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    Home»लाइफस्टाइल»ब्लॉग»पीएम मोदी को मनमोहन सिंह समझने की भूल न करें राहुल गांधी
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    पीएम मोदी को मनमोहन सिंह समझने की भूल न करें राहुल गांधी

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 22, 2018No Comments6 Mins Read
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    मुरारी शरण शुक्ल
    राहुल गांधी ने संसद को मछली बाजार समझ लिया है या मुन्ना भाई का पप्पी झप्पी कॉर्नर? संसद की कुछ मर्यादा होती है राहुल गांधी जी…। लोकतंत्र में सर्वोच्च वरीयता प्राप्त संस्था संसद ही होती है। आप उस संसद के सदस्य होते हुए, एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष होते हुए, अपनी मां के पीएम बनने के अधूरे सपने पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री पद पर बैठने के सपने अनेक वर्षों से देखते हुए भी संसद की मर्यादा नहीं समझ पाये अब तक? क्या आपको यह मालूम नहीं था कि नरेंद्र मोदी आपके परिवार के आदेशपाल नहीं हैं? अति उत्साह में आप नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह में अंतर करना भूल गये थे क्या? आपने और आपकी माता ने मनमोहन सिंह को लगातार दस वर्षों तक इसी प्रकार इशारों से उठाया बिठाया है। रबर स्टांप पीएम को मनमर्जी से उठाने बिठाने की आप लोगों को आदत पड़ गयी थी। दस वर्षों में वह आदत लगती है, आचरण में रूढ़ हो गयी है। आपने उसी आदत का प्रयोग नरेंद्र मोदी के साथ भी करने का प्रयास कर दिया? यह संप्रभुता संपन्न भारत राष्ट्र की जनता के व्यापक जनादेश से चुने हुए लोकप्रिय प्रधानमंत्री का सरासर अपमान है। राहुल गांधी की यह हरकत पूरे देश की राष्ट्रप्राण जनता का अपमान है।
    देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लज्जित किया राहुल ने
    जिस कांग्रेस को विपक्षी दल का दर्जा लेने लायक सामर्थ्य भी नहीं छोड़ा जनता ने, उस कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष दो तिहाई बहुमत वाले प्रधानमंत्री को कहता है कि आंखों में आंखें डालकर देखने का साहस नहीं है। सदन में एक-एक लाइन झूठ बोल कर 25 जनवरी 2008 को एके एंटनी के हस्ताक्षर से हुए राफेल डील के मामले में फ्रÞांस के राष्ट्रपति का नाम लेकर देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लज्जित किया।
    यह अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के कांग्रेसी पाप के बारे में देश को भ्रमित करने का प्रयास है। कुत्सित और घृणित स्तर की हरकत है। यह ओछी हरकत आज का जागरूक मतदाता सहन नहीं करेगा। सत्ता की भूख में इतना भी पागल हो सकता है व्यक्ति कि स्वस्थ आलोचना की लोकतांत्रिक परिपाटी भी भूल जाये और केवल झूठ का आवरण ओढ़ ले। क्या झूठ का पुलिंदा हाथ में थामकर कांग्रेस आज की जागरूक युवा पीढ़ी का वोट आकर्षित कर पायेगी? क्या भ्रामक बयानबाजी के बल पर कांग्रेस आंकड़ों में खेलने वाली आधुनिक पीढ़ी का मत आकर्षित कर पायेगी?
    बहुरूपिया चरित्र देख चुका है देश
    राहुल गांधी आपके बहुरूपिया चरित्र को देश की जनता देख चुकी है। गुजरात में जनेऊधारी ब्राह्मण, तो नागालैंड में कैथोलिक क्रिश्चियन बन जाते हैं और कर्नाटक में कट्टर मुसलमान। आजादी के पहले वाली कांग्रेस की दुहाई देते देते कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी घोषित कर देते हैं आप? फिर संसद में कहते हैं कि बीजेपी, आरएसएस ने आपको हिंदू होने का मतलब समझाया? कौन से हिंदू की बात कर रहे हैं आप? कहीं चिदंबरम और दिग्विजय सिंह के हिंदू आतंकवाद वाले नैरेटिव का संकेत तो नहीं कर रहे हैं? आपने जिन हिंदुओं को इंटोलेरेंट कहकर पूरी दुनिया में बदनाम करने का प्रयत्न किया था उस इंटोलेरेंसी की बात तो नहीं कर रहे हैं?
