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    Home»विशेष»2024 में ऐसे चली भारत की सियासत एक्सप्रेस
    विशेष

    2024 में ऐसे चली भारत की सियासत एक्सप्रेस

    shivam kumarBy shivam kumarDecember 26, 2024Updated:December 27, 2024No Comments13 Mins Read
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    मोदी की हैट्रिक, हेमंत सोरेन का डबल और नीतीश की पलटी
    -जनवरी से लेकर दिसंबर तक सियासी मौसम ने कई रंग दिखाये
    -केंद्र से लेकर राज्यों को जनता ने आईना भी दिखाया
    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    कई खट्टी-मीठी यादें लिये साल 2024 खत्म होनेवाला है। इस साल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, यानी भारत के लोग कई अहम राजनीतिक घटनाओं के गवाह बने। यही वह साल रहा, जब लोकसभा चुनाव हुए और 62 साल बाद देश में किसी पार्टी ने लगातार तीसरी बार सरकार बनायी। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और पंडित जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी की। लोकसभा के अलावा आठ राज्यों के विधानसभा चुनाव भी इसी साल हुए। इसी साल देश की राजधानी में राजनीतिक संकट खड़ा हुआ, जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल चले गये। ऐसा ही कुछ घटनाक्रम झारखंड में भी हुआ। झारखंड में भी इतिहास बना, जब हेमंत सोरेन लगातार दूसरी बार स्पष्ट बहुमत वाली सरकार के मुखिया बने। हिमाचल प्रदेश में भी सरकार के सामने संकट आया। तेलंगाना और ओड़िशा में नयी पार्टियों को सत्ता मिली। इन तमाम सियासी घटनाक्रमों के बीच भारत की 140 करोड़ की आबादी ने साल के शुरू में अपने इस महान देश के सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण के दौर की शुरूआत देखी, जब अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन किया गया। साल 2024 के दौरान देश में हुई कुछ प्रमुख सियासी घटनाओं का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    जनवरी: बनने लगा आम चुनाव का माहौल
    साल की शुरूआत से ही लोकसभा चुनाव की हलचल तेज हो गयी। प्रधानमंत्री मोदी साल की शुरूआत होते ही दक्षिण के राज्यों में पहुंचे। उन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले कई मंदिरों में दर्शन किया। इसके साथ ही दक्षिणी राज्यों में रोड शो भी किया। कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे भाजपा का मिशन दक्षिण बताया। जनवरी के मध्य में महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करने वाला एक बड़ा घटनाक्रम हुआ। शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला हुआ। अयोग्यता का फैसला महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनाया, जिसका आदेश उच्चतम न्यायालय ने दिया था। स्पीकर ने उद्धव गुट की दलीलें खारिज कर दीं और शिंदे गुट को असली शिवसेना माना। महीने के अंत में बिहार ने एक बार फिर नीतीश कुमार को गठबंधन बदलते देखा गया। नीतीश कुमार ने बिहार सीएम के पद से इस्तीफा देकर भाजपा के साथ नयी सरकार बना ली। यह पहली बार नहीं था, जब नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के साथ आये। इससे पहले तीन बार जदयू ने साथी बदले थे, लेकिन दिलचस्प है कि नीतीश कुमार हर बार मुख्यमंत्री रहे। भले उनकी पार्टी के विधायकों की संख्या उनके सहयोगी से कम रही हो। जनवरी के अंत में ही झारखंड में बड़ी उठापटक हुई। हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद झामुमो और कांग्रेस गठबंधन ने सोरेन सरकार में परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया।

    फरवरी: चंपाई बने सीएम, तो मोदी ने किया जीत का दावा
    इस महीने की शुरूआत में झारखंड की राजनीति सबसे ज्यादा सुर्खियों में रही। हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपाई सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री बने। उनके साथ दो और मंत्रियों ने भी शपथ ली। महीने की शुरूआत में ही अपने तीसरे कार्यकाल की भविष्यवाणी करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अबकी बार 400 पार का नारा दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए यह नारा दिया था। चुनाव आयोग ने अजित पवार वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को ही असली एनसीपी करार दिया। छह महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद आयोग ने एनसीपी में विवाद का निपटारा कर दिया। फरवरी में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने वाली सोनिया गांधी नेहरू-गांधी खानदान की तीसरी सदस्य बन गयीं। इससे पहले इस खानदान से उमा नेहरू और इंदिरा गांधी राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुनी गयी थीं। फरवरी मध्य में देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनावी बांड पर बड़ा निर्णय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी। न्यायालय ने इलेक्टोरल बांड योजना की आलोचना की और कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। महीने के अंत में हिमाचल प्रदेश में सियासी उठापटक हुई। इसकी शुरूआत राज्यसभा चुनाव से हुई, जिसमें छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसके चलते बिना आवश्यक संख्या के भाजपा ने अपने प्रत्याशी हर्ष महाजन को कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ जिता लिया। क्रॉस वोटिंग से सुक्खू सरकार भी संकट में आ गयी, हालांकि यह संकट बाद में टल गया।

