लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मदरसों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश समाप्त करने की उठ रही मांग के बीच एक नई मांग शुरू हो गयी है। आल इंडिया उलेमा बोर्ड ने उप्र में मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश की मांग की है। मांग के पीछे का तर्क है कि शुक्रवार हो या रविवार, दोनों ही गुलामी के प्रतीक हैं। उलेमा बोर्ड के राष्ट्रीय सलाहकार एवं प्रवक्ता शफाअत हुसैन ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि देश में राज करने वालों ने अपने धर्मों को महत्व देते हुए साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था लागू की। मुगल आक्रांता आए तो उन्होंने शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया। अंग्रेज आए तो उन्होंने रविवार को छुट्टी की। मेरा मानना है कि देश में इस समय सनातन सोच की विचारधारा वालों की सरकार है। यह सरकार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करती है। इसलिए यहां उसी के अनुरूप अवकाश होना चाहिए।
हुसैन ने कहा कि भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी हैं। हनुमान जी के भक्त बड़ी संख्या में हैं। लोग मंगलवार को बजरंगबली की पूजा-अर्चना करते हैं। बहुत से भक्त उस दिन व्रत भी रखते हैं। इसलिए शुक्रवार और रविवार को नहीं बल्कि मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया जाए। यह सबके लिए हो। रही बात मदरसे की तो मदरसे में जुमे की नमाज पढ़ने के लिए छुट्टी की बात की जा रही है। सरकारी गैर सरकारी नौकरी करने वालों को भी नमाज पढ़नी रहती है।
उन्होंने कहा कि मुसलमान के लिए पांच वक्त नमाज फर्ज है। इसे हर दिन पढ़ते हैं। जुमे की नमाज वाजिब है। दोनों में बड़ा फर्क है। जुमे के दिन की छुट्टी उतना जरूरी नहीं है। अगर शुक्रवार को नमाज के नाम पर मदरसे में अवकाश दिया जाता है तो सरकारी और गैरसरकारी प्रतिष्ठानों में नौकरी करने वाले लोग भी मांग करने लगेंगे। यह उचित नहीं है। मैं तो चाहूंगा कि प्रदेश में योगी और देश में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था लागू करे।