Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, June 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»(लोकसभा चुनाव) बनगांव : मतुआ समुदाय के गढ़ में फिर खिल सकता है कमल
    देश

    (लोकसभा चुनाव) बनगांव : मतुआ समुदाय के गढ़ में फिर खिल सकता है कमल

    adminBy adminApril 8, 2024No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    कोलकाता। पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में चुनावी दंगल दिलचस्प है। इस बार लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू कर दिया है जो पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रहने वाले बांग्लादेश के शरणार्थी हिंदू समुदाय “मतुआ” लोगों के लिए सबसे बड़ा तोहफा है। इस समुदाय का गढ़ है बनगांव लोकसभा सीट। यहां से 2019 में भी भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार शांतनु ठाकुर को जीत मिली थी और इस बार भी बहु प्रतीक्षित नागरिकता अधिनियम का कानून लागू होने के बाद उम्मीद भाजपा के ही पक्ष में है।

    भाजपा ने शांतनु ठाकुर को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। तृणमूल कांग्रेस भी इस बात को भली-भांति समझ चुकी है इसलिए 2019 की उम्मीदवार ममता बाला ठाकुर को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। उनकी जगह विश्वजीत दास को टिकट दिया है। उनका मतुआ समुदाय में बहुत अधिक पैठ नहीं है इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा के लिए लड़ाई और आसान हो गई है। कांग्रेस ने इस सीट पर प्रदीप विश्वास को उम्मीदवार बनाया है। वाम दलों की ओर से फिलहाल यहां उम्मीदवार नहीं उतारे जाने की उम्मीद है क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन वाम मोर्चा कर सकता है।

    क्या है भौगोलिक स्थिति

    पश्चिम बंगाल की बनगांव लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले यह हिस्सा बारासात संसदीय क्षेत्र के तहत आता था, लेकिन परिसीमन 2009 की रिपोर्ट में बनगांव को अलग से लोकसभा क्षेत्र घोषित किया गया। शुरुआत में इस सीट पर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का कब्जा था। बनगांव उत्तर 24 परगना जिले का एक कस्बा है। इस संसदीय क्षेत्र का कुछ हिस्सा नदिया जिले में भी आता है।

    चूंकि बनगांव संसदीय सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी। इसलिए अभी तक यहां तीन ही लोकसभा चुनाव देखने को मिले हैं। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं। इनमें कल्याणी, हरिनघाटा, बाग्दा, बनगांव उत्तर, बनगांव दक्षिण, गाइघाटा और स्वरूपनगर शामिल हैं। ये सभी विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। बनगांव लोकसभा सीट के पहले सांसद तृणमूल कांग्रेस के गोविंद चंद्र नास्कर बने थे।

    दरअसल, उत्तर 24 परगना जिला बांग्लादेश से सटा हुआ पश्चिम बंगाल का जिला है, जो सियासी रूप से काफी महत्वपूर्ण है। यह इलाका मतुआ समुदाय का गढ़ माना जाता है। यह समुदाय 1947 में देश विभाजन के बाद शरणार्थी के तौर पर यहां आया था। बंगाल में इनकी आबादी लगभग तीस लाख है और उत्तर व दक्षिण 24-परगना जिलों की कम से कम सात सीटों पर ये निर्णायक स्थिति में हैं।

    क्या है मतदाताओं का आंकड़ा

    इस संसदीय क्षेत्र के 75.72 फीसदी लोग गांवों जबकि 24.28 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं। बनगांव संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी क्रमशः 42.56 और 2.8 फीसदी है। 2017 की मतदाता सूची के अनुसार यहां कुल 16 लाख 67 हजार 446 मतदाता हैं, जो 1864 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। 2014 के संसदीय चुनावों में 83.36 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2009 में यह आंकड़ा 86.47 फीसदी था।

    2014 के लोकसभा चुनावों में चुने गए सांसद कपिल कृष्ण ठाकुर के निधन के बाद 2015 में इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें तृणमूल कांग्रेस की ही उम्मीदवार ममता ठाकुर जीतने में कामयाब रहीं थी।

    क्या है 2019 का जनादेश?

    2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी शांतनु ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस की ममता बाला ठाकुर को मात देते हुए छह लाख 87 हजार 622 वोट हासिल किए। वहीं, तृणमूल कांग्रेस की ममता ठाकुर को पांच लाख 76 हजार 028 वोट मिले थे। जबकि माकपा के अलकेश दास 90 हजार 122 वोटों के साथ तीसरे नंबर रहे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleदेश के पवित्र नदी तटों पर चल रहा है सोमवती अमावस्या स्नान
    Next Article इजराइल का हिजबुल्ला के ठिकानों पर हमला, ईरानी दूतावास पर हमले के बाद बढ़ा टकराव
    admin

      Related Posts

      चुनाव आयोग की दोबारा अपील, लिखित शिकायत दें या मिलने आएं राहुल गांधी

      June 8, 2025

      भारतीय वायु सेना ने किडनी और कॉर्निया को एयरलिफ्ट करके दिल्ली पहुंचाया

      June 8, 2025

      बिहार में 10 जून से हाे सकती है भारी बारिश

      June 8, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • रांची में कोयला कारोबारी की गोली लगने से मौत, जांच में जुटी पुलिस
      • एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’
      • चुनाव आयोग की दोबारा अपील, लिखित शिकायत दें या मिलने आएं राहुल गांधी
      • भारतीय वायु सेना ने किडनी और कॉर्निया को एयरलिफ्ट करके दिल्ली पहुंचाया
      • उत्तर ग्रीस में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, माउंट एथोस क्षेत्र में दहशत का माहौल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version