    मार्च : आम चुनाव की तारीखों की घोषणा
    लोकसभा चुनाव से पहले देश में मार्च में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गयीं। इसी कड़ी में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ, जब चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी एनडीए में वापस आ गयी। 2014 का चुनाव दोनों दलों ने साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन 2018 आते-आते दोनों के रास्ते अलग हो गये थे। उधर हरियाणा में दो बड़ी राजनीतिक घटनाएं घटीं। भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी का चार साल चार महीने पुराना गठबंधन टूट गया। गठबंधन टूटने के साथ ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन भी हुआ। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। 16 मार्च को चुनाव आयोग ने लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया। तारीखों के एलान के साथ ही आम चुनाव के लिए सियासी बिगुल बज गया और राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतर आये। मार्च का अंत दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबत लेकर आया। प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने दिल्ली शराब नीति घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। यह पहली बार था, जब कोई मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुआ।

    अप्रैल: आम चुनाव के लिए मतदान शुरू
    इस महीने की शुरूआत में भी लोकसभा चुनाव की सरगर्मी रही। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने न्याय पत्र, तो भाजपा ने संकल्प पत्र के नाम से अपना घोषणा पत्र जारी किया। पहले दो चरण के लोकसभा चुनाव भी अप्रैल में हुए। इसके साथ ही नितिन गडकरी, नकुल नाथ, राहुल गांधी, शशि थरूर, हेमा मालिनी समेत कई दिग्गजों की सियासी किस्मत इवीएम में कैद हो गयी। इसी महीने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा चुनाव के लिए मतदान कराया गया।

    मई: चुनावी बुखार में तपता देश
    इस महीने की पहली बड़ी राजनीतिक खबर रायबरेली सीट से राहुल गांधी की उम्मीदवारी का एलान रही। नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने रायबरेली सीट से राहुल गांधी को अपना उम्मीदवार घोषित किया। मई महीना आम आदमी पार्टी के लिए एक राहत भी लेकर आया जब दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल गई। दिल्ली के सीएम को यह राहत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिली। तीसरे, चौथे, पांचवें और छठे चरण के लोकसभा चुनाव भी मई में कराये गये।

    जून: लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने मोदी
    जून महीने का आगाज सातवें चरण के लोकसभा चुनाव से हुआ। सातवें चरण के मतदान के साथ ही एक जून को अलग-अलग मीडिया चैनलों और सर्वे एजेंसियों की तरफ से एग्जिट पोल जारी किये गये। सभी सर्वे में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को प्रचंड बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया। चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आये, जिसने एग्जिट पोल के अनुमानों को धता बताया। चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंकाया। भाजपा बहुमत से दूर 240 सीटों तक ही पहुंच पायी। वह सहयोगी दलों की मदद से 293 तक पहुंची। वहीं विपक्षी इंडी गठबंधन ने 240 सीटें जीत कर एनडीए को कड़ी टक्कर दी। नतीजों के बाद नौ जून को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। लोकसभा चुनाव 2024 से साथ अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओड़िशा के विधानसभा चुनाव के परिणाम आये। आंध्रप्रदेश में वाइएसआर की जगह टीडीपी-भाजपा-जन सेना पार्टी के गठबंधन की सरकार बनी और चंद्रबाबू नायडू सीएम बने। ओड़िशा में बीजू जनता दल की जगह भाजपा की सरकार बनी और मोहन चरण मांझी को राज्य की कमान मिली। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने अपनी सत्ता को बरकरार रखा और पेमा खांडू फिर मुख्यमंत्री बने। सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने अपनी सरकार बरकरार रखी और प्रेम सिंह तमांग राज्य के मुखिया बने।

    जुलाई: सुर्खियों में झारखंड और राज्यों के उप चुनाव
    इस महीने की शुरूआत में झारखंड में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन चर्चा का विषय रहा। जेल से रिहा हुए हेमंत सोरेन ने तीसरी बार राज्य के सीएम पद की शपथ ली। इससे पहले चंपाई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। इसी महीने सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव के लिए मतदान हुआ। इनमें सबसे ज्यादा चार सीटें पश्चिम बंगाल की रहीं। हिमाचल प्रदेश की तीन, तो उत्तराखंड की दो सीटों पर भी वोट डाले गये। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद पहली बार चुनाव हुए। केंद्र की सत्ताधारी भाजपा को इस चुनाव में नुकसान हुआ। विपक्षी गठबंधन को 13 में से 10 सीटों पर जीत मिली। हिमाचल और मध्य प्रदेश एक-एक सीट पर भाजपा और बिहार में एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते। हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर भी चुनाव जीतने में सफल रहीं।

    अगस्त: वक्फ संशोधन विधेयक पर टकराव
    इस महीने के आरंभ में संसद में पेश हुआ वक्फ संशोधन विधेयक चर्चा में रहा। कांग्रेस और सपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। वहीं सरकार का कहना था कि इस विधेयक के जरिये वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जायेगा। सरकार ने बाद में इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश कर दी। इसी महीने आप को एक बड़ी राहत मिली, जब दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। अगस्त में ही कर्नाटक का मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) भूमि घोटाला चर्चा में रहा। इसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती बीएम और अन्य पर आरोप लगे। महीने के मध्य में चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया। इस महीने भी झारखंड में चुनाव से पहले सियासी उठापटक हुई। झामुमो के कद्दावर नेता रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल हो गये। उन्होंने झामुमो में खुद का अपमान होने की बात कह कर पार्टी से अलग राह तलाश ली।

