• हर जुबान से निकल रही यही आवाज, अपने लिए नहीं, जनता के लिए किया था आंदोलन

झारखंड का रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र फिर से एक बार चुनावी मोड में आने वाला है। चौक-चौराहों पर फिर से चाय की चुस्की के साथ बड़े-बुजुर्ग चुनावी चर्चा के लिए तैयार बैठे हैं। राजनीतिक पार्टियां अभी से ही प्रत्याशियों के चयन पर विचार करना आरंभ कर चुकी हैं। जैसे ही मंगलवार को हजारीबाग व्यवहार न्यायलय स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट ने रामगढ़ विधायक ममता देवी को चर्चित इनलैंड पावर गोलीकांड मामले में पांच साल की सजा सुनायी, राजनीतिक दल सक्रिय हो गये। इस फैसले के साथ ही ममता देवी की विधानसभा सदस्यता भी खत्म हो जायेगी। इसके मद्देनजर रामगढ़ विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण बनने शुरू हो गये हैं। पहले रामगढ़ को आजसू का मजबूत किला माना जाता था। कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी ने साल 2019 में आजसू का यह अभेद्य किला ध्वस्त कर दिया। 2014 के चुनावों तक वहां तत्कालीन विधायक चंद्रप्रकाश चौधरी की तूती बोलती थी। उसके बाद चंद्रप्रकाश चौधरी की ख्वाहिशें हिलोरें मारने लगीं। उन्हें सांसद बनने की इच्छा हुई। भाजपा के साथ सीटों के तालमेल के चलते गिरिडीह सीट आजसू को मिली और वहां से चंद्रप्रकाश को टिकट मिला। वह चुनाव जीत गये और पहुंच गये संसद। लेकिन रामगढ़ विधानसभा सीट को वह अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहते थे। सो उन्होंने अपनी पत्नी को 2019 के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारा। लेकिन उनकी पत्नी सुनीता चौधरी बुरी तरह चुनाव हार गयीं। ममता देवी को 99944 वोट मिले, वहीं सुनीता चौधरी को 71226 वोट ही मिल पाया। इस प्रकार ममता देवी ने रामगढ़ में आजसू का पिछले 15 साल का किला ध्वस्त कर दिया। फिलहाल ममता देवी को सजा हो गयी है, लेकिन यह सजा उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में नहीं, बल्कि जनांदोलन के लिए हुई है। उन्होंने वहां के विस्थापितों के लिए अपनी आवाज बुलंद की थी। उस आंदोलन में उग्र भीड़ पर पुलिस ने गोली चलायी थी। उसमें दो लोग मारे गये थे। जनता सब समझती है। ममता देवी का एक चार महीने का दुधमुंहा बच्चा भी है। संयोग देखिये, जब इस आंदोलन में ममता देवी पहली बार जेल गयी थीं, तो उस समय उनकी गोद में पांच माह की बच्ची थी। इस बार जब सजा मिलने पर जेल गयीं, तो उनकी गोद में चार माह का बच्चा है। यही कारण है कि ममता देवी को लेकर रामगढ़ में सहानुभूति की लहर तेज है। भले ही उन्हे सजा हो गयी है, लेकिन जनता की अदालत बहुत बड़ी होती है। असली इंसाफ तो वहीं होगा। यह अदालत रामगढ़ उपचुनाव में लगेगी और फैसला भी सुनायेगी। महागठबंधन और एनडीए ताल ठोकने को तैयार है। क्या माहौल होने वाला है रामगढ़ उपचुनाव को लेकर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

रामगढ़ नाम सुनते ही जो पहली छवि किसी के मन में उभरती है, वह कोयला खदान और वाशरी से पटे इलाके की है या फिर 1984 के आॅपरेशन ब्लू स्टार के बाद हुए सैनिक विद्रोह की, लेकिन रामगढ़ की एक तीसरी छवि भी है और वह है झारखंड में सब्जी की खेती के साथ राजनीतिक संघर्ष के लिए मुफीद जमीन की। इसी रामगढ़ में एक बार फिर से चुनावी सुगबुगाहट शुरू हो गयी है, क्योंकि 2019 के चुनाव में जाइंट किलर का खिताब हासिल कर चुकीं कांग्रेस विधायक ममता देवी आइपीएल गोलीकांड में अदालत से सजा सुनाये जाने के बाद विधायक नहीं रह गयी हैं। इसलिए रामगढ़ में उपचुनाव होना तय हो गया है।

