अजय शर्मा
रांची। साहिबगंज के एसडीपीओ से इडी ने शुक्रवार को करीब सात घंटे तक पूछताछ की। एसडीपीओ राजेंद्र दुबे को गुरुवार को बुलाया गया था, लेकिन वह किसी कारणवश शुक्रवार को पहुंचे। पूछताछ की शुरूआत में तो वह अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार कर रहे थे, लेकिन जैसे ही इडी के अधिकारियों ने रिम्स के कुछ वीडियो फुटेज उनके सामने रखे, उन्हें काठ मार गया। वीडियो फुटेज देखते ही वह सन्न रह गये। यह वीडियो फुटेज 10 अक्टूबर का था। उस दिन वह रिम्स में न्यायिक हिरासत में चल रहे मनी लांड्रिंग के आरोपी पंकज मिश्रा से मिले थे और करीब 40 मिनट तक उनके साथ रहे थे। इडी ने उनसे सवाल किया कि अगर दूसरा व्यक्ति न्यायिक हिरासत में रहने वाले से मिलता, तो उसके विरुद्ध कौन सी धारा का उपयोग होता। एसडीपीओ से पूछा गया कि उन्हें आइपीसी और सीआरपीसी की जानकारी है या नहीं? एसडीपीओ से पूछा गया कि अगर उन्हें कार्रवाई करनी होती, तो किन धाराओं के तहत एफआइआर करते और क्यों नहीं उनके विरुद्ध एफआइआर की जाये? वह इस सवाल का जवाब नहीं दे पाये।
सूत्रों के अनुसार एसडीपीओ ने यह स्वीकार कर लिया है कि पंकज मिश्रा जो कुछ कहते थे, वह वैसा कर चुके हैं। एक तरह से न्यायिक हिरासत में चल रहे पंकज मिश्रा के निर्देश का पालन एसडीपीओ ने किया। सात घंटे की पूछताछ में उनसे यह भी पूछा गया कि पंकज मिश्रा के कहने पर किन-किन मुकदमों में उन्होंने निर्दोष व्यक्तियों को फंसाया है या साजिश रची है। एसडीपीओ से यह भी पूछा गया कि साहिबगंज जेल में बंद इडी के गवाह विजय हांसदा के सहयोगी को नोटिस देकर क्यों बुलाया गया था। इसका जवाब भी वह नहीं दे पाये। उनसे साहिबगंज में हुई जहाज दुर्घटना में कार्रवाई की बाबत भी पूछा गया पूछताछ के क्रम में वह इडी के अधिकारियों के समक्ष रोने भी लगे और माफ करने का अनुरोध कर रहे थे। वह कह रहे थे कि उनसे गलती हो गयी है। माफ कर दिया जाये। जानकारी के अनुसार जल्द ही उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। एसीडीपीओ से इडी ने उनकी संपत्ति का विवरण मांगा है।
जानकारी के अनुसार एसडीपीओ पर जो आरोप लगे हैं, उसे उन्होंने एक तरह से स्वीकार कर लिया है। अब इडी के अधिकारी इस पूरे मामले में आगे की कार्रवाई करेंगे।

सोमवार डीएसपी प्रमोद मिश्रा से होगी पूछताछ
सोमवार को डीएसपी प्रमोद मिश्रा से पूछताछ होगी। उन्हें 12 दिसंबर को हाजिर होने का नोटिस पहले ही जारी किया गया है। प्रमोद मिश्रा पर यह आरोप है कि बरहरवा थाना में दर्ज एक मामले में कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम और बरहेट विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को क्लीन चिट उन्होंने दे दी। इसी मामले में अन्य आठ आरोपियों को उन्होंने दोषी ठहराया था।

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