विशेष
पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ सकती है पाकिस्तान की खुंटचाल
भारत को इसका जवाब तैयार करने में अभी से ही जुट जाने की है जरूरत
जीतने के लिए सबसे जरूरी रणनीति, दुश्मन की चाल पहले ही भांप ली जाये
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
किसी भी युद्ध को जीतने के लिए सबसे जरूरी रणनीति यही मानी गयी है कि दुश्मन की चाल को पहले से ही भांप लिया जाये। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव और सीमा पर तेज हो रही हलचल से पूरी दुनिया यह मान रही है कि भारत कुछ ह्यबड़ाह्ण करनेवाला है। यह ह्यबड़ाह्ण क्या होगा और कितना होगा, किसी को पता नहीं है। भारत के पास अभी पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का उपयुक्त कारण भी है और माहौल भी। सैन्य ताकत में पाकिस्तान किसी भी सूरत में भारत के आगे नहीं ठहर सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि दुश्मन की क्या रणनीति हो सकती है और युद्ध की स्थिति में वह क्या सब कर सकता है। आज एक पूर्व सेना अधिकारी से इस बाबत विस्तार से बातचीत हुई और उनकी बातें सचमुच चौंकानेवाली थीं। उस पूर्व सैनिक ने सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के मद्देनजर अपना नाम छापने से मना कर दिया, लेकिन कहा कि देश को पाकिस्तान की संभावित रणनीति के बारे में जानकारी होनी चाहिए। क्या कहा उस पूर्व सेना अधिकारी ने, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमला एक सुनियोजित साजिश थी, जिसे पाकिस्तान के समर्थन के साथ द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने सीधे तौर पर अंजाम दिया। टीआरएफ पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन है और वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) का एक छद्म संगठन है। यह आतंकी हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के 16 अप्रैल को इस्लाम और कश्मीर पर दिये गये बयान के बाद हुआ है। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पाकिस्तान इस आतंकी हमले की योजना पहले से ही बना रहा था और यह भारत पर सीधा हमला है, ताकि भारत पर पाकिस्तान की इस्लामी विचारधारा पर जोर दिया जा सके। इसलिए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मूल कारण को संबोधित करने का समय आ गया है, जो कि पाकिस्तान है। यहां पाकिस्तान का मतलब पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व, पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह, पाकिस्तान की आइएसआइ और पाकिस्तान में कुछ कट्टरपंथी, प्रेरित तत्व हैं। कोई भी औसत पाकिस्तानी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद में उसकी दिलचस्पी नहीं है। पाकिस्तानियों के कई सोशल मीडिया पोस्ट उनकी सरकार का उपहास उड़ाते नजर आ रहे हैं।
सोची-समझी रणनीति है पहलगाम हमला
सेना में सिखाया जाता है कि पहले दुश्मन के युद्ध के डिजाइन, उसके इरादों, क्षमताओं, कमजोरियों और कार्रवाई के संभावित कार्यों को समझो और उनकी कल्पना करो। चूंकि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी सेना की पूरी छाप है, इसलिए यह माना जा सकता है कि पाकिस्तान ने अपनी सैन्य रणनीति और भविष्य की कार्रवाई की योजना बनायी है। पाकिस्तान ने जिस तरह नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तेजी से सैनिकों को जुटाया, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी बढ़ायी, उसकी वायु सेना ने उड़ान भरी और भारत से सैन्य रूप से निपटने के लिए समग्र तैयारी को मजबूत किया, उससे यह स्पष्ट होता है की पाकिस्तान को इसका पूवार्नुमान था। लेकिन पाकिस्तान स्पष्ट रूप से भारत के अभूतपूर्व राष्ट्रीय क्रोध और भारतीयों की पूर्ण एकजुटता का अनुमान नहीं लगा सका । पाकिस्तान यह कल्पना करने में भी विफल रहा कि पूरा जम्मू-कश्मीर उसके विरोध में उठ खड़ा होगा। इस प्रकार पाकिस्तान वास्तव में चिंतित है कि जम्मू-कश्मीर में उसके पास जो भी थोड़ा समर्थन आधार था, उसे उसने इस जघन्य आतंकी हमले के बाद खो दिया है।
पाकिस्तान को याद है 71 की लड़ाई
मौजूदा परिदृश्य में पाकिस्तान का राष्ट्रीय उद्देश्य भारत के साथ पारंपरिक युद्ध से बचना होगा। भारत को पाकिस्तान पर बड़ी सामरिक बढ़त हासिल है और इस तरह पाकिस्तान 1971 के युद्ध की पुनरावृत्ति नहीं चाहेगा। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि पाकिस्तान के सहयोगी ईरान ने मौजूदा परिदृश्य में मध्यस्थता की पेशकश की है। जाहिर है, यह पाकिस्तान के इशारे पर हुआ है। पाकिस्तान भारत से एक बड़े प्रतिशोध की उम्मीद करता है और इसे वह पारंपरिक युद्ध की दहलीज से नीचे रखना चाहेगा। पाकिस्तान भारत के साथ सैन्य कार्यवाही को नियंत्रण रेखा तक ही सीमित रखना पसंद करेगा। इस तरह पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर मुद्दे को जीवित रखने में सफल हो सकता है। इस संदर्भ में पाकिस्तान ने 22 अप्रैल के बाद से ही नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ संघर्ष विराम समझौते का लगातार उल्लंघन किया है। भारत ने अपनी बेहतर मारक क्षमता से उचित और अधिक आक्रामक जवाब दिया है। चूंकि पाकिस्तान ने 25 अप्रैल को भारत के साथ शिमला समझौते को निलंबित कर दिया है, इसलिए संघर्ष विराम समझौता स्वत: ही शून्य हो गया है।
पाकिस्तान का अगला कदम क्या
पाकिस्तान का अगला डिजाइन भारत में ह्यग्रे जोन वारफेयरह्ण शुरू करना होगा। ह्यग्रे जोन वारफेयरह्ण सामरिक संघर्ष का एक रूप है, जो उन कार्यों द्वारा दुश्मन पर किया जाता है, जो इन्हें पारंपरिक युद्ध की दहलीज से नीचे लाते हैं, लेकिन अनिश्चित परिस्थितियां पैदा करके रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। पाकिस्तान काफी समय से भारत के साथ ह्यग्रे जोन युद्धह्ण में लिप्त रहा है और चीन की सक्रिय सहायता से चालाकी से भारत को अस्थिर करने की कोशिश की है। अब पाकिस्तान को बांग्लादेश का भी सक्रिय समर्थन प्राप्त है और इस तरह के युद्ध के निशान भारत में जल्दी ही दिखाई देने लगेंगे। पाकिस्तान की इस रणनीति का पहला हिस्सा विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में जवाबी आतंकवाद, यानि आतंकवाद विरोधी अभियानों में भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों को बांधना होगा।
क्या करेंगे पाकिस्तान के डबल एजेंट
भारत पहले से ही कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र दोनों में आतंकवाद विरोधी संचालन की बढ़ती गति देख रहा है। इस वक्त पाकिस्तान के डबल एजेंट आतंकवादियों की उपस्थिति के बारे में बहुत सारी झूठी जानकारी देंगे, ताकि भारतीय सैनिक उनके पीछे उलझ जायें। निर्दोष हिंदुओं पर कायरतापूर्ण हमले करने वाले आतंकवादियों को खत्म करने का विचार सही है, लेकिन इससे जम्मू-कश्मीर के बाकी हिस्सों में हमारे आतंकवाद विरोधी ग्रिड को कमजोर नहीं होना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत पाकिस्तानी सेना या आतंकवादियों को इसके बाद कोई सफलता हासिल करने का कोई मौका नहीं दे। इस वक्त मनोवैज्ञानिक दवाब बना कर रखना बहुत जरूरी है।
स्लीपर सेल करेगा एक्टिव
पाकिस्तान के अगले डिजाइन में स्लीपर सेल को सक्रिय करना और पूरे भारत में विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर और पंजाब में अपने ओवर ग्राउंड कारिंदों (ओजीडब्ल्यू) तक पहुंचना शामिल होगा। पहलगाम में हुए आतंकी हमले को स्पष्ट रूप से ओजीडब्ल्यू का समर्थन प्राप्त था। भारत की केंद्रीय और राज्य खुफिया एजेंसियों को भारत के इन आंतरिक दुश्मनों का पता लगाना है। स्थानीय पुलिस के पास सबसे अच्छी खुफिया जानकारी होती है, लेकिन कई बार राजनीतिक हस्तक्षेप से वे अपना काम सुचारु रूप से नहीं कर पाते हैं। अब भारत को किसी भी प्रकार के धार्मिक तनाव, आंतरिक संघर्ष और असंगति से निपटने के लिए राष्ट्रीय संकल्प का प्रदर्शन करना है, जिसमें सभी प्रकार के ह्यग्रे जोन वारफेयरह्ण से दृढ़ता से निपटना है, जिसमें छोटे से साइबर हमलों से लेकर सुनियोजित सीमा पार उल्लंघन तक शामिल हैं।
