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    Home»झारखंड»यूपीए सरकार ने 2014 में सरना धर्म कोड को किया था खारिज : प्रतुल शाह देव
    झारखंड

    यूपीए सरकार ने 2014 में सरना धर्म कोड को किया था खारिज : प्रतुल शाह देव

    shivam kumarBy shivam kumarMay 20, 2025No Comments2 Mins Read
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    रांची। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने सरना धर्म कोड के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह दोनों दल आदिवासी समाज को गुमराह कर रहे हैं और अब इस मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहाकर आंदोलन का नाटक कर रहे हैं।

    प्रतुल शाहदेव ने बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार के दौरान, तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री वी। किशोर चंद्र देव ने 11 फरवरी, 2014 को पत्रांक संख्या 16012/19/2013/(पीसी एंड वी) के माध्यम से सरना धर्म कोड को अव्यवहारिक बताते हुए अस्वीकार कर दिया था। मंत्री ने यह भी कहा था कि यदि इस तरह की मांग स्वीकार की जाती है, तो अन्य धर्मों से भी सैकड़ों मांगें सामने आ सकती हैं, जिससे व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

    कांग्रेस और झामुमो इस मुद्दे पर हुए बेनकाब :
    भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस और झामुमो अब सरना धर्म कोड के समर्थन में आंदोलन की बात कर रहे हैं, जबकि 2014 में जब वे केंद्र की सत्ता में थे, तो खुद ही इस मांग को ठुकरा चुके हैं। अब जब वे सत्ता से बाहर हैं, तो जनभावनाओं का राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से आंदोलन की बात कर रहे हैं। प्रतुल ने कहा कि यह जनता को भ्रमित करने और राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास है।

    आदिवासी समाज से मांगे माफी :
    प्रतुल शाह देव ने मांग की कि कांग्रेस और झामुमो दोनों को 2014 में सरना धर्म कोड को खारिज करने के लिए आदिवासी समाज से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश पर 50 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया, और झामुमो ने भी लंबे समय तक उनका समर्थन किया, फिर भी इन दलों ने

    आदिवासी हितों के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया
    उन्होंने सवाल उठाया कि अब जब इन्होंने पहले खुद ही इस मांग को अस्वीकार किया था, तो वे किस नैतिक आधार पर आंदोलन की बात कर रहे हैं।

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