    सितंबर: केजरीवाल को मिली जमानत
    यह महीना आम आदमी पार्टी के लिए फिर एक बड़ी राहत लाया, जब इसके मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गयी। दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद केजरीवाल जेल से बाहर आ गये। आप नेता को यह राहत सुप्रीम कोर्ट ने दी। केजरीवाल से पहले आप के कई बड़े नेताओं को इसी मामले में जमानत मिल चुकी थी, जिसमें मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर भी शामिल हैं। एक देश, एक चुनाव पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी भी सितंबर में मिली। विधि मंत्रालय के एक सौ दिवसीय एजेंडे के हिस्से के रूप में कैबिनेट के सामने यह रिपोर्ट पेश की गयी थी, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गयी। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए। सितंबर में दो चरण में राज्य में मतदान कराया गया।

    अक्तूबर: हरियाणा में भाजपा ने रचा इतिहास
    इस महीने की शुरूआत में हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे सुर्खियों में रहे। हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा ने इतिहास रचा और हरियाणा के गठन के बाद पहली बार भाजपा पहली ऐसी पार्टी बन गयी, जिसने लगातार तीसरी बार सरकार बनायी। नायब सिंह सैनी दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। वहीं जम्मू कश्मीर की सत्ता में 10 साल बाद नेशनल कांफ्रेंस की वापसी हुई। फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में बहुमत हासिल किया। इसके अलावा कुछ निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों ने भी सरकार को समर्थन दिया। केंद्र शासित प्रदेश की कमान उमर अब्दुल्ला ने संभाली। अक्तूबर के मध्य में चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी। इसके साथ ही देश भर में 14 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों और दो राज्यों की दो लोकसभा सीटों पर उप चुनाव भी तय कर दिया। इसमें राहुल गांधी द्वारा खाली की गयी वायनाड लोकसभा सीट और अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट भी शामिल रही। इस महीने की बड़ी सियासी घटना कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की लोकसभा उप चुनाव के लिए उम्मीदवारी भी रही। प्रियंका ने मां सोनिया गांधी, भाई राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए पर्चा भरा।

    नवंबर: झारखंड में हेमंत ने बनाया रिकॉर्ड
    इस महीने की ज्यादातर सुर्खियां महाराष्ट्र और झारखंड के नाम रहीं। झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में विधानसभा चुनाव हुए। 20 तारीख को ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए सभी 288 सीटों पर मतदान कराया गया। 23 नवंबर को झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आये। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को हरा कर बहुमत हासिल किया। वहीं, महाराष्ट्र में एक बार फिर महयुति सरकार की प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई। झारखंड पहला ऐसा राज्य बना, जहां इंडी गठबंधन की सरकार वापस आयी। हेमंत सोरेन ने यह अनोखी उपलब्धि हासिल की। नवंबर में ही केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव के नतीजे आये। कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने बड़ी जीत दर्ज की। करीब साढ़े तीन दशक का खुद का राजनीतिक अनुभव बताने वाली प्रियंका पहली बार चुनावी राजनीति में दाखिल हुईं और पहले ही चुनाव में सफलता हासिल की। इसी महीने की आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव की हलचल भी तेज हो गयी। आम आदमी पार्टी ने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। इस सूची में छह नाम ऐसे हैं, जो बीते 25 दिन के अंदर ही कांग्रेस या भाजपा से आप में आये थे। पार्टी ने 2020 में हारे तीन उम्मीदवारों पर भी फिर से भरोसा जताया। महीने के अंत में हेमंत सोरेन की ताजपोशी चर्चा के केंद्र में रही। वह चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही उनकी चौथी पारी शुरू हो गयी।

    दिसंबर: महाराष्ट्र रहा सियासी सुर्खियों में
    इस महीने की खबरें महाराष्ट्र के नाम रहीं। 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 11 दिनों तक महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर संशय बना रहा। उधर निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाराज होने की खबरें भी आती रहीं। मुंबई से दिल्ली तक की बैठकों के बीच भाजपा ने तय किया कि उसके नेता देवेंद्र फडणवीस राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। पांच दिसंबर को फडणवीस ने तीसरी बार महाराष्ट्र की सत्ता की कुर्सी संभाली। वहीं उनकी कैबिनेट में एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुंबई में हुए शपथ ग्रहण समारोह में एनडीए का शक्ति प्रदर्शन भी दिखा। इसी महीने संसद के हंगामेदार शीतकालीन सत्र भी लगातार चर्चा में रहा। एक देश एक चुनाव का बिल लोकसभा में पेश हुआ और जेपीसी में भेजा गया। उधर राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने की घटना भी सुर्खियों में रही। दिसंबर में ही आम आदमी पार्टी की दूसरी, तीसरी और चौथी सूची की चर्चा रही।

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