जमशेदपुर। झारखंड की 16 साल की काम्या कार्तिकेयन ने एवरेस्ट फतह करके एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। टाटा स्टील फाउंडेशन की पर्वतारोही काम्या ने भारतीय समय के मुताबिक, सोमवार (20 मई) को दिन में 12:35 बजे एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराया। इसके बाद उसने टाटा स्टील का भी झंडा फहराया। इस समिट में काम्या के पिता एस कार्तिकेयन भी शामिल थे। दोनों पिता-पुत्री शाम 4:10 बजे तक बेस कैंप-4 में लौट आयेंगे।
काम्या कार्तिकेयन के पिता एस कार्तिकेयन भी समिट में थे साथ
काम्या कार्तिकेयन अपने पिता एस कार्तिकेयन के साथ रविवार (19 मई 2024) की देर रात फाइनल समिट के लिए बेस कैंप-4 से निकली थी। रविवार को ही दोनों बेस कैंप-4 पहुंचे थे। इनका समिट 6 अप्रैल को काठमांडू से शुरू हुआ था। माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने का यह 7 सप्ताह का अभियान था।
बेस कैंप-4 से शुरू होती है एवरेस्ट की अंतिम चढ़ाई
बता दें कि करीब डेढ़ महीने के समिट में कई तरह के मौसम से पर्वतारोही को पार पाना होता है। उच्च शिविरों में कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है, उसमें बेस कैंप के बाद 4 कैंप हैं। बेस कैंप-4 से ही अंतिम चढ़ाई शुरू होती है।
पर्वतारोहियों के शिखर पर पहुंचने में मौसम की होती है अहम भूमिका
जानकार बताते हैं कि शिखर पर पहुंचने में मौसम की बहुत बड़ी भूमिका होती है। अगर मौसम खराब हो जाए, तो पर्वतारोहियों को बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि इसी साल रामगढ़ जिले के भुरकुंडा बाजार के युवा व्यापारी ने एवरेस्ट बेस कैंप की सफल चढ़ाई की थी। इस युवा व्यापारी का नाम शाहबाज आलम है। वह मस्जिद कॉलोनी के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम सलाउद्दीन मंसूरी है। उन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए एक महीने की कठिन ट्रेनिंग की थी। शाहबाज ने कहा कि बेस कैंप पहुंचकर देश का तिरंगा लहराना गौरवान्वित करने वाला क्षण था।