विशेष
-हेमंत की गिरफ्तारी के विरोध में झारखंड में आंदोलन छेड़ने की होगी कोशिश
-कल्पना सोरेन के नेतृत्व में इतनी बड़ी रैली का हो रहा है आगाज
-भाजपा को रोकने के साथ विपक्षी एकता को मजबूत बनाने की होगी कवायद
पूरे देश के साथ झारखंड का भी माहौल इस समय चुनावी है। मौसम का तापमान बढ़ने के साथ सियासी तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। इस तापमान को बढ़ाने के लिए रांची में झामुमो द्वारा आयोजित महारैली की गूंज अभी से महसूस की जाने लगी है। यह महारैली वैसे तो हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरोध में आयोजित की गयी है, लेकिन वास्तव में यह मुंबई और दिल्ल् के बाद इंडी गठबंधन का तीसरा शक्ति प्रदर्शन है। ‘न्याय उलगुलान महारैली’ के जरिये इंडी गठबंधन के घटक दल कई सियासी निशाने साधने की कोशिश तो करेंगे ही, झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए इसकी सफलता ही राज्य में उसकी ताकत का पैमाना बनेगी। इसलिए इसकी तैयारी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। महारैली में इंडी गठबंधन के सभी प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया गया है। बताया जा रहा है कि दक्षिण के नेताओं को छोड़ कर गठबंधन के सभी नेता इसमें शामिल होंगे। यह रैली न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में एक बड़ा सियासी संदेश देने के लिए आयोजित की गयी है, जिसमें भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से रोकना प्रमुख है। इसके अलावा इस रैली के माध्यम से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ माहौल बनाने के साथ कल्पना सोरेन के नेतृत्व को पूरी तरह स्थापित करने के लिए माहौल बनाने की कोशिश भी की जायेगी। कुल मिला कर यह रैली केवल सियासी शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि झारखंड की दशा-दिशा तय करनेवाली साबित हो सकती है। क्या हैं रैली की तैयारियां और क्या है इसको लेकर माहौल, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
कभी एकीकृत बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही और इस समय झारखंड की राजधानी रांची इस समय प्रचंड गर्मी तो झेल ही रही है, यहां का सियासी तापमान भी कम नहीं है। अब से कुछ घंटे बाद रांची में इंडी गठबंधन की न्याय उलगुलान महारैली होने जा रही है, जिससे न केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा, बल्कि इंडी गठबंधन का पूरा भविष्य जुड़ा हुआ है। महारैली का आयोजन झारखंड मुक्ति मोर्चा कर रहा है और इसमें कांग्रेस, राजद और आम आदमी पार्टी समेत 28 राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। महारैली का केंद्र बिंदु पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे, जो इस समय जेल में बंद हैं।
रांची की यह महारैली मुंबई और दिल्ली के बाद इंडी गठबंधन का तीसरा शक्ति प्रदर्शन होगा। इस रैली के माध्यम से जहां आसन्न चुनाव में भाजपा को रोकने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जायेगा, वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने और भविष्य में कल्पना सोरेन की ताजपोश्ी के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की कोशिश भी की जायेगी। इस लिहाज से यह रैली
इंडी गठबंधन के साथ झामुमो की भी प्रतिष्ठा से जुड़ गयी है।
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने महारैली की तैयारी का पूरा जिम्मा संभाल रखा है। रैली को लेकर उनकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ वह जहां कार्यकर्ताओं से मुखातिब हो रही हैं, वहीं गठबंधन दलों के नेताओं के साथ समन्वय भी कर रही हैं। पति की अनुपस्थिति में सारा दारोमदार कल्पना सोरेन पर है। कल्पना सोरेन ने मुंबई और दिल्ली की रैलियों में भाग लिया है और प्रमुखता से अपनी बातें रखी हैं। इसलिए झामुमो की तरफ से रैली को सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं।
रैली को सफल बनाने के लिए झामुमो और इंडी गठबंधन के दूसरे घटक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। दावा किया जा रहा है कि रैली में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद प्रमुख लालू यादव, तेजस्वी यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, आप सांसद संजय सिंह से लेकर वामपंथी दलों के नेता तक शामिल होंगे।
इन मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरेंगे
महारैली का केंद्र बिंदु पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे। इंडी गठबंधन के दिग्गज नेता रैली के मंच से केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग समेत अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरेंगे। इसके अलावा हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई जैसे अहम मुद्दे भी रैली में उठाये जायेंगे। रैली में लोकसभा चुनाव में गठबंधन का साझा प्रचार अभियान चलाने को लेकर भी रणनीति तय की जायेगी। जाहिर है कि रैली के बाद इंडी गठबंधन का चुनाव प्रचार अभियान जोर पकड़ेगा।
कल्पना सोरेन के अनुसार, देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता के लिए, अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में बंद जननेताओं की रिहाई के लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए उलगुलान न्याय रैली इतिहास रचने जा रही है। उन्होंने झारखंड और झारखंडियत की रक्षा के लिए, 1932 खतियान, सरना आदिवासी धर्म कोड, झारखंड में आदिवासी, पिछड़ों और दलित के आरक्षण में बढ़ोतरी, झारखंड के पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण, हो, मुंडारी और कुड़ुख भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने, झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया राशि की मांग की आवाज को बुलंद करने के लिए रैली में शामिल होने का आह्वान लोगों से किया है। उन्होंने आगे कहा कि रैली के मंच से विधवा, बुजुर्ग, दिव्यांगजनों की सामाजिक सुरक्षा, गरीब, वंचित और शोषित के हक-अधिकार, महिला, युवा, किसान, मजदूर के स्वाभिमान, युवाओं को नौकरी, रोजगार और स्वरोजगार, कृषि ऋण माफी, कृषि एवं वन उत्पाद के सही मूल्य के लिए, आदिवासी, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बढ़ाने, मनरेगा में मजदूरी दर में वृद्धि, सरकारी कर्मचारियों के ओपीएस, संघीय ढांचे की रक्षा के लिए, अपनी आवाज बुलंद करने को, उलगुलान शुरू करने की घोषणा की जायेगी।
पांच लाख से अधिक भीड़ जुटाने का लक्ष्य
प्रभात तारा मैदान में होने वाली महारैली की सफलता के लिए हर दल अपने स्तर से प्रयास कर रहा है। झामुमो के महासचिव और केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक रैली में पूरे राज्य से पांच लाख लोगों को जुटाने की रणनीति बनी है। इसके लिए इंडी गठबंधन के घटक दल विभिन्न जिला इकाइयों से लगातार संपर्क कर उन्हें हिदायत दे रहे हैं।
इसलिए अहम है यह महारैली
झामुमो के लिए न्याय उलगुलान महारैली इसलिए भी अहम है, क्योंकि वह पहली बार अखिल भारतीय स्तर की रैली की मेजबानी कर रहा है। रैली का सफल आयोजन इसलिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पार्टी के दो शीर्ष नेताओं, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में आयोजित हो रही है। इसलिए इस रैली को झारखंड ही नहीं, पूरे देश की दशा-दिशा तय करने के घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।