-चंद्रशेखर और सुधाकर सिंह को लेकर जदयू-राजद के रिश्तों में खटास
-नीतीश और तेजस्वी के बीच हर दिन बढ़ती जा रही है दूरी
बिहार में करीब पांच महीने पुरानी महागठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच का रिश्ता समय बीतने के साथ हर दिन कड़वा होता जा रहा है। हालत यहां तक पहुंच गयी है कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से कई दिनों से बात तक नहीं की है। इसका कारण पहले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह की सीएम पर टिप्पणी और फिर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरित मानस के बारे में कही गयी विवादित बात है। ये दोनों राजद के हैं। सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं और लालू यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। उधर चंद्रशेखर भी लालू यादव के करीबी हैं। सुधाकर सिंह ने तो मंत्री पद छोड़ दिया, लेकिन चंद्रशेखर के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इधर जदयू का कहना है कि इन दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई किये बिना आगे का सफर मुश्किल हो सकता है। राजद ने सुधाकर सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, लेकिन जदयू इससे संतुष्ट नहीं है। उसने कहा है कि केवल नोटिस से काम नहीं चलेगा। राजद को एक्शन लेना होगा। महागठबंधन में जारी तनाव का यही मूल कारण है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर भी नीतीश और तेजस्वी के बीच मतभेद उभर कर सामने आये हैं। राजद नेताओं का कहना है कि जदयू नेताओं के चहेते अधिकारियों को मलाइदार पोस्टिंग दी जा रही है, जो गठबंधन के लिए घातक हो सकता है। बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दलों के बीच जारी इस तनातनी के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
बिहार में महागठबंधन सरकार के पांच महीने पूरे होनेवाले हैं, लेकिन जदयू-राजद नेताओं के बीच रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। पूर्व कृषि मंत्री और विधायक सुधाकर सिंह राजद के गले की फांस बनते जा रहे हैं। सुधाकर सिंह सीएम नीतीश कुमार को लेकर तीखे शब्दों में हमला कर रहे हैं और उन्हें ‘शिखंडी’ तक बता दिया। जदयू नेता ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के सहयोगी जीतनराम मांझी ने तेजस्वी यादव से सुधाकर सिंह पर एक्शन लेने की मांग उठा दी है। उधर जदयू नेता श्रवण कुमार ने भी कहा है कि सुधाकर सिंह पर एक्शन लेना जरूरी है।
सुधाकर सिंह राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। वह रामगढ़ से राजद के विधायक हैं और महागठबंधन सरकार में कृषि मंत्री थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृषि नीतियों की आलोचना करके जदयू नेताओं के निशाने पर आ गये थे। ऐसे में सुधाकर सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके चलते जगदानंद सिंह भी नाराज हो गये थे और उन्होंने राजद कार्यालय आना छोड़ दिया था। तेजस्वी यादव दो महीने के बाद किसी तरह उन्हें मनाकर पार्टी दफ्तर लाने में सफल हुए थे।
सुधाकर सिंह ने सीएम नीतीश को लेकर क्या कहा
पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह सीएम नीतीश कुमार पर मुखरता से हमला जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा और कर्पूरी ठाकुर जैसे लोग हैं, जिन्हें बिहार के लोग हमेशा याद रखेंगे। हमारे नेता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का भी यही हाल है, जिन्होंने प्रदेश के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन नीतीश कुमार का नाम इतिहास में नहीं होगा। वह बिल्कुल याद नहीं रहेंगे। वह शिखंडी की तरह हैं, जिसकी अपनी कोई हैसियत नहीं है। सुधाकर सिंह ने कहा है कि तेजस्वी यादव आज बिहार के मुख्यमंत्री नहीं हैं, तो इसके लिए नीतीश कुमार दोषी हैं। नीतीश कुमार ‘नाइट वॉचमैन’ के रूप में आये थे कि दो-चार महीने वह मुख्यमंत्री रहेंगे और फिर तेजस्वी यादव सीएम बन जायेंगे। आज चार से पांच महीना होने जा रहा है, तो इसके लिए दोषी नीतीश कुमार हैं। उनसे पूछा जाना चाहिए कि आप तेजस्वी को सीएम क्यों नहीं बनने दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को तुरंत पद छोड़ देना चाहिए और उन्हें तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद की पेशकश करनी चाहिए।
