-राहुल की सभा से ज्यादा भागीदारी हुई थी पीएम की सभा में
-भीड़ को पैमाना मान कर हो रही है तरह-तरह की चर्चा
सत्यकाम
लोहरदगा। खूंटी और लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर बसिया के मैदान में की गयी भाजपा और कांग्रेस की चुनावी जनसभा और शक्ति प्रदर्शन आम जनों की चर्चा में है। 4 मई को पीएम नरेंद्र मोदी की बसिया में आयोजित विशाल चुनावी जनसभा में लाखों की भीड़ उमड़ती रही, जन सैलाब की तुलना 7 मई को हुई राहुल गांधी की जनसभा से लोग कर रहे हैं। सिसई की धरती को भाजपा और कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। चुनावी जनसभा की भीड़ यदि वोटिंग में बदल जाती है, तो भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव का पलड़ा कई गुना भारी पड़ने की चर्चा है। राहुल गांधी की चुनावी जनसभा में पचीस से तीस हजार जनसमूह की भागीदारी होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी की सिसई जनसभा में डेढ़ लाख से अधिक जनसमूह के मौजूद होने का अनुमान लगाया गया था। चुनावी सभा और शक्ति प्रदर्शन के हिसाब से देखा जाये तो कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत से अधिक भाजपा के समीर उरांव लोगों के बीच मजबूत दावेदार होने की पहचान बनाये हुए हैं। यह अलग बात है कि किसी भी चुनावी जनसमूह को पूरी तरह वोट में तब्दील नहीं किया जा सकता है। बावजूद, चुनावी जनसभाओं पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोहरदगा सीट पर अब तक कांग्रेस और भाजपा का ही दबदबा रहा है। चंद दिनों पूर्व भंडरा में झामुमो विधायक सह निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा ने अपने बूते विशाल चुनावी जनसभा कर भाजपा और कांग्रेस खेमे में सनसनी ला दी थी। निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा की चुनावी सभा में उपस्थित आदिवासी समाज की विशाल भीड़ कांग्रेस की सभा से अधिक मानी जा रही है। भंडरा में चमरा लिंडा ने अभूतपूर्व विशाल सभा कर आदिवासी समाज में अपनी गहरी पैठ और दबदबा का एहसास कराया था। निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा के लोकसभा चुनाव में इस वर्ष एंट्री के बाद लोहरदगा सीट में त्रिकोणात्मक चुनाव की विसात बिछ गयी है। आदिवासी बहुल लोहरदगा सीट में प्रत्याशी चमरा लिंडा के शक्ति प्रदर्शन से भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के सुखदेव भगत के लिए परेशानी का सबब है। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, चमरा लिंडा के चुनाव लड़ने का ज्यादा नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत को उठाना पड़ सकता है। चुनावी सभाओं में शक्ति प्रदर्शन के मामले में भी कांग्रेसी खेमे के पीछे होने की चर्चा स्थानीय स्तर पर हो रही है। एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव और कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत को अपने-अपने दलों और नेताओं के भितरघात का सामना चुनाव में करना पड़ सकता है, जबकि, निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा को भितरघात जैसी गंभीर चुनौती से सामना होने की स्थिति नहीं है। इधर, लोहरदगा झामुमो जिला संगठन गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत की जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा है। फिलहाल, चुनावी चर्चाओं का बाजार गर्म है। राजनीतिक दल और प्रत्याशी जीत के प्रति दावे प्रति दावे प्रस्तुत कर आम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं
Previous Articleइंडी गठबंधन सरकार में फ्री आटा के साथ मिलेगा डेटा : अखिलेश यादव
Related Posts
Add A Comment