– कई रक्षा स्टार्ट-अप्स ने उड़ान परीक्षण और प्रमाणन मुद्दों पर एएसटीई से संपर्क किया
– हवाई प्रणालियों को भारत में फिट माने जाने के लिए एएसटीई की मंजूरी की जरूरी
नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना का टॉप ट्रेनिंग सेंटर एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट (एएसटीई) निजी क्षेत्र के लिए दरवाजे खोलेगा। यह संस्थान वायु सेना में शामिल होने से पहले विमान, हवाई प्रणालियों और हथियारों का उड़ान परीक्षण करता है। इसके अलावा एएसटीई निजी कंपनियों के लिए ‘फ्लाइंग लैब’ परीक्षण प्रणाली के रूप में कार्य करता है। अगर विकसित किये जाने वाले सिस्टम का भारत में उत्पादन नहीं किया जाता है, तो भी एएसटीई निजी फर्मों को विदेशों में अपने सिस्टम को बाजार में लाने में मदद करेगा।
एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट ने 1948 में कानपुर में आयुध परीक्षण इकाई के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। 1957 में इसे औपचारिक रूप से कानपुर में विमान और आयुध परीक्षण इकाई के रूप में स्थापित किया गया था। 23 अगस्त, 1972 को इसका नाम बदलकर एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट कर दिया गया और 1973 में इसे एचएएल के मेक शिफ्ट हैंगर में बैंगलोर स्थानांतरित कर दिया गया। एएसटीई उपयोगकर्ता संगठनों में शामिल होने के लिए विमान और प्रणालियों का मूल्यांकन करता है। अधिकांश नए प्रकार के विमान और प्रमुख हवाई प्रणालियों को भारत में सेवा के लिए फिट माने जाने के लिए एएसटीई की मंजूरी की जरूरी होती है।
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय वायुसेना के लिए एएसटीई टेस्ट पायलट स्कूल के रूप में दुनिया का पांचवा संस्थान है। अपनी स्थापना के बाद से सशस्त्र बलों के लिए कार्य कर रहा यह संस्थान अब स्टार्ट-अप सहित निजी क्षेत्र का स्वागत करने के लिए तैयार है। इसके पीछे का मकसद भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर’ पहल को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाना है। सशस्त्र बलों के लिए सामरिक महत्व के लिहाज से आगे आने वाले निजी उद्योग या प्रयोगशालाओं को एएसटीई हवाई और हथियार प्रणालियों का परीक्षण और सत्यापन करने का काम सौंपेगा। अगर विकसित किये जाने वाले सिस्टम का भारत में उत्पादन नहीं किया जाता है, तो भी एएसटीई निजी फर्मों को विदेशों में अपने सिस्टम को बाजार में लाने में मदद करेगा।
एएसटीई से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हाल के दिनों में कई रक्षा स्टार्ट-अप्स ने उड़ान परीक्षण और प्रमाणन से संबंधित मुद्दों पर मार्गदर्शन के लिए एएसटीई से संपर्क किया है, क्योंकि यह संस्थान भारत का अनुभवी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उड़ान परीक्षण प्राधिकरण है। एएसटीई के कमांडेंट एयर वाइस मार्शल जे मिश्रा ने कहा कि देश के भीतर इस तरह के स्वदेशी प्रतिष्ठान का होना भारत सरकार की ‘आत्म निर्भर’ पहल के लिए एक बड़ा बढ़ावा है। उन्होंने कहा कि विमानन प्रणाली को विकसित करने में अनुसंधान एवं विकास, प्रमाणन और उत्पादन शामिल है, जिसकी उड़ान परीक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इसी संस्थान ने राफेल फाइटर जेट्स या स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को वायु सेना के बेड़े में शामिल करने से पहले परीक्षण किया है। लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस करने या हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल एस्ट्रा का परीक्षण भी यहीं किया गया है। इसके अलावा परे-दृश्य-श्रेणी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, सभी विमानों और प्रणालियों का परीक्षण किये जाने की जिम्मेदारी भी एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के पास है।