क्या है आइपीएल गोलीकांड, जिसमें ममता देवी को सजा हुई
रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड में 29 अगस्त, 2016 को आइपीएल (इनलैंड पावर लिमिटेड) फैक्टरी में मजदूरों के शोषण के विरोध में आंदोलन हुआ था। नागरिक चेतना मंच और आइपीएल प्लांट प्रबंधन के बीच पुनर्वास और नौकरी की मांग पर आंदोलनकारी ग्रामीण, प्रबंधन और प्रशासन के बीच गोला अंचल कार्यालय में वार्ता हो रही थी। तत्कालीन पार्षद ममता देवी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही थीं।

राजीव जायसवाल और ममता देवी के नेतृत्व में विस्थापित ग्रामीण फैक्टरी गेट तक पहुंच गये और यहीं वार्ता की मांग करने लगे। यहां पर पहले से तैनात पुलिस बल ने सभी को वहां से जबरन हटा दिया। इससे नाराज विस्थापित सेनेगढ़ा नदी चले गये। वहां पर विस्थापितों ने फैक्टरी में पानी सप्लाई के लिए बिछायी गयी पाइपलाइन में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसी दौरान पुलिस भी वहां पर पहुंच गयी। पुलिस को देखते ही तनाव की स्थिति बन गयी। इसके बाद नदी के दोनों तरफ से ग्रामीणों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस का कहना है कि विस्थापितों की ओर से गोलीबारी की गयी, जबकि आंदोलनकारियों का कहना है कि पुलिस ने विस्थापितों पर गोली चला दी। फायरिंग में दशरथ नायक (50) और रामलखन महतो उर्फ फुतू महतो (40) की मौत हो गयी। दोनों पक्षों से करीब 43 लोग घायल हुए थे। सुरक्षा में तैनात बतौर मजिस्ट्रेट सीओ, बीडीओ और थानेदार सहित अन्य जवानों को भी चोटें आयी थीं। कई लोगों को जेल भेजा गया। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे राजीव जायसवाल और ममता देवी को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इसी मामले में रामगढ़ विधायक ममता देवी समेत 13 लोगों को कोर्ट ने मंगलवार को पांच साल की सजा सुनायी है। इस सजा के एलान के साथ ही उनकी विधानसभा सदस्यता भी खत्म हो जायेगी।

2019 के बाद चार उप चुनावों में महागठबंधन की जीत
ममता देवी की विधायकी खत्म होने के साथ ही रामगढ़ में उप चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। झारखंड में 2019 के बाद चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए उप चुनाव हो चुके हैं। झारखंड में सत्ता परिवर्तन के बाद जितने भी उप चुनाव हुए, उसमें महागठबंधन का प्रत्याशी ही जीता। चाहे वह दुमका का उप चुनाव हो या बेरमो का, मधुपुर का हो या फिर मांडर का, हर बार भाजपा प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा। सबसे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बरहेट और दुमका दोनों सीट से जीत हासिल करने के बाद एक सीट छोड़ने की बाध्यता के कारण दुमका सीट छोड़नी पड़ी। इस पहले उप चुनाव में हेमंत सोरेन के छोटे भाई और जेएमएम प्रत्याशी बसंत सोरेन चुनाव जीतने में सफल रहे। उसके साथ बेरमो के दिग्गज कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह के निधन के कारण वहां भी उप चुनाव हुआ। कांग्रेस ने राजेंद्र बाबू के पुत्र कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह को उतारा और उन्होंने भी जबरदस्त जीत हासिल की। कोरोना के कारण मधुपुर के विधायक और सरकार में शामिल अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी की मौत हो गयी। इसके बाद हुए उप चुनाव में हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र और जेएमएम उम्मीदवार हफीजुल हसन विजयी हुए। उसके बाद मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक बंधु तिर्की की सदस्यता समाप्त होने के बाद 23 जून को मांडर सीट पर उप चुनाव हुआ। इस उप चुनाव में बंधु तिर्की की बेटी और महागठबंधन समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की ने भाजपा प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर को हरा दिया। 2019 में सत्ता परिवर्तन के बाद हुए उप चुनावों में यह भाजपा की लगातार चौथी हार थी।

