रामगढ़। अमन साहू गैंग के कुख्यात अपराधी मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा उर्फ सुनील कुमार को छत्तीसगढ़ पुलिस ने पांच दिन की रिमांड पर लिया है। मयंक सिंह पर छत्तीसगढ़ राज्य में भी गंभीर आपराधिक वारदातों को अंजाम देने का आरोप है। उसने अपने गुर्गों के माध्यम से गोलीबारी कराकर रेलवे साइडिंग के एक ठेकेदार से रंगदारी की मांग की थी। इस मामले में रामगढ़ पुलिस और एटीएस की पूछताछ के दौरान मयंक सिंह ने अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी।

उसके इकबालिया बयान के आधार पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसे छत्तीसगढ़ की रेल अदालत में पेश करने का आदेश प्राप्त किया। इसके बाद मयंक सिंह को रिमांड पर लेने के लिए रामगढ़ व्यवहार न्यायालय में याचिका दायर की गई। आनन-फानन में पुलिस ने अदालत से अनुमति मांगी। पुलिस की कार्रवाई इतनी तेज रही कि मयंक सिंह के वकीलों को इस पर आपत्ति दर्ज कराने का अवसर तक नहीं मिल सका।

जेल में रहते हुए भी रच रहा था बड़ी साजिश
अमन साहू गैंग से जुड़े मयंक सिंह को पुलिस एक बेहद शातिर अपराधी मान रही है। रामगढ़ जेल में बंद रहने के बावजूद उसने जिले में दहशत फैलाने की कोशिश शुरू कर दी थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार पतरातू प्रखंड क्षेत्र में वह किसी बड़े कांड को अंजाम देने की साजिश रच रहा था। रामगढ़ पुलिस को इसकी भनक लगते ही सतर्कता बढ़ा दी गई। बताया जा रहा है कि पतरातू, भुरकुंडा, भदानीनगर और बरकाकाना इलाके के कई ठेकेदारों की सूची मयंक सिंह और उसके गिरोह के लोगों तक पहुंच चुकी थी।

पुलिस और जेल प्रशासन पर अधिवक्ता ने लगाए गंभीर आरोप
मयंक सिंह के अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने बुधवार को ऑनलाइन रायपुर उच्च न्यायालय में अपनी ओर से पक्ष रखा। सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने रामगढ़ पुलिस और जेल प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जब रिमांड के लिए पुलिस ने अदालत में अर्जी दाखिल की, तब अधिवक्ताओं को समय पर सूचना नहीं दी गई और उन्हें रिमांड याचिका पर आपत्ति जताने का मौका भी नहीं मिला।

अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि 23 दिसंबर की रात जेल मैनुअल की अनदेखी करते हुए मयंक सिंह को अचानक छत्तीसगढ़ भेज दिया गया। मामले को लेकर अब रायपुर उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।-

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