-चार साल पूरे होने पर भाजपा ने जारी किया आरोप पत्र
रांची। प्रदेश भाजपा ने गुरुवार को राज्य सरकार के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया। 29 दिसंबर को वर्तमान सरकार के चार साल पूरे होने हैं। इसे लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आरोप पत्र जारी करते सरकार पर जनता को बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराने में विफल रहने का आरोप लगाया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में अभी फाइल, फोल्डर और बॉस की सरकार है। ठगबंधन मालामाल है, झारखंड बदहाल है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस राज्य के 23 वर्षों के विकास में विकास बनाम विनाश की गाथा भरी पड़ी है। 13 वर्षों तक राज्य में एनडीए सरकार रही। भ्रष्टाचार मुक्त विकास के पथ पर राज्य आगे बढ़ा, पर 10 वर्षों के यूपीए गठबंधन के आकंठ भ्रष्टाचार ने राज्य को लूटा है। कलंकित किया है। इधर, पिछले नौ सालों में केंद्र की मोदी सरकार ने झारखंड को बढ़-चढ़ कर मदद दी, पर हेमंत सरकार ने योजनाओं को लटकाने, अटकाने और भटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मौके पर प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, घोषणा पत्र के संयोजक अरुण उरांव, प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी, मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, सह प्रभारी योगेंद्र प्रसाद सिंह के अलावा रविनाथ किशोर और सुनीता सिंह भी मौजूद थीं।
केंद्र का मिलता रहा है सहयोग
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न सरकारी योजनाओं में लगातार झारखंड को मदद दी है। पर राज्य सरकार लगातार झूठ बोलती रही है। पीएम उज्ज्वला योजना का लाभ देश में 9 करोड़ 59 लाख को मिला है, जबकि झारखंड में 32 लाख 27 हजार 135 को दिया गया है। पीएम आवास योजना ग्रामीण का लाभ देश में 3 करोड़ लोगों को, जबकि यहां 15 लाख 84 हजार 185 को मिल चुका है। देश में 37 करोड़, जबकि यहां 2.20 करोड़ को आयुष्मान कार्ड मिला है। 11 करोड़ 72 लाख को शौचालय योजना का लाभ देश में मिला है। झारखंड में 40 लाख 8 हजार 283 को दिया जा चुका है। 11 करोड़ 27 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि का लाभ देश भर में मिला है। झारखंड में भी 27 लाख लाभान्वित हो चुके हैं। देश में 16 आइआइएम खुले हैं।
झारखंड में वित्तीय कुप्रबंधन
आरोप पत्र के मुताबिक इस वर्ष बजट अनुमान के अनुसार झारखंड सरकार द्वारा कैपिटल आउटले पर 21,248 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया था। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2023 तक मात्र 7868 करोड़ रुपये यानी 37 प्रतिशत ही खर्च किया गया। झारखंड सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण विकास की योजनाएं ठप रहीं। झारखंड सरकार के बजट अनुमान के अनुसार उसके पास 2023-24 में खर्च करने को लगभग 1,01,101 करोड़ की राशि है, जिसमें लगभग 50.218 करोड़ का योगदान केंद्र सरकार कर और ग्रांट के रूप में दे रही है। पिछले वर्ष की तुलना में केंद्र सरकार का योगदान 9.61 प्रतिशत बढ़ा है। आंकड़ों को देखें, तो झारखंड सरकार के पास अपार साधन हैं। खर्च करने की सही नीयत नहीं है।
हर वर्ग के साथ हुआ धोखा
सरकार ने युवाओं, महिला, आदिवासी सहित हर वर्ग के साथ धोखा किया है। सरकार बनने पर एक साल में पांच लाख नौकरी नहीं तो राजनीति से संन्यास की बात की थी। इस पर विफल है। अब तक अपने पूरे कार्यकाल में भी वह पांच लाख का एक प्रतिशत भी युवाओं को नौकरी नहीं दे सकी है। विधानसभा में स्वीकार किया है कि केवल 357 को ही नौकरी दी है। सरकार की नियोजन नीति 2021 को हाइकोर्ट ने रद्द कर दिया। संकल्प लाकर स्थानीय और नियोजन नीति बनाने की बजाय 9वीं अनुसूची का बहाना लाकर उसने अपनी झूठी नीयत दिखायी है। 1932 खतियान विधेयक को पहले ही विधि आयोग ने असंवैधानिक करार दिया है। राज्य में 90 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं। झारखंड में 7,27,300 रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं।