नई दिल्ली। भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम ने 2025 को एक बेहद सफल वर्ष के रूप में समाप्त किया। इस वर्ष जूनियर टीम ने ने सिर्फ मजबूत प्रदर्शन किया, बल्कि दो प्रमुख पदक (रजत और कांस्य) भी हासिल किए। इस वर्ष सफल अभियान की नींव टीम के कोच पीआर श्रीजेश के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष आयोजित गहन राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों की एक श्रृंखला के माध्यम से रखी गई थी। इन शिविरों के माध्यम से कोच ने एक टीम का गठन किया और खिलाड़ियों को इस साल के अंत में तमिलनाडु में हुए हुए ह़ॉकी जूनियर विश्व कप 2025 की ओर बढ़ते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार किया।

भारत की प्रतिस्पर्धी तैयारियों की शुरुआत जून में हुए फोर नेशंस टूर्नामेंट से हुई, जिसने यूरोपीय देशों की मजबूत टीमों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण तैयारी का मौका दिया। मेजबान जर्मनी, स्पेन और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों का सामना करते हुए भारतीय जूनियर टीम ने अपनी रणनीति का परीक्षण किया और टूर्नामेंट में तीसरा स्थान हासिल किया। तीसरे/चौथे स्थान के मैच में ऑस्ट्रेलिया पर 2-1 की महत्वपूर्ण जीत दर्ज की। इस टूर्नामेंट ने टीम को बहुमूल्य मैच अनुभव और रणनीति संयोजनों को लेकर स्पष्टता प्रदान की, जिससे टीम ने विश्व कप की तैयारियों को जारी रखा।

सुल्तान ऑफ जोहोर कप में जीता रजतइसके बाद टीम ने इस लय और सीख को अक्टूबर में आयोजित सुल्तान ऑफ जोहोर कप 2025 में बरकरार रखा, जहां भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता। टीम ने ग्रेट ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और मलेशिया पर महत्वपूर्ण जीत दर्ज की और पाकिस्तान के खिलाफ 3-3 से ड्रॉ खेला। लीग चरण में अच्छे प्रदर्शन के बाद टीम फाइनल में पहुंची। हालांकि फाइनल मुकाबले में भारत ने 59वें मिनट में एक दुर्भाग्यपूर्ण गोल खा लिया और ऑस्ट्रेलिया से 1-2 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

हॉकी जूनियर विश्व कप में हासिल किया कांस्य पदक सभी तैयारियों के दम पर टीम ने तमिलनाडु में आयोजित एफआईएच हॉकी पुरुष जूनियर विश्व कप 2025 में भाग लिया, जहां जूनियर टीम ने घरेलू मैदान पर एक यादगार प्रदर्शन किया। भारत ने पूल चरण में चिली, ओमान और स्विट्जरलैंड पर तीन आसान जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की और नॉकआउट राउंड में प्रवेश किया।क्वार्टर फाइनल निर्णायक साबित हुआ, क्योंकि भारतीय टीम ने धैर्य बनाए रखते हुए शूटआउट में बेल्जियम को 4-3 से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली। गोलकीपर प्रिंस दीप सिंह ने शूटआउट में दो महत्वपूर्ण बचाव करके शानदार कौशल और साहस का परिचय दिया और भारत को टूर्नामेंट में आगे बढ़ने में मदद की। दुर्भाग्यवश, भारतीय टीम सेमीफाइनल में जर्मनी से 1-5 से हार गईं, लेकिन तीसरे/चौथे स्थान के प्लेऑफ में उसने दृढ़ निश्चय दिखाया और अर्जेंटीना के खिलाफ अविश्वसनीय वापसी करते हुए कांस्य पदक हासिल किया।

महत्वपूर्ण मौकों पर खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जैसे-जैसे साल आगे बढ़ा, भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम एक स्थिर और आत्मविश्वासी इकाई के रूप में उभर कर सामने आई, जिसमें कई खिलाड़ियों ने महत्वपूर्ण मौकों पर शानदार प्रदर्शन किया। कप्तान रोहित पूरे सीजन में एक सशक्त लीडर के रूप में उभरे और साथ ही उन्होंने अपने ड्रैगफ्लिकिंग कौशल को भी निखारा, जो महत्वपूर्ण मैचों में एक अहम हथियार साबित हुआ। आक्रमण में दिलराज सिंह और अर्शदीप सिंह ने लगातार अच्छा स्कोर किया, जिससे भारत को फॉरवर्ड लाइन में मजबूती मिली। डिफेंस में प्रिंस दीप सिंह एक भरोसेमंद खिलाड़ी के रूप में परिपक्व हुए और दबाव वाली स्थितियों में संयमित प्रदर्शन किया। अनमोल एक्का टीम के मुख्य खिलाड़ी बनकर उभरे, जो खेल को नियंत्रित करते हुए मिडफील्ड से डिफेंस और अटैक को जोड़ते थे।

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