नई दिल्ली: विपक्ष पर नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा से भागने के कारण गढ़ने का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस कदम की आलोचना करने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर चुटकी ली और कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वह इससे अप्रसन्न हैं क्योंकि ‘‘अधिकांश कालाधन उनके शासनकाल में ही पैदा हुआ था।’’ नोटबंदी से जीडीपी वृद्धि में 2 प्रतिशत गिरावट आने की सिंह की दलील को सिरे से खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बड़े नोटों को अमान्य करने के कदम का मध्यम से दीर्घकालिक तौर पर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि छाया अर्थव्यवस्था का धन मुख्यधारा में आ जायेगा।
जेटली ने कहा कि जिनके शासनकाल में इतना अधिक कालाधन पैदा हुआ और घोटाले हुए, उन्हें इसमें बड़ी भूल नहीं दिखाई दी लेकिन अब वे कालाधन के खिलाफ युद्ध को भूल के रूप में देखते हैं, लूट कहते हैं। जेटली की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में सामने आई है तब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज राज्यसभा में कहा कि उनकी अपनी राय है कि राष्ट्रीय आय, जो कि इस देश का सकल घरेलू उत्पाद है, इस फैसले के कारण दो फीसदी कम हो सकती है। इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि इसे जिस तरह से लागू किया जा रहा है, वह प्रबंधन की विफलता है और यह ‘‘संगठित और कानून लूट-खसोट का मामला है।’’
पूरी चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के उपस्थित रहने पर विपक्ष के जोर देने के कारण दो बार के स्थगन के बाद राज्यसभा की कार्यवाही आज दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। जेटली ने कामकाज बाधित रहने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे चर्चा करने में कोई रुचि नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा, “सरकार का रूख पहले दिन से ही स्पष्ट है और वह चर्चा करने के लिए तैयार है.. विपक्ष चर्चा को टालने के लिए बहाने तलाश रहा है लेकिन आज सुबह उन्हें तब आश्चर्य हुआ जब हमने घोषणा की कि प्रधानमंत्री आज चर्चा में हिस्सा लेंगे।’’ जेटली ने संवाददाताओं से कहा, “अब वे चर्चा से बचने के लिए बहाने तलाश और गढ़ रहे हैं।’’
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए जेटली ने आरोप लगाया कि सबसे अधिक कालाधन 2004 से 2014 के दौरान पैदा हुआ और यह समय 2जी और कोयला घोटाले जैसे विभिन्न घोटालों से भरा हुआ था। उन्होंने कहा, “हमें आश्चर्य नहीं हो रहा है कि उन्हें सरकार की ओर से कालाधन के खिलाफ उठाये गए कदम पसंद नहीं आ रहे हैं। जिन लोगों को अपने कार्यकाल के दौरान इतना अधिक कालाधन पैदा होना और घोटाले होना बड़ी भूल नहीं लगता है, वे अब कालाधन के खिलाफ युद्ध को भूल बता रहे हैं।’’ नोटबंदी के निर्णय का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने पर जोर देते हुए जेटली ने कहा, “इसका मध्यम और दीर्घ काल में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। काफी मात्रा में छाया धन बैंकिंग प्रणाली का हिस्सा बन जायेगा।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम के कारण बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी जो किसानों, सामाजिक क्षेत्र और उद्योगों को दिया जा सकेगा।
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार और वर्तमान राजग सरकार की तुलना करते हुए जेटली ने कहा कि पूर्व की सरकार ‘नीतिगत पंगुता’ की शिकार थी और इसलिए कड़े फैसले नहीं कर पाती थी जबकि मोदी सरकार ऐसा कर रही है। जेटली को नोटबंदी के फैसले की जानकारी नहीं होने जबकि भाजपा के कुछ नेताओं को पता होने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, “यह फैसला गोपनीय रखा गया। जिन लोगों को इसकी जानकारी होने की जरूरत थी, उन्हें पता था.. इस बारे में आरोपों में विरोधाभास है कि भाजपा के कुछ लोगों को पता था.. जैसे कि मैं भाजपा सदस्य हूं ही नहीं।’’
जेटली ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि नोटबंदी की घोषणा होने के बाद आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल ने मीडिया को संबोधित नहीं किया। उन्होंने कहा कि ‘‘कार्यालय के लोग काम करते हैं और कैमरे के सामने नहीं आते।’’ नोटबंदी के फैसले को देशहित में उठाया गया कदम करार देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने सही कदम उठाया है और इसे सही ढंग से लागू कर रही है तथा इसका बचाव करेगी। उन्होंने कुछ विपक्षी दलों की जेपीसी जांच की मांग को भी खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी जांच शुरू करने के लिए कुछ साक्ष्य होने चाहिए।