आजसू के किले को तोड़ा था ममता देवी ने
रामगढ़ को आजसू का अभेद्य किला माना जाता रहा है। लेकिन 2016 से विस्थापितों के आंदोलन की अगुवाई कर चर्चा में आयीं जिला परिषद सदस्य एवं कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी ने आजसू के इस सबसे मजबूत गढ़ को 2019 के विधानसभा चुनाव में ढाह दिया। कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी ने 2014 के चुनाव में आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी के सर्वाधिक 98 हजार 987 मत लाने के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया और 99 हजार 944 मत प्राप्त कर चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। उन्होंने 28 हजार 718 वोट के अंतर से चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी को हरा दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में लगातार 15 साल से मंत्री रहे चंद्रप्रकाश चौधरी के गिरिडीह से सांसद बनने के बाद विधानसभा चुनाव में वह अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को चुनाव जिताने में असफल हो गये। इस प्रकार रामगढ़ में आजसू का पिछले 15 साल का किला ध्वस्त हो गया। रामगढ़ क्षेत्र में इसे परिवर्तन की बयार कहें या सत्ता के प्रति लोगों का आक्रोश, 35 वर्षों के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
रामगढ़ में इसलिए हार गयी थी आजसू पार्टी
आजसू को नुकसान भाजपा से अलग चुनाव लड़ने के कारण भी हुआ। 2019 के चुनावों में आजसू और भाजपा ने अपनी अलग राह अख्तियार कर ली थी। एक तरफ जहां झामुमो-कांग्रेस-राजद को गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का फायदा सत्ता के रूप में मिला, वहीं गठबंधन टूटने से भाजपा और आजसू दोनों को ही जबरदस्त नुकसान हुआ। यदि दोनों दल साथ-साथ चुनाव लड़ते, तो नतीजा कुछ और हो सकता था। ऐसी कई सीटें थीं, जो भाजपा और आजसू के मतभेद के कारण महागठबंधन की झोली में चली गयीं। रामगढ़ भी उसका एक उदाहरण है। खिजरी, गांडेय, मधुपुर, जुगसलाई समेत कई ऐसी सीटें थी, जो एनडीए की झोली में आसानी से आ जातीं, लेकिन महत्वाकांक्षा की लड़ाई ने दोनों दलों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

रामगढ़ का संभावित चुनावी परिदृश्य
लौटते हैं रामगढ़। रामगढ़ उप चुनाव को लेकर ममता देवी के पति का कहना है कि पार्टी जो भी आदेश देगी, वह उसका पालन करेंगे। मन तो है उनका चुनाव लड़ने का, यह उनके बॉडी लैंग्वेज से साफ पता चलता है। अब देखना है कि महागठबंधन किसे अपना प्रत्याशी बनाता है। लोग कह रहे हैं कि ममता देवी जेल तो चली गयीं, लेकिन उन्हें भ्रष्टाचार के किसी मामले में सजा नहीं हुई है। उन्होंने जनता की लड़ाई लड़ी थी, इसलिए उनका पलड़ा कहीं से कमजोर नहीं है। उनका चार महीने का दुधमुंहा बच्चा भी है। किसी भी मां के लिए इससे ज्यादा कष्टकारी क्या होगा। वह जेल में होगी और उसका बच्चा…।

खैर अब देखना दिलचस्प होगा कि रामगढ़ उप चुनाव के लिए एनडीए किसे उतारती है। क्या आजसू फिर से अपनी पुरानी जमीन को हासिल कर पायेगी या फिर भाजपा का कोई प्रत्याशी होगा। कौन होगा दो सालों के लिए विधायक, यह देखना दिलचस्प ही नहीं, रोमांचक भी होने वाला है। लेकिन फिलहाल रामगढ़ की जो मौजूदा स्थिति है, उसमें ममता देवी और उनके परिवार के प्रति और खास कर उनकी दो बच्चों के प्रति सहानुभूति की लहर चल रही है। जब भी लोग छह साल और चार महीने के बच्चे को देख रहे हैं, उनकी आंखें भर आती हैं।

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