Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, August 13
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»दुनिया»बलूच लिबरेशन आर्मी को पहले भी घोषित किया जा चुका है आतंकी समूह, बाल-बांका नहीं बिगड़ा
    दुनिया

    बलूच लिबरेशन आर्मी को पहले भी घोषित किया जा चुका है आतंकी समूह, बाल-बांका नहीं बिगड़ा

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 13, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    क्वेटा (बलूचिस्तान) पाकिस्तान। अमेरिका के बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उसकी आत्मघाती शाखा मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी सूची में शामिल करने पर बलूचिस्तान के मुद्दों पर केंद्रित ऑनलाइन समाचार आउटलेट ‘द बलूचिस्तान पोस्ट’ ने बुधवार को विश्लेषकों के हवाले से खबर में लिखा कि इसका प्रभाव ‘प्रतीकात्मक’ होने की संभावना है। साथ ही वाशिंगटन का यह कदम इस्लामाबाद के साथ मधुर होते संबंधों और नए व्यापार समझौतों के बीच आया है, लेकिन इससे समूह के आतंकवाद पर अंकुश लगाने में कोई खास मदद नहीं मिलेगी। बीएलए का वित्तपोषण और संचालन अमेरिकी प्रतिबंधों की पहुंच से बाहर के नेटवर्कों पर आधारित है।

    द बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, बेशक अमेरिकी विदेश विभाग ने बलूच बीएलए और मजीद ब्रिगेड को अपनी विदेशी आतंकवादी संगठनों (एफटीओ) की सूची में शामिल कर लिया है पर इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित अलगाववादी समूह बीएलए को पहले भी अमेरिका ने 2019 और ब्रिटेन ने 2006 में आतंकवादी संगठन घोषित किया था। खबर के अनुसार, इस्लामाबाद के लिए यह कदम एक कूटनीतिक जीत है। लेकिन व्यावहारिक रूप से विश्लेषकों का कहना है कि इससे बीएलए की संचालन क्षमता पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।

    द बलूचिस्तान पोस्ट ने द नेटिव वॉयसेज की मूल रिपोर्ट के विवरण पर केंद्रित अपनी खबर में साफ किया है कि इस समूह का अस्तित्व दो मुख्य संसाधनों पर निर्भर करता है। वह है धन और जनशक्ति। इसका वित्तपोषण अमेरिकी या पश्चिमी स्रोतों, या औपचारिक बैंकिंग चैनलों पर नहीं, बल्कि अवैध गतिविधियों पर निर्भर करता है। बीएलए की पश्चिम में कोई प्रत्यक्ष राजनीतिक उपस्थिति नहीं है और इसके सदस्य अमेरिका या यूरोप की यात्रा नहीं करते हैं, जिससे यात्रा प्रतिबंधों या संपत्ति जब्त होने का प्रभाव सीमित हो जाता है। 2019 में इसी तरह की सूची में शामिल किए जाने से यह समूह कमजोर नहीं हुआ और मजीद ब्रिगेड को सूची में शामिल करने से इसमें कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है। कुछ मामलों में ऐसे उपाय किसी उग्रवादी समूह की छवि को भी मजबूत कर सकते हैं, जिससे वह संघर्ष में एक प्रमुख कारक बन सकता है।

    द बलूचिस्तान पोस्ट का मानना है कि यह घोषणा वाशिंगटन और इस्लामाबाद के एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के दो हफ्ते से भी कम समय बाद आई है। इसके अमेरिकी कंपनियों को संसाधन संपन्न बलूचिस्तान में पाकिस्तान के अप्रयुक्त तेल भंडार के विकास में मदद करने की अनुमति मिलने की उम्मीद है, साथ ही पाकिस्तान के निर्यात पर शुल्क भी कम किया जाएगा। यह उस दौर से भी मेल खाता है जिसे पर्यवेक्षक हाल के वर्षों में अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों के “सर्वश्रेष्ठ दौर” के रूप में वर्णित करते हैं। पाकिस्तान सरकार ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह नामांकन एक कूटनीतिक लेन-देन का हिस्सा है, जैसा कि 2019 में हुआ था, जब ट्रंप प्रशासन ने अफगानिस्तान में अमेरिका-तालिबान शांति वार्ता को सुगम बनाने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका के बाद बीएलए को काली सूची में डाल दिया था।

    विश्लेषण किया गया है कि इतिहास ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत करता है जहां वाशिंगटन ने ऐसे उपायों का इस्तेमाल निर्णायक आतंकवाद-रोधी कार्रवाइयों के बजाय राजनीतिक औजार के रूप में किया है। अमेरिका ने एक बार अफगानिस्तान के हक्कानी नेटवर्क के वरिष्ठ नेताओं पर करोड़ों डॉलर का इनाम रखा था। इनमें सिराजुद्दीन हक्कानी शामिल थे। हक्कानी अब तालिबान सरकार के गृहमंत्री हैं। इनमें अब्दुल अजीज हक्कानी और याह्या हक्कानी का नाम भी शामिल थे। बाद में अमेरिका ने चुपचाप कदम पीछे खींच लिए।

    सीरिया में अमेरिका ने हयात तहरीर अल-शाम जिसे पहले अल-नुसरा फ्रंट कहा जाता था, को एक विदेशी आतंकी समूह (एफटीओ) घोषित किया था और उसके नेता अहमद अल-शरा (अबू मोहम्मद अल-जोलानी) को पकड़ने के लिए 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था। अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में इनाम और एफटीओ का दर्जा दोनों हटा दिए गए। इस तरह के उलटफेर दर्शाते हैं कि ऐसे कदम बदलते भू-राजनीतिक हितों से जुड़े होते हैं। इसलिए बीएलए के लिए, जिसे अमेरिका या उसके सहयोगियों से न तो धन मिलता है और न ही वैधता, इस कदम से स्थायी व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना नहीं है।

    रही बात पाकिस्तान की तो वाशिंगटन का यह कदम संघीय सरकार के इस दावे को पुष्ट करता है कि बीएलए कोई स्थानीय आंदोलन नहीं है। बलूच लड़ाकों के लिए यह दशकों से चल रहे संघर्ष में उनके कथित महत्व को पुष्ट कर सकता है। वाशिंगटन की प्रतिबंध सूची से दूर बलूचिस्तान के ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों और सीमावर्ती इलाकों में असली लड़ाई जमीन, संसाधनों और राजनीतिक नियंत्रण के लिए लड़ी जाती रहेगी, चाहे अमेरिकी प्रतिबंध के साथ हो या उसके बिना।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleसोना और चांदी की घटी कीमत
    Next Article व्हाइट हाउस ने कहा- अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट में मुद्रास्फीति बाजार की उम्मीदों से बेहतर
    shivam kumar

      Related Posts

      दक्षिण कोरिया की पूर्व प्रथम महिला किम कियोन ही गिरफ्तार, पति पहले से जेल में

      August 13, 2025

      बलूचिस्तान में संदिग्ध बलूच लड़ाकों ने की नाकाबंदी, सैन्य वाहनों पर धावा, पाकिस्तान की सेना ने यात्री बसों को रोका

      August 13, 2025

      व्हाइट हाउस ने कहा- अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट में मुद्रास्फीति बाजार की उम्मीदों से बेहतर

      August 13, 2025
      Add A Comment
      Leave A Reply Cancel Reply

      Recent Posts
      • सपा विधायकों ने चौधरी चरण सिंह प्रतिमा के समक्ष दिया धरना
      • आईएमए बरेली में चुनावी सरगर्मियां तेज, 21 सितंबर को होगा मतदान
      • ‘एक शाम शहीदों के नाम’ कवि सम्मेलन 15 अगस्त को
      • तृणमूल नेता विभाष का नया कारनामा: फर्जी थाना ही नहीं, चला रहा था ‘फर्जी अदालत’ भी
      • जलपाईगुड़ी में भारी बारिश से मिट्टी की दीवार ढही, भाई–बहन की मलबे में दबकर मौत
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version