पूर्वी चंपारण। चूक कहे या बड़ी लापरवाही पर हरसिद्धि थाने की पुलिस तो कटघरे में खड़ा दिख रही है। हैरान कर देने वाली बात है कि एक ही व्यक्ति ने एक ही घटना को लेकर दो एफआईआर दर्ज करा दिया और पुलिस ने दर्ज भी कर ली।
इस गड़बडी ने महकमें की नींद उड़ा दी है। एक ही व्यक्ति का आवेदन जिसमे नाम, पता मोबाइल नम्बर सब एक है, बावजूद दो तारीखो में एफआईआर दर्ज कर लिया गया जो अब कई पुलिस पदाधिकारियों के गले की फांस बनते दिखने लगी है। पुलिस की इस चूक की खबर ज्योहिं सुर्खियों में आयी, पुलिस अधीक्षक ने फौरी कार्रवाई के तहत पूरे मामले की जांच डीएसपी अरेराज को देकर रिपोर्ट तलब की है। जाहिर है कि इस रिपोर्ट में दोनो थानाध्यक्ष एवं आईओ सहित अन्य थाना कर्मी की भूमिका की जांच होगी। इधर डीएसपी रंजन कुमार ने मीडिया को बताया है कि जांच आरंभ कर दिया गया है।
मामले में जो दोषी होंगे, उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी। बता दे कि स्पंदना स्पूर्ति फाइनेंस बैंक के लोन ऑफिसर पश्चिम चंपारण जिले के बलथर थाना के खरसहवा गांव के सिरफल यादव के पुत्र अप्पू कुमार यादव ने 29 अप्रैल को एक प्राथमिकी दर्ज कराया। जिसमें उसने बताया है कि 6 अप्रैल को ग्रामीण इलाके से ऋण की वसूली कर झोला में रूपया लेकर आ रहा था, वह नास्ते के लिए रुका, इस दौरान पहले पेशाब करने चल दिया, इस बीच देखा कि झोला हैंडिल में नही है। जिसमें लोन वसूली का 2 लाख 38 हजार 10 रुपया था। दिलचस्प है कि इस प्राथमिकी में घटना स्थला का जिक्र नहीं है। मोबाइल फोन गायब होने का भी जिक्र नहीं किया गया है। फिर यही व्यक्ति 30 जून को एफआईआर दर्ज कराता है, जिसमें पहले अपने काम और बैंक की विश्वसनीयता का खूब बखान करता है। वही आवेदन में कहता है कि वह लोन वसूली कर लौट रहा था, जहां घिउआढार के पास पल्सर बाइक सवार बादमाशो ने उसका झोला झपट लिया। जिसमें उक्त रकम के अलावे मोबाइल फोन भी था। इसके बाद आवेदन में बताया गया है कि घटना के बाद से वह सदमे में था, फलस्वरूप इतनी देरी से एफआईआर दर्ज कराया जा रहा है। मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष नवीन कुमार ने 29 अप्रैल को केस दर्ज कर अनुसंधान के लिए दारोगा विभा कुमारी को जांचकर्ता बनाया। फिर वही लोन ऑफिसर के आवेदन पर उसी घटना में थानाध्यक्ष निर्भय कुमार राय ने 30 जून को एफआईआर दर्ज कर दारोगा उगन पासवान को आईओ बनाया। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह लोन ऑफिसर अप्पू वही है, जो बैंक डकैती का मुख्य सरगना है और एक दो नहीं 14 लूट की घटनाओं का मास्टर माइंड है। जानकार बताते है कि यदि थानाध्यक्ष निर्भय राय एफआईआर नहीं करते तो शायद बैंक डकैती नहीं हुई रहती।
यह घटना पुलिस के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। ऐसे में जांच रिपोर्ट और कार्रवाई का लोग इंतजार कर रहे है।फिलहाल इस मामले को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म है,वही पुलिस महकमे हडकंप की स्थिति बनी हुई है।