नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के एक जज द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी पर आदेश सुरक्षित रखकर एक साल तक आदेश पारित नहीं करने और फिर खुद को उस मामले से अलग करने के मामले पर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से जवाब तलब किया है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को इस मामले पर 8 जनवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने इस मामले पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि हम इस बात से बेहद हैरान हैं कि अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर आदेश एक साल तक कैसे लंबित रखा जा सकता है और बाद में अपना फैसला सुनाने से पहले खुद को अलग कर लिया गया। कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को मामले से जुड़े घटनाक्रम की जानकारी विस्तृत रूप से दाखिल करने का निर्देश दिया।

दरअसल, 2017 के मनी लांड्रिंग मामले में राजंती देवी द्वारा दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पर पटना हाई कोर्ट के जज जस्टिस संदीप कुमार ने अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 7 अप्रैल, 2022 को आदेश सुरक्षित रख लिया और लगभग एक साल बाद इस वर्ष 4 अप्रैल को मामले से खुद को अलग कर लिया। यह मामला 2017 के मनी लांड्रिंग से जुड़ा हुआ था। इसमें राजंती देवी आरोपित हैं और वो प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सदस्य होने का आरोपित संदीप यादव की पत्नी हैं। राजंती देवी ने अपनी अग्रिम जमानत की मांग करते हुए पटना हाई कोर्ट मे याचिका दाखिल की थी। बाद मे राजंती देवी की याचिका को हाई कोर्ट की दूसरी बेंच ने खारिज भी कर दिया था।

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