रांची। झारखंड में भी शिक्षकों के एमएसीपी का लाभ मिलना चाहिए इस पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है।सहायक शिक्षकों को संशोधित सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना (एमएसीपी) के लाभ को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में 9 जनवरी 2025 को फाइनल सुनवाई होगी।

प्रार्थी की और से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने वेतन के लिए समान अधिकारों से संबंधित संविधान की आर्टिकल 14,16 का हवाला देते हुए कहा कि जब झारखंड सरकार के तृतीय वर्ग के कर्मियों को एमएसीपी का लाभ मिल रहा है, तो स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड के शिक्षकों को एमएसीपी का लाभ क्यों नहीं मिल रहा है? जबकि झारखंड के कल्याण व आदिवासी विभाग के अधीन संचालित आवासीय एवं अल्पसंख्यक विद्यालयों में भी शिक्षकों को इसका लाभ दिया रहा है। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि बिहार सरकार के वर्ष 1993 की नियमावली से तृतीय वर्ग के कर्मियों का वेतन निर्धारित होता है, नियुक्ति-प्रोन्नति होती है, उसे बिहार सरकार संशोधित करते हुए अपने राज्य के शिक्षकों को भी अन्य राज्यकर्मियों तरह एमएसीपी का लाभ दे रही है। लेकिन झारखंड में स्कूली साक्षरता विभाग के शिक्षकों के लिए एमएसीपी लाभ देने की पॉलिसी निर्धारित नहीं की गई है। वहीं झारखंड सरकार की शपथ पत्र दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि नियमावली 1993 के तहत एमएसीपी का लाभ इन शिक्षकों को नहीं दिया जा सकता है। इसपर प्रार्थी की ओर से कहा गया कि बिहार सरकार की ओर से राज्य सरकार भी नियमावली में संशोधन कर सकती है।

बता दें कि कि प्रार्थीगण जामताड़ा जिला में सहायक शिक्षक के पद पर वर्ष 2004-5 से कार्यरत हैं। इनकी ओर से वर्ष 2023 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि जिस नियमावली से इनकी नियुक्ति-प्रोन्नति होती है, उसके तहत बिहार सरकार शिक्षकों को भी अन्य राज्यकर्मियों तरह एमएसीपी का लाभ दे रही है, लेकिन यह लाभ झारखंड में स्कूली साक्षरता विभाग के शिक्षकों को नहीं मिल रहा है। प्रार्थी सहायक शिक्षक किरण कुमारी हेम्ब्रम व अन्य की ओर से याचिका दायर गयी है। उन्होंने एमएसीपी का लाभ दे की मांग की है।

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