रांची। पथ निर्माण विभाग के रिटायर्ड अभियंता प्रमुख रासबिहारी सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच तेज कर दी है। एसीबी फिलहाल उनकी कुंडली और उनके द्वारा खरीदी गयी संपत्ति का ब्यौरा इकट्ठा कर रही है। यह जानकारी भी जुटा रही है कि उन्होंने रिटायरमेंट से पहले अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कहां-कहां और कितनी चल और अचल संपत्ति खरीदी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रास बिहारी सिंह ने पथ निर्माण विभाग में रहते रांची के अलग-अलग इलाकों में फ्लैट और जमीन में इनवेस्ट किया है। सिर्फ रातू रोड इलाके में उन्होंने 5 अलग-अलग जमीन की रजिस्ट्री करवाई है। सभी रजिस्ट्री अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर करवायी है, जिसका मार्केट वैल्यू करोड़ों रुपये है। इतना ही नहीं रांची के ग्रामीण इलाकों में भी 3 बड़े भूखंड खरीदे हैं।
रातू रोड इलाके में खरीदी गयी जमीन का विवरण
वर्ष 2011 में डीड संख्या 2359 के माध्यम से बजरा में लगभग 11.50 लाख रुपये सरकारी दर की भूमि वर्ष 2010 में डीड संख्या 6934 के माध्यम से काजू बागान में लगभग 15 लाख रुपये सरकारी दर की भूमि
वर्ष 2010 में डीड संख्या 6938 के माध्यम से काजू बागान में 6 लाख रुपये से ज्यादा की सरकारी दर की भूमि
वर्ष 2010 में डीड संख्या 6943 के माध्यम से हेहल में लगभग 33 लाख रुपये की सरकारी दर की भूमि
वर्ष 2013 में ही डीड संख्या 4321 के माध्यम से हेहल में करीब 15 लाख रुपये से ज्यादा की सरकारी दर की भूमि
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था जांच का आदेश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख रहे रासबिहारी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से जांच कराने का आदेश दिया था। इससे पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज आइआर संख्या- 06/17 में आरोपी के विरुद्ध आय की तुलना में 199 प्रतिशत अधिक संपत्ति पायी गयी थी। एसीबी द्वारा पीइ दर्ज करने के बिंदु पर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रस्ताव पर सीएम ने अनुमोदन कर दिया था। पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन अभियंता प्रमुख को राज्य सरकार ने जनवरी 2020 में निलंबित कर दिया था। इसके अलावा रास बिहारी सिंह पर एक फर्जी कंपनी को 51.62 करोड़ रुपये के टेंडर के लिए भी जिम्मेदार बताया गया था।
पथ निर्माण में इंजीनियर रहते रासबिहारी सिंह ने 3 साल में 8 प्लॉट खरीदे
रांची। पथ निर्माण विभाग के रिटायर्ड अभियंता प्रमुख रासबिहारी सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच तेज कर दी है। एसीबी फिलहाल उनकी कुंडली और उनके द्वारा खरीदी गयी संपत्ति का ब्यौरा इकट्ठा कर रही है। यह जानकारी भी जुटा रही है कि उन्होंने रिटायरमेंट से पहले अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कहां-कहां और कितनी चल और अचल संपत्ति खरीदी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रास बिहारी सिंह ने पथ निर्माण विभाग में रहते रांची के अलग-अलग इलाकों में फ्लैट और जमीन में इनवेस्ट किया है। सिर्फ रातू रोड इलाके में उन्होंने 5 अलग-अलग जमीन की रजिस्ट्री करवाई है। सभी रजिस्ट्री अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर करवायी है, जिसका मार्केट वैल्यू करोड़ों रुपये है। इतना ही नहीं रांची के ग्रामीण इलाकों में भी 3 बड़े भूखंड खरीदे हैं।
रातू रोड इलाके में खरीदी गयी जमीन का विवरण
वर्ष 2011 में डीड संख्या 2359 के माध्यम से बजरा में लगभग 11.50 लाख रुपये सरकारी दर की भूमि वर्ष 2010 में डीड संख्या 6934 के माध्यम से काजू बागान में लगभग 15 लाख रुपये सरकारी दर की भूमि
वर्ष 2010 में डीड संख्या 6938 के माध्यम से काजू बागान में 6 लाख रुपये से ज्यादा की सरकारी दर की भूमि
वर्ष 2010 में डीड संख्या 6943 के माध्यम से हेहल में लगभग 33 लाख रुपये की सरकारी दर की भूमि
वर्ष 2013 में ही डीड संख्या 4321 के माध्यम से हेहल में करीब 15 लाख रुपये से ज्यादा की सरकारी दर की भूमि
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था जांच का आदेश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख रहे रासबिहारी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से जांच कराने का आदेश दिया था। इससे पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज आइआर संख्या- 06/17 में आरोपी के विरुद्ध आय की तुलना में 199 प्रतिशत अधिक संपत्ति पायी गयी थी। एसीबी द्वारा पीइ दर्ज करने के बिंदु पर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रस्ताव पर सीएम ने अनुमोदन कर दिया था। पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन अभियंता प्रमुख को राज्य सरकार ने जनवरी 2020 में निलंबित कर दिया था। इसके अलावा रास बिहारी सिंह पर एक फर्जी कंपनी को 51.62 करोड़ रुपये के टेंडर के लिए भी जिम्मेदार बताया गया था।