डीप स्टेट का समर्थन मांगेगा
पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के लिए डीप स्टेट का समर्थन भी मांगेगा। ऐसे ज्ञात संगठन हैं, जो भारत के उदय के बारे में चिंतित हैं और लगातार भारत में विकास को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं। भारत के भीतर भी बड़ी संख्या में निकाय और गैर सरकारी संगठन हैं, जो भारत को कमजोर करना जारी रखते हैं, खासकर विदेशी धरती पर। भारत को इन विरोधी नॉन स्टेट एक्टर्स से सख्ती से निपटना होगा। इनमें से कई नॉन स्टेट एक्टर्स सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और इस तरह उनके प्रभाव पर भी अंकुश लगाना होगा।
परमाणु युद्ध की गीदड़ भभकी भी
पाकिस्तान भारत के साथ परमाणु युद्ध की गीदड़ भभकी भी देगा। भारत और भारतीयों को पाकिस्तान की इस खोखली धमकी से चिंतित नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत के पास पर्याप्त विकल्प हैं, जो परमाणु सीमा से काफी नीचे हैं। साथ ही भारत को परमाणु शक्ति के रूप में गैर-जिम्मेदार पाकिस्तान के बारे में दुनिया को सावधान करना चाहिए। आने वाले समय में पाकिस्तान के खिलाफ और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाये जाने चाहिए, क्योंकि वह जिहादी लाभ के रूप में परमाणु तकनीक का दुरुपयोग कर सकता है।
इस्लामी देशों के पास जायेगा
पाकिस्तान हर मौके का इस्तेमाल इस्लामी दुनिया को यह दिखाने के लिए करेगा कि मुसलमानों को भारत में उनका हक नहीं मिलता। पाकिस्तान इस तथ्य को स्वीकार नहीं कर पाया है कि मुसलमानों को भारत के नागरिकों के समान अधिकार प्राप्त हैं और उनके खिलाफ कोई भेदभाव नहीं है। इस संदर्भ में पाकिस्तान वक्फ एक्ट को लेकर उपद्रव खड़ा करना चाहेगा। सभी देशभक्त भारतीयों, विशेष रूप से मुसलमानों को पाकिस्तान की इस चाल को समझना होगा और उन्हें सबसे ठोस तरीके से नजरअंदाज करना होगा। पाकिस्तान को उसके अस्तित्व में आने के बाद का सबसे कड़ा सबक सिखाने के लिए भारत को एकजुट रहना होगा।
भारत सिखायेगा ऐसा सबक कि पाकिस्तान कभी नहीं भूलेगा
फिलहाल भारत के नेतृत्व ने पाकिस्तान के खिलाफ उसके सपनों से भी परे जवाबी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध किया है। लेकिन इस तरह का प्रतिशोध या बदले की कार्यवाही फिल्मी तरीके से नहीं होती है। ऐसी कोई भी कार्यवाही सोच-समझ कर और सावधानीपूर्वक की जाती है और कई बार सुरक्षा कारणों से इसे सार्वजनिक डोमेन में अवगत नहीं कराया जाता है। भारत ने पहले ही पाकिस्तान पर शिकंजा कस दिया है। लेकिन पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को हराने के लिए, विशेष रूप से पाकिस्तानी सेना को निरर्थक करने में कुछ समय लग सकता है। इस प्रकार भारतीय नागरिकों को धैर्य का भी परिचय देना होगा।
राजनीतिक कलह से बचना होगा
एकजुटता के शुरूआती प्रदर्शन के बाद भारत में राजनीतिक असंगति फिर उभरने लगी है। इस तरह की किसी भी राजनीतिक कलह से पाकिस्तान को ही फायदा होने वाला है। भारत, उसके सभी नागरिकों और सभी राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री मोदी सरकार के पीछे चट्टान की तरह खड़ा रहना होगा। हिंदुओं में, एक मृत्यु के बाद 13 दिन का शोक मनाया जाता है और इस सबसे दुखद आतंकी हमले के सिर्फ चार दिन ही बीते हैं। हमें राजनीतिक सूझबूझ और सैन्य परिपक्वता दिखानी होगी। अधिकांश विश्व आतंकवाद के विरुद्ध इस युद्ध में भारत के समर्थन में खड़ा है। अब भारत को पूरी एकजुटता और संकल्प के साथ पाकिस्तानी सत्ता और उसके समर्थकों से लड़ने के लिए संपूर्ण राष्ट्रवाद का पालन करना होगा।