यह पहली बार नहीं है, जब सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। इससे पहले भी अक्टूबर 2022 में अपने विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर टिप्पणी करने के बाद उन्हें राज्य के कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद से ही वह नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। हालांकि इस बार उनके बयान को लेकर सिर्फ जदयू ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के सहयोगी और राजद के नेता भी नाराज हैं और सुधाकर सिंह पर महागठबंधन में दरार डालने का आरोप लगा रहे हैं।
शिवानंद तिवारी ने सुधाकर के बयान की निंदा की
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के विरुद्ध राष्ट्रीय जनता दल के विधायक सुधाकर सिंह का बयान घोर निंदनीय है। ऐसा बयान महागठबंधन की एकता के लिए अत्यंत घातक है। राजद सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में गठबंधन को चलाने की सबसे अहम जवाबदेही उसके कंधों पर है। ऐसा लगता है कि सुधाकर सिंह ने जान-बूझकर गठबंधन को तोड़ने के मकसद से इस तरह का बयान दिया है। शिवानंद तिवारी ने सुधाकर सिंह के भाजपा के साथ पुराने संबंधों की याद दिलायी और कहा कि इस मामले में जगदानंद सिंह को ही अब दखल देना चाहिए।
सुधाकर के बयान पर जदयू ने दी चेतावनी
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने विधायक को समझायें और बतायें कि राजनीति में भाषा की मर्यादा की बड़ी अहमियत होती है। वह उस शख्सियत को ‘शिखंडी’ कह रहे हैं, जिन्होंने बिहार को उस खौफनाक मंजर से मुक्ति दिलाने की ‘मर्दानगी’ दिखायी। वह भी तब, जब उसके खिलाफ कुछ भी बोलने के पहले लोग दायें-बायें झांक लेते थे। ऐसे बयानों से प्रदेश की लाखों-करोड़ों जनता और जदयू के कार्यकर्ताओं की भावना को चोट पहुंचती है। ऐसे बयानों पर जितनी जल्दी रोक लगे, महागठबंधन के लिए और शायद राजद के लिए भी उतना ही सही होगा।
उधर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अभद्र टिप्पणी करके सुधाकर सिंह ने साबित कर दिया है कि भले ही वह राजद में हों, लेकिन उनकी आत्मा आज भी उनके पुराने दल भाजपा के साथ ही है। ऐसे में राजद की जवाबदेही बनती है कि अविलंब सुधाकर सिंह पर कार्रवाई करे। यही गठबंधन धर्म का पालन होगा। इस तरह से राजद से लेकर महागठबंधन के सहयोगियों तक ने सुधाकर सिंह को लेकर सख्त रुख अपना रखा है, लेकिन सुधाकर सिंह अपने बयान पर कायम हैं और उपेंद्र कुशवाहा को उनके पुराने बयान की याद दिला रहे हैं।
सुधाकर सिंह ने किया पलटवार
सुधाकर सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को याद दिलायी कि किस तरह से नीतीश कुमार ने उनका अपमान किया था। सुधाकर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मुझे ठीक ठीक याद है कि आपने 9 दिसंबर 2011 को नीतीश कुमार को तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताते हुए जदयू से इस्तीफा दे दिया था। उस समय मुझे भी आपके इस वक्तव्य पर आश्चर्य हुआ था, पर आज दूरदर्शिता पर गर्व महसूस होता है। 2018-2019 में आपने नीतीश के कार्यकाल को बिहार का सबसे खराब दौर कहा था। उस समय शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी थी। आपकी नजर में नीतीश कुमार सरकार चलाने के लायक नहीं थे। चार वर्ष पहले आपके द्वारा आयोजित की गयी ‘नीतीश हटाओ भविष्य बचाओ पदयात्रा’ आज भी हमारे जैसे साधारण कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। वह जल्द पूरी होगी।
चंद्रशेखर के बयान ने आग में घी डाला
इसी बीच इस तनाव में उस समय कुछ वृद्धि हो गयी, जब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी। इससे न केवल जदयू, बल्कि राजद के कई नेता भी नाराज हो गये। सभी ने एक स्वर से चंद्रशेखर को पद से हटाने की मांग कर दी। राजद ने उन्हें नोटिस जरूर थमाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी असहज महसूस करने लगे हैं।
ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर भी दरार
इसी बीच राज्य में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर भी महागठबंधन में दरार पैदा हो गयी। बताया जाता है कि राजद नेताओं ने अपने चहेते अधिकारियों की सूची तेजस्वी को दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन सभी पदों पर जदयू नेताओं के चहेते अधिकारियों की पोस्टिंग कर दी। इतना ही नहीं, नव पदस्थापित अधिकारी अब राजद नेताओं को तरजीह नहीं दे रहे हैं। कहा जाता है कि तेजस्वी यादव इससे खासा नाराज हैं।
महागठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दलों के बीच जारी इस तनातनी का परिणाम क्या निकलता है, यह तो समय बतायेगा, लेकिन इसका असर सामान्य प्रशासन पर दिखाई देने लगा है। अब हालत यह है कि सरकार के अंदर का समन्वय पूरी तरह बेपटरी हो चुका है। इस गाड़ी को दोबारा पटरी पर सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी कैसे लाते हैं, यह देखना काफी दिलचस्प होगा।