    बीजेपी ने राहुल को बहुत कुछ सिखाया
    आपने कहा कि बीजेपी और आरएसएस ने आपको हिंदुस्तानी होने का मतलब समझाया। जिस हिंदुस्तान को आप चार वर्षों तक बदनाम करते रहे, उस हिंदुस्तान के बिना आपकी राजनीति नहीं चलेगी यह अवश्य सिखाया है आपको बीजेपी ने। आप अमेरिका में जाकर जिस हिंदुस्तान की साख पर बट्टा लगा रहे थे, उस हिंदुस्तान का महत्व आपको अवश्य समझाया है बीजेपी ने। जिस हिंदुस्तान में सत्ता हथियाने के लिए आपके नेता पाकिस्तान की मदद मांग रहे थे, उस हिंदुस्तान का महत्व आपको समझाना आवश्यक था। जिस डोकलाम की चर्चा में आप सदन में झूठ बोल रहे थे, उस डोकलाम के संकट के समय चीनी दूतावास में भारत के विरुद्ध मंत्रणा करने जाने वाले को हिंदुस्तानी होने का महत्व समझाना बहुत आवश्यक था। पाकिस्तानी कमांडरों से दुनिया के अनेक देशों में जा जाकर मीटिंग्स करने वालों को हिंदुस्तानी होने का अर्थ समझाना बहुत आवश्यक था। इटली के पासपोर्ट होल्डर को हिंदुस्तानी होने का अर्थ समझाना बहुत आवश्यक था।
    देशद्रोही सिंथेटिक राग छेड़ने का प्रयास कर रहे राहुल गांधी
    आप सदन में पूछते हैं कि यह देश आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और महिलाओं का नहीं है? राहुल गांधी आप आदिवासियों के पक्ष में नहीं हो। आप कैथोलिक इसाइयों के पक्ष में यह बातें बोल रहे हैं। आप मिशनरीज आॅफ चैरिटी के पक्ष में ये बातें बोल रहे हैं। आप मूल निवासी और बाहरी का देशद्रोही सिंथेटिक राग छेड़ने का प्रयास कर रहे हैं। दलित शब्द संविधान की किस धारा, किस अनुच्छेद में वर्णित है? कब से इसका प्रयोग आरंभ हुआ राहुल गांधी जी? आप अनर्गल शब्द प्रयोग से देश के निर्धनों का अपमान करने का प्रयत्न कर रहे हैं। दिल्ली में केंद्रीय सदन में पिछड़ों की बात करने वाला यह व्यक्ति वही है, जो गुजरात में पिछड़ों के विरुद्ध जनेऊधारी ब्राह्मण बनने का प्रयत्न कर रहा था? महिला का अर्थ केवल सोनिया गांधी नहीं होता। कितने महिलाओं को आपने टिकट दिया था राज्यों के पिछले चुनावों में? कितनी महिलाओं को आपने स्थान दिया अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में?
    अपकी हर बात इतनी सीक्रेट क्यों…
    आपकी और आपकी माता जी की हर यात्रा सीक्रेट होती है। आपलोगों की हर बीमारी गुप्त होती है। आपको स्मरण रहना चाहिए कि राजनेता का जीवन व्यक्तिगत जीवन नहीं होता है। सार्वजनिक जीवन का चुनाव करने वालों को ही राजनेता कहा जाता है। आपने राजनीति को जीवन में चुना है, आपको व्यक्तिगत जीवन की स्वच्छंदता और गोपनीयता का अधिकार नहीं है, केवल मानवीयता निजता के विषय को छोड़कर। आपको देश को बताना पड़ेगा कि आप किस देश में क्या करने जाते हैं? आपको देश को बताना पड़ेगा कि आपको कौन सी बीमारी हुई है और क्या उपचार आप ले रहे हैं? आपकी चिंता करने का अधिकार भारत की जनता को है। और आपको तदनुरूप रिस्पांड करना ही पड़ेगा।
    भारत को पॉलिटिकल टूरिज्म का सेंटर बना दिया
    आपलोग हमेशा घूमते हैं विदेश में और राजनीति करने पहुंच जाते हैं भारत में। क्या भारत आपके लिए पॉलिटिकल टूरिज्म का स्पॉट है? बस भारत मे राजनीति की और निकल लिये? संसद के सत्र के समय भारत में, चुनाव के समय भारत में, विवाद के समय भारत में, इंटोलेरेंसी खड़ा करने के समय भारत में और योग दिवस पर विदेश में? भारत की विद्याओं से आपको इतनी चिढ़ क्यों है? भारत के महापुरुषों से भी आपको चिढ़ है। श्रीराम को काल्पनिक कहती रही कांग्रेस, रामसेतु को झुठलाती रही कांग्रेस, अयोध्या पर अनर्गल बयान देती रही कांग्रेस। आखिर आपको हिंदुओ से इतनी घृणा क्यों है? इस घृणा में पकिये मत। आपके द्वारा कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी घोषित कर देना भी इन्हीं हिंदुओं के प्रति घृणा का परिणाम था। इसी हिंदू विद्वेष के कारण आप सांप्रदायिक एवं लक्ष्यित हिंसा निवारण विधेयक 2012 में लाने को प्रयत्नशील थे। भारत आपको और आपकी पार्टी को टॉलरेट कर रहा है बहुत समय से। उसी टॉलरेंट देश को आप इंटोलेरेंट कहते हैं पूरी दुनिया में? इन सब हरकतों का निदान चुनाव में मतदाता तय करेगा।
    (यह लेख, लेखक के निजी विचार हैं। सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी के तहत इसे प्रकाशित किया जा रहा है। )

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