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    Home»Breaking News»आपातकाल की यातनाएं बता सकती हैं लोकतंत्र की अहमियत : प्रधानमंत्री
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    आपातकाल की यातनाएं बता सकती हैं लोकतंत्र की अहमियत : प्रधानमंत्री

    azad sipahiBy azad sipahiJune 18, 2023No Comments5 Mins Read
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    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में आपातकाल के दौरान राजनीतिक बंदियों को दी गई यातनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल में हमें लोकतंत्र के खिलाफ हुए इस अपराधों को याद रखना चाहिए।

    प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के 102वें एपिसोड में कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों और संविधान को सर्वोपरि मानते हैं। ऐसे में हम 25 जून को कभी नहीं भुला सकते। यह वही दिन है जब हमारे देश पर आपातकाल थोपा गया था। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने आपातकाल का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान अत्याचार किया गया था। इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी मन सिहर उठता है। इन अत्याचारों पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं। स्वयं उन्हें भी पुस्तक लिखने का मौका मिला। कुछ दिनों पहले उन्होंने ऐसी एक पुस्तक देखी ‘टॉर्चर ऑफ़ पॉलीटिकल प्रिजनर्स इन इंडिया’। पुस्तक में वर्णन किया गया है कि इमरजेंसी के दौरान कैसे उस समय की सरकार लोकतंत्र के रखवालों पर क्रूरता से व्यवहार कर रही थी। इसके बारे में जानकार आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।

    प्रधानमंत्री ने आज जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन, निक्षय मित्र, पेड़ लगाने की मियावाकी पद्धति, जम्मू-कश्मीर में बढ़ता डेयरी उद्योग, खिलाड़ियों के हालिया प्रदर्शन, छत्रपति शिवाजी महाराज, योग दिवस, जगन्नाथ यात्रा, आपातकाल जैसे कई विषयों पर अपने विचार रखे। प्रधानमंत्री ने आज आपदा के समय भारत के लोगों के सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति और चुनौतियों का हल निकालने की क्षमता की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 दिन पहले बिपरजॉय तूफान के दौरान हमने यही ताकत देखी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तूफान की तबाही से कच्छ के लोग बहुत तेजी से उभर जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत की आपदा प्रबंधन क्षेत्र में बड़ी ताकत अब दुनिया के लिए एक उदाहरण बन गई है।

    जल संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का सबसे अच्छा तरीका प्रकृति का संरक्षण है। उन्होंने कहा कि ‘कैच द रैन’ जैसे अभियानों से देश आज इस दिशा में सामूहिक प्रयास कर रहा है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की विलुप्त नदी ‘नील नदी’ को जीवंत करने का प्रयास। महाराष्ट्र के निलवांडे डैम की नहर का काम पूरा होने से जुड़ी लोगों की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नदी, नहर, सरोवर केवल जलस्रोत नहीं बल्कि इनसे जीवन में रंग और भावनाएं जुड़ी होती हैं।

    छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके सुशासन और प्रबंध कौशल से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनके जल प्रबंधन, नौसेना और जलदुर्ग जैसे कार्य इतिहास का गौरव बढ़ा रहे हैं।

    ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने क्षय रोग यानी टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से चलाई गई निक्षय मित्र योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2025 तक भारत को टीवी मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है। इसमें समाज बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। 10 लाख से ज्यादा टीबी मरीजों को गोद लिया जा चुका है और यह काम 85 हजार निक्षय मित्रों ने किया है।

    प्रधानमंत्री ने जापान की मियावाकी पद्धति के माध्यम से कम उपजाऊ भूमि को हरा-भरा करने की दिशा में भारत में हो रहे प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि केरल के राफी रामनाथ ने इस पद्धति के माध्यम से एक हर्बल गार्डन बनाया है। इसे उन्होंने विद्यावनम् नाम दिया है। इस तकनीक से शहरों में भी आसानी से पेड़ पौधे लगाए जा सकते हैं।

    जम्मू-कश्मीर में श्वेत क्रांति की शुरुआत की बात कहते हुए प्रधानमंत्री ने बारामुला जिले में बढ़ते डेयरी उद्योग की जानकारी दी। उन्होंने ‘मीर सिस्टर डेयरी’ फार्म का उदाहरण दिया। यह डेयरी फार्म हर दिन करीब डेढ़ सौ लीटर दूध की बिक्री कर रहा है। पिछले दो-तीन वर्षों में यहां 500 से ज्यादा डेयरी यूनिट लगी है।

    पिछले महीने से जुड़ी हुई खेल उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमारे खिलाड़ियों के लिए बेहद खास रहा है। महिला जूनियर एशिया कप, जूनियर एशिया कप, जूनियर शूटिंग वर्ल्ड कप, एशिया अंडर-20 एथलेटिक चैंपियनशिप का उदाहरण दिया। इन सबके पीछे कारण राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताएं हैं। जहां इन खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभाओं को दिखाने का अवसर मिल रहा है।

    प्रधानमंत्री ने लोगों से अपने दैनिक जीवन में योग अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि इस बार के योग दिवस वाले दिन वे संयुक्त राष्ट्र में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि योग के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं करनी पड़ती और इसे कभी भी जीवन में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 21 जून को इस संबंध में संकल्प लेने का अवसर है।

    प्रधानमंत्री ने पुरी में हर वर्ष आयोजित होने वाली जगन्नाथ यात्रा को एक भारत श्रेष्ठ भारत का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि 20 जून को ऐतिहासिक रथ यात्रा का दिन है। इस यात्रा का एक विशिष्ट दुनिया में पहचान है। देश के अलग-अलग राज्यों से बहुत धूमधाम से पकवान रथ यात्रा निकाली जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात कई देशवासियों के लिए नई प्रेरणा बनी है। उन्होंने प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना आनंदा शंकर जयंत से प्राप्त पत्र का उल्लेख किया। उन्हें मन की बात के एपिसोड से स्टोरी टेलिंग के बारे में पता चला और उससे प्रेरित होकर उन्होंने ‘कुट्टी कहानी’ तैयार की है। यह बच्चों के लिए अलग-अलग भाषाओं में कहानियों का बेहतरीन संग्रह है।

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