काठमांडू। नेपाल और चीन के बीच बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव कार्यान्वयन समझौते पर हालिया हस्ताक्षर के बाद दोनों देशों के मध्य रेलमार्ग निर्माण पर हलचल तेज हो गई है। इस समझौते में चीन की सीमा करूंग से काठमांडू को जोड़ने के लिए रेलमार्ग निर्माण की परियोजना को शामिल किया गया है।दोनों देशों के विभिन्न मंत्रालयों से जुड़े उच्चस्तरीय कर्मचारियों की मौजूदगी में हुई चर्चा में रेलवे परियोजना की प्री-फिजिबिलिटी स्टडी के दौरान आने वाली समस्याओं और समाधानों की तलाश की गई। नेपाल परिवहन मंत्रालय के सचिव केशव कुमार शर्मा के नेतृत्व में टीम चीन के शंघाई पहुंची है।
शर्मा के साथ इस टीम में परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव भीमार्जुन अधिकारी, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, कानून मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव शामिल हैं।शंघाई में शुक्रवार से शुरू हुई बैठक रविवार तक चली। चीन की टीम ने बताया कि काठमांडू-केरुंग रेलवे का निर्माण चुनौतीपूर्ण है। इस बैठक में काठमांडू करूंग रेलमार्ग के प्री फिजीबिलिटी अध्ययन में शामिल चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी चाइना रेलवे फर्स्ट सर्वे एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट के तकनीशियनों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।बैठक में सहभागी परिवहन मंत्रालय के संयुक्त सचिव भीमार्जुन अधिकारी ने कहा कि इस पूरे रेलमार्ग पर 98 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी होने के कारण निर्माण लागत काफी महंगी होने वाली है।
बैठक में चीनी पक्ष ने बताया कि भौगोलिक परिस्थितियों के कारण करीब 95 फीसदी मार्ग में सिर्फ सुरंगों और पुलों का ही निर्माण होगा।अध्ययन के हिस्से के रूप में वर्तमान में काठमांडू, नुवाकोट और रसुवा में मिट्टी का परीक्षण किया जा रहा है। रेलवे लाइन के संभावित स्थान पर ड्रिलिंग कर भूमिगत मिट्टी निकालने का अध्ययन किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि व्यवहार्यता अध्ययन पूरा होने के बाद सभी विषय आ जाएंगे। ड्रिल करने में अभी और समय लगेगा।नेपाल ने चीनी अधिकारियों को सूचित कर दिया है कि अध्ययन के लिए आवश्यक प्रशासनिक सहायता प्रदान की जाएगी। नेपाल की टीम ने रेलवे का अध्ययन कर रहे फर्स्ट सर्वे एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट की तकनीकी टीम से अलग से बातचीत की। बताया गया कि अध्ययन दल में शामिल तकनीशियन ने अध्ययन के दौरान आने वाली छोटी-मोटी समस्याओं का मामला उठाया और इसके समाधान के लिए समन्वय स्थापित करने को तैयार हैं।