नेपीडॉ। म्यांमार में निर्वाचित सरकार के तख्तापलट के करीब पांच साल बाद रविवार को सैन्य प्रशासन जुंटा के नियंत्रण में तीन चरणों में राष्ट्रीय चुनाव कराए जाने की शुरूआत हुई।सेना के सख्त नियंत्रण वाले इस चुनाव में विपक्ष गैर मौजूद है, व्यापक स्तर पर गृहयुद्ध के चलते सीमित क्षेत्र में यह मतदान हो रहा है, जिसकी वैधता पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख और पश्चिमी देश इसे सैन्य शासन को मजबूत करने का बहाना बता रहे हैं। जबकि सेना का दावा है कि यह चुनाव लोकतंत्र की वापसी का रास्ता तैयार करेगा।
करीब पांच करोड़ आबादी वाले म्यांमार में सैन्य शासन के नियंत्रण वाले इलाकों में तीन चरणों में होने वाले मतदान का पहला दौर स्थानीय समयानुसार आज सुबह छह बजे शुरू हुआ। मतदान का दूसरा चरण 11 जनवरी और तीसरा चरण 25 जनवरी को होगा। करीब पांच साल से गृहयुद्ध से जूझ रहे म्यांमार के विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाकों में मतदान नहीं हो रहा है। म्यांमार की कुल 330 में से करीब 65 संसदीय ऐसी सीटें हैं जिनपर मतदान नहीं हो रहा है। खास बात यह है कि मतों की गिनती के बारे में तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख पश्चिमी देशों ने इस चुनाव की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि चुनाव सैन्य समर्थकों के पक्ष में तैयार किया गया है और असहमति पर सख़्त कार्रवाई की जा रही है।
इससे पहले जुंटा ने मतदान से पहले पर्यापत सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से एक नए कानून के तहत सैकड़ों उन लोगों को गिरफ्तार किया जिनपर चुनाव बाधित करने या इसकी आलोचना करने वालों को आपराधिक कृत्य करार देता है। मतदान के दौरान भी सेना ने विरोधियों के खिलाफ अपने अभियान जारी रखे हैं।
म्यांमार की चुनी हुई सरकार के तख्तापलट के करीब पांच साल बाद सैन्य जुंटा ने मतदान शुरू कराया। यह चुनाव फरवरी 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से जुंटा की ओर से करवाया जा रहा पहला चुनाव है। सेना समर्थित यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डवलपमेंट पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी बनने की संभावना जताई जा रही है।
यह चुनाव ऐसे समय पर हो रहा है जब देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू और उनके समर्थक नेता तब से जेल में जब साल 2021 में सेना ने उनकी सरकार का तख्तापलट किया था। उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) भंग कर दी गई। वे और उनकी पार्टी राजनीतिक प्रक्रिया से बाहर है। म्यांमार में तख्तापलट के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक स्तर पर शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन गृहयुद्ध में बदल गया जो अबतक जारी है।

