-सरकार से पूछा सवाल, खूंटी व अड़की पुलिस से भी मांगी स्टेटस रिपोर्ट
-घोटाले में आइएएस पूजा सिंघल की भूमिका की जांच को लेकर दायर की गयी है याचिका
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। मनरेगा घोटाले में खूंटी की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल की भूमिका की जांच को लेकर दायर अरुण कुमार दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को हुई। हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि खूंटी में मनरेगा घोटाला मामला में कितने केस एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में दर्ज किये गये और इन केस की अनुसंधान की वर्तमान स्थिति क्या है? इसकी अद्यतन स्थिति प्रस्तुत की जाए। खूंटी और अड़की थाना पुलिस से भी कोर्ट ने पूछा है कि मनरेगा घोटाले में कितने केस दर्ज किये गये हैं और उसकी क्या स्थिति है।
कोर्ट ने सीबीआइ के अधिवक्ता से पूछा कि क्या इस मामले की जांच कराने को सीबीआइ तैयार है, इस पर सीबीआइ के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि कोर्ट के आदेश का पालन होगा। वहीं सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया की अगली सुनवाई में हाइब्रिड मोड में सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल इस मामले में पैरवी करेंगे। अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी।
बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मामले में सीबीआइ को प्रतिवादी बनाया था। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की। उनकी ओर से अदालत को बताया कि खूंटी में मनरेगा योजनाओं में अभी 200 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी मिली है। उस दौरान पूजा सिंघल खूंटी के डीसी थीं। इस मामले में खूंटी जिला के विभिन्न पुलिस थानों में 16 प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। बाद में खूंटी पुलिस से जांच लेकर एसीबी को सौंपा गया। एसीबी से पूरे मामले की जांच करायी गयी, लेकिन उसमें तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल की भूमिका की जांच नहीं की गयी। उपायुक्त के द्वारा ही चेक पर हस्ताक्षर किया जाता था। उनकी भूमिका की इडी से जांच कराने का आग्रह किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने खूंटी की तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल की भूमिका की जांच कराने की मांग की है।
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