हैं। बूथ स्तर पर कार्यकर्ता काम में लगे हुए हुए हैं और जनता से संवाद के साथ बूथ को कैसे मजबूत किया जाये, इसपर पार्टी का फोकस है।
भाजपा का प्रत्याशी लगभग तय है
मधुपुर में भाजपा के उम्मीदवार पर बात करें तो पार्टी इस बार भी यहां राज पालिवार को प्रत्याशी के तौर पर उतार सकती है। राज पालिवार ने इस सीट पर दो बार 2005 और 2014 में भाजपा का कमल खिलाया है। 2014 में चुनाव जीतने के बाद राज पालिवार तत्कालीन रघुवर सरकार में मंत्री भी बने थे। जाहिर है कि भाजपा उपचुनाव में अपने भरोसेमंद सिपहसालार पर दांव खेलेगी। इसकी संभावना इसलिए भी है क्योंकि बेरमो और दुमका उपचुनाव में पार्टी ने योगेश्वर महतो बाटुल और डॉ लुइस मरांडी पर दांव खेला था। हालांकि दोनों को पराजय झेलनी पड़ी। वहीं, झामुमो की बात करें तो झामुमो दिवंगत हाजी हुसैन अंसारी के परिवार से उम्मीदवार दे सकता है। ऐसा करके पार्टी न सिर्फ अपने नेता को सच्ची श्रद्धांजलि देगी, बल्कि हाजी हुसैन अंसारी के निधन से उपजी सहानुभूति की लहर के साथ भी चलना चाहेगी।
इस बार 500 से अधिक बूथों पर होगा उपचुनाव
मधुपुर में एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में 409 मतदान केंद्र पर वोट डाले गये थे। कोरोना संक्रमण काल में जिस तरह दुमका और बेरमो का उप चुनाव हुआ। उसी तर्ज पर यहां एक हजार से अधिक मतदातावाले केंद्र पर सहायक मतदान केंद्र बनाये जायेंगे। इससे मतदान केंद्र की संख्या बढ़कर 500 से अधिक हो सकती है। मधुपुर विधानसभा सीट देवघर जिले के अंतर्गत आती है। यह एक जेनरल सीट है। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 310668 है। इनमें से पुरुष मतदाता 164528 हैं और 146140 महिला मतदाता हैं। मधुपुर का विधायक चुनने के लिए वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 71 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया था, जबकि 2009 में 60.76 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया था।
ब्रिटिश काल में विकसित हुआ था इलाका
मधुपुर क्षेत्र ब्रिटिश काल में बड़े स्तर पर विकसित किया गया था। अंग्रेजों ने यहां रेल चलाने के लिए मधुपुर जंक्शन विकसित किया था। इस जंक्शन पर भाप से चलनेवाली ट्रेनों को स्टोर करने के लिए कोयले को स्टोर किया जाता था। बंगाल के मशहूर लेखक सर आशुतोष मुखर्जी और उमा प्रसाद मुखर्जी इसी इलाके में रहा करते थे। इस इलाके से होकर बहनेवाली पथरो और जयंती नदी बारिश के मौसम में विकराल रूप लेकर यहां के लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है। यों तो अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से यह घोषित नहीं किया गया है कि यहां उपचुनाव कब होगा, लेकिन राजनीतिक दल चुनाव की प्रत्याशा में अभी से जनता की अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। भाजपा के राज पालिवार को पूरी उम्मीद है कि पार्टी उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनायेगी, इसी को ध्यान में रख कर वह हर दिन अपनी राजनीतिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। चूंकि वे क्षेत्र के पुराने नेता हैं और भाजपा में उनकी प्रकड़ और पहचान दोनों है, इसलिए अपने समर्थकों-कार्यकर्ताओं के बीच से उन्हें पूरा सहयोग मिलता है। दूसरी तरफ झामुमो का प्रत्याशी अभी तय नहीं है। हो सकता है, हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र पर पार्टी दांव खेले, क्योंकि उस परिवार के साथ क्षेत्र की जनता की सहानुभूति है। वहां की जनता ने हाजी हुसैन अंसारी में पांच साल के लिए आस्था व्यक्त की थी, जबकि असमय ही उनकी मौत हो गयी। ऐसे में क्षेत्र के लोगों की सहानुभूति को देखते हुए झामुमो परिवार के ही और उसमें भी हाजी हुसैन अंसारी के सबसे प्रिय व्यक्ति को ही टिकट देगी। इस परिस्थति में भाजपा और झामुमो दोनों तरफ से जोर आजमाइश होगी और इसे जोर-आजमाइश में दलों का पूरा समर्थन अपने-अपने प्रत्याशियों के साथ होगा।