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    Home»Jharkhand Top News»राजनीति के कुरुक्षेत्र में नेतृत्व का सिक्का जमा रहीं महिला विधायक
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    राजनीति के कुरुक्षेत्र में नेतृत्व का सिक्का जमा रहीं महिला विधायक

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 18, 2020No Comments6 Mins Read
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    मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इसी शेर को चरितार्थ करते हुए 81 सीटोंवाली झारखंड विधानसभा में 10 महिला विधायक राजनीति के कुरुक्षेत्र में अपनी नेतृत्व क्षमता का सिक्का जमा रही हैं। इन महिला विधायकों में अंबा प्रसाद जैसी युवा विधायक हैं, तो ग्रामीण पृष्ठभूमि से आयीं पुष्पा देवी भी हैं। झामुमो विधायक सीता सोरेन हैं तो कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह भी हैं। घर की चाहरदीवारी लांघ इन महिला विधायकों ने साबित किया है कि उन्हें सिर्फ मौका दिये जाने की जरूरत थी। झारखंड विधानसभा की दस महिला विधायकों में कांग्रेस की चार और झामुमो तथा भाजपा की तीन-तीन विधायक शामिल हैं। इन विधायकों में जहां बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद सबसे युवा हैं तो जोबा मांझी उम्रदराज। सबसे पढ़ी-लिखी डॉ नीरा यादव हैं तो आठवीं पास पुष्पा देवी भी। सबसे अमीर दीपिका पांडेय सिंह तो सबसे गरीब निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता भी। इन महिला विधायकों की उम्र, शिक्षा और परिवेश में भले ही अंतर हो, क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने का इनका जज्बा तारीफ के काबिल है। झारखंड की महिला विधायकों की कार्यशैली और उनके नेतृत्व में हो रहे परिवर्तनों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    बीते साल 23 दिसंबर को जब झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आये, तो दस महिला विधायकों को जनता ने चुनकर विधानसभा भेजा। इनमें अंबा प्रसाद का नाम सर्वाधिक चर्चा में रहा। अंबा की चर्चा इसलिए हुई, क्योंकि वे सबसे कम उम्र में विधायक बनीं और बड़कागांव में अपने पिता और मां के बाद अपने दम पर विधायक चुनी गयीं। ट्विटर पर फॉलोवर्स की संख्या में भी अंबा सबसे आगे रहीं तो जनता की समस्याएं उठाने में भी। उन्होंने विस्थापितों के सवाल को गंभीरता से उठाया और उसके नतीजे भी सामने आये। अब बात करते हैं जामा से झामुमो विधायक सीता सोरेन की। सीता सोरेन भी जनता के मुद्दे उठाने में कभी पीछे नहीं रहीं और इसी का नतीजा है कि सोशल मीडिया में उनकी लोकप्रियता बढ़ती चली जा रही है। सीता सोरेन ने जहां गैस के दाम में बढ़ोत्तरी का मुद्दा उठाया, तो बीमार लोगों को मदद दिलाने में भी वे पीछे नहीं रहीं। प्रशासन की कमियों को उजागर करने में वे काफी मुखर रही हैं। इसका नतीजा यह निकला कि वे जनता की आवाज बनकर सामने आयीं। महगामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह न सिर्फ क्षेत्र में बल्कि विधानसभा में भी मुद्दों को प्रखरता से रखती हैं।
    जनता के बीच रहती हैं और उनकी समस्याओं को ध्यान से सुनकर उसके समाधान का प्रयास करती हैं। वहीं, भाजपा विधायक डॉ नीरा यादव के ट्विटर पर भले ही 457 फॉलोवर्स हों पर क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता अच्छी है। क्षेत्र में उनकी पहचान जमीनी स्तर पर काम करनेवाली महिला के रूप में है और वे पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ते हुए क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी हैं। वर्तमान राज्य सरकार के अधिकारियों की कमियां सामने आने पर वह उसे उजागर करने का कोई मौका नहीं छोड़तीं।
    विकास का कमल खिला रहीं अपर्णा
    निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता विधानसभा चुनाव से पहले अपने भाषणों में निरसा को झारखंड का सबसे विकसित क्षेत्र बनाने का दावा करती रहीं। उनकी शख्सियत और उनका अंदाज जनता को पसंद आया और वे चुन ली गयीं। अब वे क्षेत्र में विकास का कमल खिला रही हैं। छतरपुर से भाजपा विधायक पुष्पा देवी ने 13 दिसंबर को छतरपुर प्रखंड के कबूतरी दह नाला में चेक डैम का शिलान्यास किया। इसके जरिये उन्होंने क्षेत्र के लोगों की चिर-प्रतिक्षित मांग पूरी की।
    खासकर क्षेत्र के किसानों के जीवन में इससे खुशहाली आयेगी। क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के साथ पुष्पा भाजपा की नीतियों और सिद्धांतों की भी वकालत बखूबी करती हैं। रामगढ़ विधायक ममता देवी क्षेत्र में जनसमस्याओं के समाधन के लिए आंदोलन का पथ चुनने के लिए जानी जाती हैं। उन्हें अपने क्षेत्र की समस्या के समाधान के लिए आंदोलन की उपज भी कह सकते हैं। विधायक बनने के बाद भी वह क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं। हाल में ही उन्होंने दुलमी प्रखंड के बहातू गांव में पीसीसी पथ निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। वहीं इसी प्रखंड के जरियो गांव स्थित जमीरा कब्रिस्तान में शेड निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। ममता देवी विस्थापितों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने में भी पीछे नहीं हैं। यह भी क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का कारण है। मनोहरपुर से झामुमो विधायक जोबा मांझी हेमंत सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री भी हैं। जोबा मांझी अपने क्षेत्र में इतनी लोकप्रिय हैं कि वे छठी दफा विधायक चुनकर आयी हैं।
    पति देवेंद्र मांझी की हत्या के बाद उन्होंने अपने पति की विरासत संभाली और फिर जनता का प्यार उन्हें मिलता रहा। जोबा मांझी की खासियत यह है कि वे अपने क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज बखूबी समझती हैं और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप काम करती हैं।
    झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह पहली बार विधायक चुनकर आयी हैं। उन्होंने क्षेत्र की जनता की भावनाओं के अनुरूप ढाई दर्जन से अधिक योजनाओं की विकास शाखा में अनुशंसा की है। इसके अलावा आउटसोर्सिंग में धांधली के मुद्दों को भी वह प्रखरता से उठाती रही हैं। बीते दिनों विधानसभा की निवेदन समिति के तीन विधायकों ने बीसीसीएल के लोदना क्षेत्र का निरीक्षण किया तो उस दौरान पूर्णिमा ने कहा कि अब झरिया के आउटसोर्सिंग में गुंडों का जमाना खत्म होनेवाला है। जाहिर है कि चाहे विकास कार्य हों या क्षेत्र के लोगों की उम्मीद। हर क्षेत्र में पूर्णिमा खरी हैं।
    इचागढ़ से झामुमो विधायक सबिता महतो भी क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों पर खरी हैं और लगातार क्षेत्र में काम कर रही हैं। वह अपने पति स्व सुधीर महतो की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
    इसलिए लोकप्रिय हैं महिला विधायक
    झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि संख्या बल में पुरुष विधायकों की तुलना में महिला विधायकों की संख्या भले ही कम हो, पर लोकप्रियता में ये किसी तरह से पुरुष विधायकों से कमतर नहीं हैं। महिला होने के कारण वे जहां क्षेत्र की महिलाओं की समस्याओं को गंभीरता से सुनती और उनका निदान करती हैं तो सामाजिक क्षेत्र और अन्य गतिविधियों में भी आगे रहती हैं। कोरोना संकट में भी महिला विधायकों ने अपने दम-खम का परिचय दिया और क्षेत्र की जनता की मदद करने में पीछे नहीं रहीं।
    राजनीति का यह सच है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को राजनीतिक पार्टियां अपेक्षाकृत कम ही टिकट देती हैं, लेकिन जब उन्हें टिकट मिलता है और वे जीत हासिल करने में सफल रहती हैं तो क्षेत्र में छाप छोड़ने में महिला विधायक पीछे नहीं रहतीं।

    Women MLAs collecting leadership coin in Kurukshetra of politics
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