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    Home»राज्य»शक्ति-सिद्धि के लिए गुप्त साधना, 27 जून तक गुलजार रहेगा विंध्य पर्वत
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    शक्ति-सिद्धि के लिए गुप्त साधना, 27 जून तक गुलजार रहेगा विंध्य पर्वत

    adminBy adminJune 23, 2023No Comments4 Mins Read
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    – माता का हाथी पर आगमन व प्रस्थान शुभ, भक्तों के लिए अद्भुत संकेत
    – धन, संतान सुख के साथ शत्रु से मुक्ति दिलाने में कारगर है गुप्त नवरात्र
    – किसी खास मनोकामना की पूजा के लिए तंत्र साधना का मार्ग लेने का है पर्व

    मीरजापुर। गुप्त नवरात्र…। इस बार हाथी पर सवार होकर आईं मां भगवती हाथी पर ही सवार होकर जाएंगी। यह भक्तों के लिए अद्भुत संकेत है। मां भगवती श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना और आराधना जुटे भक्तों को शत्रु से मुक्ति दिलाने के साथ कष्ट हरेंगी ही, तंत्र-मंत्र-साधना में जुटे साधकों को भी शक्ति व सिद्धि प्राप्त होगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार गुप्त नवरात्र में अच्छी बरसात होने के संकेत मिल रहे हैं और अच्छी पैदावार के साथ सुख-समृद्धि के भी संकेत बन रहे हैं।

    विंध्य दरबार में चल रहा अनुष्ठान
    आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी के पावन दरबार में गुप्त नवरात्र के दौरान वर्तमान में कई यज्ञ और अनुष्ठान चल रहे हैं और मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए मंदिर में दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। ऐसे में गुप्त नवरात्र के प्रथम दिन से विंध्य पर्वत गुलजार है, जो 27 जून नवमी तक रहेगा।

    अद्भुत संयोग…
    आचार्य डा. रामलाल त्रिपाठी ने बताया कि गुप्त नवरात्र के दिनों में अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग के शुभ संयोग हैं। इन शुभ योगों में ज्वेलरी, वाहन, भूमि, प्रापर्टी आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार 19 जून को वृद्धि योग, 20 को त्रिपुष्कर योग, 21 जून को राजयोग, 22 जून को रवि योग, 23 जून को कुमार योग, 24 जून को रवि योग, 25 जून को रवि योग, राजयोग, त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग तथा 27 को रवि योग के साथ भड़ली नवमी अबूझ मुहूर्त रहेगा।

    कठोर अनुशासन के साथ व्रत
    गुप्त नवरात्र में मां भगवती के साधक व्रत के कठोर अनुशासन का पालन करते हैं और कठिन आराधना करते हैं। मान्यता है कि इन दिनों गलत कार्यों से दूर रहकर पूजा पूर्ण करनी चाहिए और किसी के अहित के बारे में नहीं सोचना चाहिए।

    अच्छी पैदावार के साथ सुख समृद्धि के संकेत
    ज्योतिषाचार्य के अनुसार माता का हाथी पर आना और प्रस्थान करना शुभ माना जा रहा है। हाथी की सवारी होने से ज्यादा और अच्छी बरसात होने के संकेत मिल रहे हैं। अच्छी पैदावार के साथ सुख समृद्धि के संकेत भी बन रहे हैं।

    गुप्त नवरात्र का महत्व
    धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र का बड़ा ही महत्व है। मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्र की तरह ही पूजन करने का विधान है। गुप्त नवरात्र किसी खास मनोकामना की पूजा के लिए तंत्र साधना का मार्ग लेने का पर्व है। गुप्त नवरात्र धन, संतान सुख के साथ शत्रु से मुक्ति दिलाने में भी कारगर है।

    पूजा गुप्त रखने की धारणा
    साधकों के लिए गुप्त नवरात्र बेहद खास होती है। गुप्त नवरात्र पर पूजा और व्रत रखने वाले अपनी पूजा गुप्त को रखते हैं। इसके पीछे धारणा है कि पूजा गुप्त रखने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है।

    गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की होती है पूजा
    देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनकी अराधना के लिए वर्ष में दो बार बड़े स्तर पर नवरात्र पर्व मनाया जाता है। इसमें देवी मां के अलम-अलग नौ रूपों की उपासना की जाती है। इस नवरात्र को चैत्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है, लेकिन वर्ष में दो बार नवरात्र ऐसे भी आते हैं जब मां दुर्गा की दस महाविद्याओं यथा मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, मां तारा, मां त्रिपुरा, मां भैरवी मातंगी, मां कमला, मां त्रिपुरा सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है।

    देवता, गंधर्व, यक्ष एवं किन्नर सभी करते हैं देवी की आराधना
    विंध्याचल के आचार्य दीनबंधु मिश्र ने बताया कि गुप्त नवरात्र में साधक विशेष रूप से देवी की आराधना करते हैं। देवता, गंधर्व, यक्ष एवं किन्नर सभी देवी की आराधना करते हैं। नवरात्र की तरह ही सब विधि-विधान गुप्त नवरात्र में भी किया जाता है तथा भक्तों को इसका फल भी उसी प्रकार से प्राप्त होता है।

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