झारखंड में 5 आल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु झारखंड हाईकोर्ट में हुई मामले में राज्य सरकार की ओर दर की गंभीर स्थिति को देखते हुए कोर्ट दवारा लिए गए वन, अंजान की सुनवाई बताया गया कि शतैयार है लेकिन दायर नहीं किया जा सका है. सरकार की ओर एवं कम्युनिटी हेल्थ टर का आंकड़ा प्रस्तुत किया गया साथ ही कोर्ट को अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं कम्युनिटी हेल्थ मैटर में सांप काटने की दवा उपलब्धता भून्य बताई गई.
कोर्ट को मौखिक रूप में बताया गया कि देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर की तुलना में झारखंड में बच्चों की मृत्यु दर करीब 25% काम है. इस पर कोर्ट ने मौखिक कहा कि खंड में बच्चों की मृत्यु दर में देश की तुलना में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. झारखंड सरकार को बच्चों की मृत्यु दर का यह आंकड़ा भूल्य पर लाने का प्रयास करना होगा, सरकार के आंकड़ों चार्ट पर असंतुष्टि जताते हुए कोर्ट में ऑधिक कहा कि अगली सुनवाई में राज्य सरकार का अगर सटीक शपथ पत्र नहीं आता है तो स्वास्थ्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना होगा.
कोर्ट में अगली सुनवाई ० मई को राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में कितने विशेषज्ञ चिकित्सक हैं इसकी भी जानकारी है. पिछले सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र दाखिल कर यह बताने को कहा था कि झारखंड में कितने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर है? यहां कितने पद स्वीकृत है और कितने पद अभी खाली पड़े है, इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कम्युनिटी हेल्थ मेटर पर हवाओं की क्या व्यवस्था है, इनके भवन कितने साल पुराने और भवन अभी क्रिस स्थिति में है. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा था कि झारखंड के सुदुर शामीण इलाकों में साप के काटने से होने वाली मौत को रोकने के लिए प्राइमरी हेल्थ डर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में सांप काटने की दया की क्या व्यवस्था है.
दरअसल, रांची में प्रकाशित एक दैनिक अखबार में 5 साल से कम उम के बच्चों की मृत्यु दर को लेकर 10 अगस्त 2013 को प्रकाशित खबर के आधार पर हाईकोर्ट ने मामले में स्थल संज्ञान लिया था. इसी दौरान कोर्ट के समक्ष यह बात सामने आई थी कि राज्य के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में चिकित्सकों, हवा समेत अन्य स्टाफ की कमी है विशेषज्ञ चिकित्सक श्री प्राइमरी हेल्थ सेंटर में नहीं रहते हैं. जिस पर हाईकोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार को राज्य के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की बहाली एवं वहां आवश्यक मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था