रांची: विदेशी फंड पाने वाली एनजीओ सरकार विरोधी मुहिम और धर्मांतरण में लगी हैं। एफसीआरए यानी विदेशी फंड लेने की योग्य ऐसी 88 एनजीओ चिह्नित की गयी हैं, जो इस मुहिम में लगी हैं। राज्य सरकार के खुफिया विभाग ने इस संबंध में सरकार को एक रिपोर्ट इसी सप्ताह सौंपी है। रिपोर्ट में विदेशी फंड पाने वाली इन एनजीओ को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
इसाई बनने के लिए डाला जा रहा है दबाव
खुफिया विभाग की रिपोर्ट में जिक्र है कि एफसीआरए के तहत रजिस्टर्ड संस्थाओं के द्वारा विभिन्न जिलों में निजी अस्पताल, स्कूल और शेल्टर होम चलाये जा रहे हैं। इन एनजीओ द्वारा आदिवासी लड़कियों को नर्स का प्रशिक्षण दिला कर इसाई बनने के लिए दबाव डाला जा रहा। कई संस्थाओं के द्वारा भोले भाले लोगों को प्रलोभन देकर भी धर्मांतरण के लिए दबाव डाला जा रहा।
सरकार विरोधी मुहिम में लग रहा पैसा
रिपोर्ट में जिक्र है कि एफसीआरए के तहत प्राप्त राशि का पैसा सरकार विरोधी रैली, धरना प्रदर्शन में भी लगाया जा रहा। खुफिया विभाग ने सरकार से अनुशंसा की है कि इन संस्थाओं का निबंधन विभाग या महालेखाकार कार्यालय से विशेष आॅडिट कराया जा सकता है। गलतियां पाये जाने पर भारत सरकार से एफसीआरए रद्द करने की अनुशंसा भी की जा सकती है। एफसीआरए रद्द होने पर ये संस्थाएं बाहर से फंड नहीं ले पायेंगी। सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि इनमें से कई संस्थाओं के खिलाफ ओड़िशा पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है।
सरकार विरोधी आंदोलनों को हवा देती रही हैं मिश्नरियां
राज्य के कई गैर इसाई आदिवासी संगठनों का कहना है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट मे संशोधन के विरोध की आड़ मे मिशनरियां अपनी स्वाथ सिद्धि में लगी हुई हैं। पिछले 17 मई को हुई आदिवासी सेंगल महारैली के आयोजन के पीछे भी इसाई मिशनरियां ही थीं। तब भी खुफिया विभाग ने इससे संबंधित रिपोर्ट सरकार को सौंपते हुए कई संस्था, मिशनरी और नामों की सूची सौंपी थी। इसमें छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की कई संस्थाओं के नाम शामिल थे। इसके पहले सात अप्रैल को हुई रैली ने भी इन्हीं लोगों ने सारा खर्च उठाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन संस्थाओं द्वारा अभियान चलाकर गांव-कस्बों में बैठक कर सरकारी विरोधी मुहिम को हवा दी जा रही है।