-शराब घोटाले के कारण राज्य को 450 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान का आरोप
रांची। पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर शराब घोटाले के कारण राज्य को 450 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का आरोप लगाया है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार ही भ्रष्टाचार के लिए बनी है। इसने कोई भी क्षेत्र नहीं छोड़ा है, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शराब घोटाले की संभावना को लेकर बार-बार उन्हें आगाह किया था। इसके बाद भी मुख्यमंत्री नहीं चेते। श्री मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री याद रखें कि गड़बड़ियों को नहीं रोकेंगे तो एक दिन उन्हें भी इसकी सजा भुगतनी होगी। उन्होंने कहा कि पसंदीदा कंपनियों को शराब के टेंडर में शामिल कराए जाने और काम लेने को यहां के अफसरों ने साजिश की दलाली हुई, रि-टेंडर हुआ कहा गया कि इससे राज्य को 2300 करोड़ की आय होगी इसकी बजाये पता लगा कि राज्य को 450 करोड़ का घाटा हो चुका है। प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह, योगेंद्र प्रताप सिंह, मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक उपस्थित थे। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पिछले वर्ष 18 अप्रैल, 19 अप्रैल और 9 दिसंबर 2022 को भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शराब के टेंडर घोटाले के लिए सचेत किया। ए टू जेड इंफ्रा सर्विसेज लि. प्राइम वन वर्कफोर्स प्रालि, सुमित फैसिलिटिज लि और इंगल हंटर सलूशन लि जैसी चार कंपनियों को टेंडर में लाभ दिए जाने की कोशिश हुई। उन्हें ही काम मिला भी पर कई दफा चेताने के बावजूद ना तो अफसरों पर कार्रवाई हुई, ना सीएम ने संज्ञान लिया, जब पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में इडी ने छापा मारा और झारखंड सरकार के सचिव और आयुक्त को नोटिस मिला तब वास्तविकता सामने आयी। एक ओर सरकार ने 450 करोड़ रुपया रिकवर करने का नोटिस संबंधित एजेंसियों को दिया है और दूसरी ओर काम भी लिया जाता है। कायदे से जिन लोगों ने सरकार को गलत सलाह दिया, उस पर संज्ञान लेना चाहिये था। कायदे से इनपर एफआइआर होना चाहिये था। मुख्यमंत्री ने भी ध्यान नहीं दिया जिससे उनकी संलिप्तता भी दिखती है। जब जांच एजेंसियां (इडी) मुख्यमंत्री को किसी मामले में पूछताछ के लिए बुलाती है, तो वे खुद के आदिवासी होने का रोना रोने लगते हैं। पर लूट के लिए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है, अगर उनकी लिखी चिट्ठी पर मुख्यमंत्री रिस्पॉन्स नहीं लेते तो कम से कम पूर्व सीएम होने के नाते या फिर राज्य के एक जागरूक नागरिक होने के नाते इस पर संज्ञान लेते। इसकी बजाय उन्हें पत्रवीर का दर्जा दे दिया गया है। जनता ने इसी काम के लिए उन्हें चुन कर भेजा है। पार्टी ने विधायक दल का नेता बनाया है। इससे साबित होता है कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री की मिलीभगत है। वहीं बाबूलाल मरांडी ने छात्रों पर हुई लाठीचार्ज पर कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचारी ही नहीं अत्याचारी भी है।