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    Home»Breaking News»निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए योगी सरकार ने आयोग का किया गठन
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    निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए योगी सरकार ने आयोग का किया गठन

    azad sipahiBy azad sipahiDecember 28, 2022Updated:December 28, 2022No Comments3 Mins Read
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    • – सेवानिवृत्त न्यायाधीश राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग गठित
    • – ओबीसी आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच राज्य सरकार का बड़ा फैसला
    • – आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निकाय चुनाव में निर्धारित होगा पिछड़ा वर्ग आरक्षण

    लखनऊ। स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला लेते हुए ओबीसी आयोग का गठन कर दिया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में गठित आयोग में कुल पांच सदस्य होंगे। सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में अब पिछड़ा वर्ग आरक्षण का निर्धारण होगा।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को ओबीसी आरक्षण लागू किये बिना ही यूपी में निकाय चुनाव कराने के निर्देश सरकार को दिये थे। इसके बाद सरकार की ओर से स्पष्ट कहा गया था कि बिना पिछड़ा वर्ग आरक्षण के उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव संपन्न नहीं कराए जाएंगे। सरकार की ओर से इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात भी कही गयी थी। वहीं अब प्रदेश सरकार ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मद्देनजर पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया गया है।

    नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में सेवानिवृत्त न्यायाधीश राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है। इसमें अवकाशप्राप्त दो आईएएस चोब सिंह वर्मा और महेन्द्र कुमार तथा दो भूतपूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा एवं बृजेश कुमार सोनी को आयोग का सदस्य नामित किया गया है। आयोग निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। उस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करेगी।

    पिछली सरकारों में भी रैपिड सर्वे के आधार पर ही होता था निकाय चुनाव

    राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि हाई कोर्ट से पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश के बाद विपक्षी दल कांग्रेस, सपा और बसपा ने भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर ले लिया था, जबकि उनके शासनकाल में भी पिछड़ा वर्ग के रैपिड सर्वे के आधार पर ही निकाय चुनाव संपन्न होते आए हैं। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से अब पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने के साथ ही ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश में शुरू हुआ सियासी घमासान थम सकता है।

    सरकारी प्रवक्ता के अनुसार निकायों में पिछड़े वर्ग के आरक्षण की व्यवस्था, उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 में वर्ष-1994 से की गयी है। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण देने के लिए अधिनियम में सर्वे कराये जाने की व्यवस्था भी की गयी है। इसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक निकाय में पिछड़ा वर्ग का रैपिड सर्वेक्षण कराया जाता है। 1991 के बाद अब तक नगर निकायों के सभी चुनाव (वर्ष-1995, 2000, 2006, 2012 एवं 2017) अधिनियम में दिये गये इन्ही प्राविधानों एवं रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कराये गये हैं। इतना ही नहीं पंचायती राज विभाग द्वारा पिछड़े वर्गों का रैपिड सर्वे मई वर्ष 2015 में कराया गया था। अब तक उसी सर्वे के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव 2015 और 2021 में कराया गया है।

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