Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»चीन की नजरों से दूर 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एयरबेस का अपग्रेडेशन शुरू
    देश

    चीन की नजरों से दूर 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एयरबेस का अपग्रेडेशन शुरू

    adminBy adminAugust 13, 2023No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    – एएलजी पर बनाया जा रहा है लड़ाकू हवाई अभियानों के लिए 2.7 किमी लंबा कंक्रीट रनवे
    – भारतीय वायु सेना की रणनीतिक गहराई में इजाफा करेगा न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड

    नई दिल्ली। चीन सीमा से 50 किमी. से कम दूरी पर भारत ने लद्दाख के हवाई क्षेत्र को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। इसके लिए न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर लड़ाकू अभियानों के लिए 2.7 किमी लंबा कंक्रीट रनवे बनाया जा रहा है। यह 13,700 फीट की ऊंचाई पर चीन की नजरों से दूर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र होगा। यह एयरबेस चीन सीमा पर एलएसी के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण भी है।

    पूर्वी लद्दाख सीमा के पास 18 सितंबर 2009 को शिलान्यास किये गए न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड करने का फैसला चीनी बुनियादी ढांचे की विकास गतिविधियों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के आदेश पर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लड़ाकू जेट संचालन की सुविधा के लिए पूर्वी लद्दाख के न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करने का निर्माण कार्य शुरू किया है। यहां बुनियादी ढांचे के साथ 2.7 किमी का कंक्रीट रनवे बनाया जाना है, जो 20 महीने से भी कम समय में पूरा हो जाएगा। कंक्रीट रनवे बनने के बाद यहां से लड़ाकू विमान उड़ान भर सकेंगे।

    न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का मौजूदा रनवे वास्तव में मिट्टी से बना है, जहां केवल सी-130जे जैसे विशेष परिवहन विमानों और हेलीकॉप्टरों को उतारा जा सकता है। कंक्रीट का नया रनवे बन जाने पर न्योमा से भारी परिवहन विमान भी संचालित हो सकेंगे, जो भारतीय वायु सेना की रणनीतिक गहराई में इजाफा करेगा। सूत्रों ने यह भी कहा कि 13,700 फीट पर स्थित न्योमा एएलजी दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र होगा, इसलिए लड़ाकू इंजनों को इतनी ऊंचाई से संचालित करने में सक्षम बनाने के लिए बदलाव किया जा रहा है। चीन सीमा से 50 किमी. से कम दूरी पर न्योमा एयरबेस अपग्रेड होने के बाद क्षेत्र में लड़ाकू और प्रमुख परिवहन विमानों के संचालन करने में आसानी होगी।

    दरअसल, लेह और थोइस के अलावा लद्दाख में लड़ाकू विमानों के लिए एक वैकल्पिक ऑपरेटिंग बेस की जरूरत महसूस की गई, क्योंकि मौसम की स्थिति ने इन दोनों अड्डों की परिचालन क्षमता को प्रभावित किया था। इसके लिए भारतीय वायु सेना ने लद्दाख में स्थित दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), न्योमा और फुकचे का अध्ययन किया, ताकि यह समझा जा सके कि इनमें से किसका इस्तेमाल लड़ाकू अभियानों के लिए किया जा सकता है। फिलहाल 16,600 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई युद्ध क्षेत्र होने के बावजूद डीबीओ इसलिए बेहतर नहीं माना गया, क्योंकि यह होने से चीनियों की दृश्य परिधि के भीतर है।

    दूसरी तरफ, फुकचे में रनवे का विस्तार करने और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण की क्षमता सीमित थी, इसलिए पलड़ा न्योमा के पक्ष में झुक गया। न्योमा का पक्ष उसके मौसम ने भी मजबूत किया, जो पूरे वर्ष में अधिकतर चालू रहता है। हालांकि, यहां चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के चलते पर्यावरणीय मंजूरी से संबंधित एक समस्या सामने आई, क्योंकि यह किआंग या तिब्बती जंगली गधे और दुर्लभ काली गर्दन वाले क्रेन का घर है। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पर्यावरण मंजूरी हासिल करने के लिए विस्तार योजनाओं पर फिर से काम किया, जो कुछ शर्तों के साथ पूरी होने पर न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के अपग्रेड होने का रास्ता साफ़ हो गया।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleआदिकांत महतो बने लालपुर के नए थाना प्रभारी
    Next Article ज्ञानवापी में बाबा के दर्शन की इच्छा के साथ हिन्दमोटर में सामूहिक रुद्राभिषेक
    admin

      Related Posts

      विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह

      June 7, 2025

      ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात

      June 7, 2025

      प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

      June 6, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version