रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रेप और हत्या मामले में एकमात्र गवाह के बयानों में विरोधाभास को देखते हुए निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को रद्द करते हुए मिथिलेश कुमार सिंह और सुनील चौबे को बरी कर दिया। हाईकोर्ट रेप और हत्या के एक कथित मामले में दोषसिद्धि के एक ही निर्णय से उत्पन्न दो आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर रहा था, जहां सूचक पीड़ित महिला की पुत्री थी।

उसने अपने प्रारंभिक बयान और विरोध याचिका में जिन व्यक्तियों का नाम लिया था, उनके बीच विसंगति थी। अपने फैसले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की बेंच ने कहा कि ऐसे मामले में जहां अकेले गवाह की गवाही विश्वास पैदा करती है और यह पूरी तरह से विश्वसनीय है, यह दोषसिद्धि और सजा का फैसला सुनाने का आधार हो सकता है।

लेकिन इस मामले के तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि विरोधाभासी बयानों के आधार पर किसी अन्य पुष्टि के बिना भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिए दोषसिद्धि और सजा का फैसला रद्द किया जाता है। दरअसल चतरा जिले के वशिष्ठ नगर थाना में मिथिलेश कुमार सिंह और सुनील चौबे के खिलाफ एक महिला के दुष्कर्म और उसकी हत्या का आरोप लगाते हुए कांड संख्या 9/2000 दर्ज किया गया था।

करीब दो वर्षों तक चले ट्रायल के बाद चतरा सिविल कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया था। सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट का रुख करते हुए अपील दाखिल की थी। अपीलकतार्ओं की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार चतुवेर्दी और राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक पंकज कुमार ने पक्ष रखा।

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