रामगढ़। रामगढ़ की कांग्रेस विधायक ममता देवी को गोला गोलीकांड के दो मामलों में पांच साल की सजा मिली है, साथ ही उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा है। अब उनकी विधायकी भी जायेगी, क्योंकि प्रावधानों के अनुसार किसी विधायक को दो साल या उससे ऊपर की सजा मिलने के बाद उसकी विधायकी रद्द हो जाती है। जिस दिन कोर्ट के आदेश की कॉपी विधानसभा अध्यक्ष को मिल जायेगी, उसी दिन उनकी विधायकी समाप्त हो जायेगी। यहां बता दें कि ममता देवी के पहले बंधु तिर्की, योगेंद्र प्रसाद, अमित महतो, निजामुद्दीन अंसारी, कमल किशोर भगत, एनोस एक्का, मधु सिंह की भी विधायकी जा चुकी है। मधु सिंह की विधायकी उनके चुनाव परिणाम को चुनौती देने के कारण हाइकोर्ट से समाप्त हुई थी। विदेश सिंह ने चुनौती दी थी। उनके बाद विदेश सिंह को विधायक घोषित किया गया था। बाकी के विधायकों की सदस्यता आपराधिक मामलों में दोषी करार दिये जाने के कारण समाप्त हुई।
बंधु तिर्की
इसी साल मांडर से विधायक रहे बंधु तिर्की की सदस्यता समाप्त हो गयी। उन्हें सीबीआइ ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया था। सीबीआइ कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनायी थी। उसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गयी। उसके बाद मांडर से चुनाव हुआ, जिसमें उनकी बेटी नेही शिल्पी तिर्की ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की।
निजामुद्दीन अंसारी
राजधनवार के विधायक निजामुद्दीन अंसारी को 2013 में गिरिडीह कोर्ट ने एक मामले में दो साल की सजा सुनायी थी। उसके बाद विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी थी।
कमल किशोर भगत
लोहरदगा से आजसू विधायक कमल किशोर भगत को 2015 में रांची के सुप्रसिद्ध डॉक्टर केके सिन्हा के साथ मारपीट मामले में सात साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गयी थी। उसके बाद उनकी विधायकी समाप्त हो गयी थी। कमल किशोर भगत की जगह अगले चुनाव में उनकी पत्नी नीरू शांति भगत आजसू की तरफ से उम्मीदवार बनीं, लेकिन उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
योगेंद्र प्रसाद
गोमिया से झामुमो विधायक योगेंद्र प्रसाद को जनवरी 2018 में कोयला चोरी के मामले में तीन साल की सजा हुई और उनकी विधायकी रद्द हो गयी। उसके बाद उस सीट पर चुनाव हुआ, जिसमें उनकी पत्नी विधायक बनीं। बाद के चुनाव में वह आजसू के लंबोदर महतो से चुनाव हार गयीं। बता दें कि योगेंद्र प्रसाद भी पहले आजसू में ही थे। वह सुदेश महतो के काफी करीबी थे। चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने आजसू छोड़ झामुमो की सदस्यता ले ली और चुनाव जीत गये।
अमित महतो
मार्च 2018 में सिल्ली विधायक अमित महतो को सिल्ली सीओ के साथ मारपीट और उनकी गाड़ी क्षतिग्रस्त करने के मामले में दो साल की सजा मिली और उन्हें भी विधायक पद से हाथ धोना पड़ा। उसके बाद हुए चुनाव में उनकी पत्नी सिल्ली से विधायक बनीं। फिर 2019 के चुनाव में उन्हें आजसू के सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने हरा दिया।
एनोस एक्का
कोलेबिरा विधायक एनोस एक्का को जुलाई 2018 में एक पारा शिक्षक मनोज कुमार की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा मिली और उनकी विधायकी खत्म हुई।
इससे पहले पांकी से विधायक रहे मधु सिंह की विधायकी गयी थी। उनके प्रतिद्वंद्वी विदेश सिंह ने उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने उनकी विधायकों को रद्द कर दिया था। विदेश सिंह एक महीने के लिए विधायक बने थे। हालांकि बाद में चुनाव होने पर विदेश सिंह फिर वहां से चुनाव जीते। बाद के दिनों में उनकी मौत के बाद उनके पुत्र मध्यावधि चुनाव में विधायक बने थे। पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी और आॅक्सफोर्ड स्कूल के सीएमडी डॉ एसबीपी मेहता ने हरा दिया।