• – एयरबोर्न हेलमेट में मिली खराबी, 25 सैनिकों के सिर से हवा में उतरकर जमीन पर आ गिरे
  • – गुणवत्ता में सुधार करने की सिफारिश पर लिया गया नए हेलमेट खरीदने का फैसला

नई दिल्ली। भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स और विशेष बलों के लिए खरीदे गए एयरबोर्न हेलमेट में खराबी मिलने के बाद अब सरकार ने 80 हजार बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने के लिए मंजूरी दी है। पहले खरीदे गए हेलमेट की गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभ्यास ड्रिल के दौरान 25 एयरबोर्न हेलमेट आसमान में ही सैनिकों के सिर से उतरकर जमीन पर आ गिरे। बिना हेलमेट के ड्रिल पूरी करने के दौरान सैनिक घायल हुए। इसके बाद सेना को हेलमेट की गुणवत्ता में सुधार करने की सिफारिश की गई, जिस पर नए हेलमेट खरीदने का फैसला लिया गया है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 22 दिसंबर को सशस्त्र बलों और भारतीय तटरक्षक के लिए 84,328 करोड़ रुपये के 24 पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों की आवश्यकता की स्वीकृति को मंजूरी दी है। इसमें सेना के लिए 354 जोरावर लाइट टैंक, 480 फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन, 300 माउंटेड गन सिस्टम की मंजूरी शामिल है। इसके अलावा प्रस्तावों में नेवल एंटी-शिप मिसाइल, मल्टी-पर्पज वेसल्स, मिसाइल सिस्टम की नई रेंज, लॉन्ग रेंज गाइडेड बम और नेक्स्ट जनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स शामिल हैं। स्वीकृत प्रस्तावों में सैनिकों के लिए बेहतर सुरक्षा स्तर वाले बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद भी शामिल है।

दरअसल, भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स और विशेष बलों के लिए हाल ही में खरीदे गए हवाई हेलमेट गुणवत्ता के मामले में दोषपूर्ण साबित हुए हैं। अभ्यास ड्रिल के दौरान एक यूनिट के 25 सैनिकों के एयरबोर्न हेलमेट आसमान में ही सिर से उतरकर जमीन पर आ गिरे। इसी तरह दूसरी यूनिट के सैनिकों ने 5 हेलमेट हवा में ही खो दिए। दोषपूर्ण एयरबोर्न हेलमेट के कारण पैरा जंप के दौरान पच्चीस पैराट्रूपर्स के चेहरे, कंधे और कान में चोटें आईं। आर्मी एयरबोर्न ट्रेनिंग स्कूल और दो विशेष बल इकाइयों ने हवा में छलांग लगाने के दौरान सैनिकों के घायल होने पर एयरबोर्न हेलमेट में कई कमियों को उजागर किया।

विशेष बल इकाइयों का कहना था कि हवाई अभ्यास के दौरान हजारों फीट की ऊंचाई पर विमान से छलांग लगाने के बाद नीचे उतरने की गति काफी तेज होती है। इस दौरान आसमान में कई साथी सैनिकों की आसपास मौजूदगी के चलते हवा में हेलमेट खोना विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है। जांच में पता चला कि ठुड्डी की ढीली फिटिंग और साइड फास्टिंग स्ट्रैप के कारण हेलमेट हवा में उतरे, जिससे सैनिकों को मामूली चोटें आईं। एयरबोर्न हेलमेट की कमियां उजागर होने के बाद बेहतर गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय को भी शामिल किया गया।

पैरा इकाइयों के लिए एयरबोर्न हेलमेट का लाइव जंप के दौरान परीक्षण मूल्यांकन करने के बाद 2016 में इन्हें सेना में शामिल करने के लिए उपयुक्त पाया गया था। इसके बाद 2021 में कुल 21,056 हेलमेट की खरीद एक स्वदेशी स्रोत से की गई। यह हेलमेट पैराट्रूपर्स इकाइयों और पैरा रेजिमेंट प्रशिक्षण केंद्र को वितरित किए गए। एक साल के भीतर ही इस साल की शुरुआत में एयरबोर्न हेलमेट की कमियां उजागर हुईं, जिसके बाद विकल्प के उपाय तलाशे गए। हेलमेट की गुणवत्ता में सुधार करने की सिफारिश पर नए बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने का फैसला लिया गया है।

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