Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, August 24
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»राहुल गांधी के लिए अंतिम विकल्प है वोटर अधिकार यात्रा
    विशेष

    राहुल गांधी के लिए अंतिम विकल्प है वोटर अधिकार यात्रा

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 20, 2025Updated:August 23, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    बिहार के चुनाव परिणाम पर असर डाल सकेंगे, तो होगा बेड़ा पार
    पहले तीन दिन की यात्रा ने कोई बड़े बदलाव का संकेत नहीं दिया
    बड़ा सवाल: क्या वाकई बदल पायेंगे महागठबंधन का सियासी गणित

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बिहार में ‘वोट अधिकार यात्रा’ पर निकले हुए हैं। उनके साथ राजद नेता और बिहार में महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव भी हैं। हाल के वर्षों में राहुल की यह तीसरी यात्रा है। इससे पहले उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ निकाली थी। उन दो यात्राओं से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा था। उसकी सीटें बढ़ीं और अब एक बार फिर कांग्रेस इस उम्मीद में है कि ‘वोट अधिकार यात्रा’ से बिहार में उसकी किस्मत बदलेगी। राहुल गांधी की पहली यात्रा तो बिहार नहीं आयी थी, लेकिन ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान तेजस्वी ने राज्य में राजद के नेतृत्व को दिखाया था। अब ‘वोट अधिकार यात्रा’ के जरिये राहुल गांधी और तेजस्वी यादव उसी संदेश को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। यह यात्रा महागठबंधन के महागठबंधन का गढ़ माने जानेवाले क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। राहुल की पिछली यात्राएं महागठबंधन के चुनावी प्रदर्शन के लिहाज से सफल रहे थे। शायद उसी सफलता ने राहुल गांधी और बहुत हद तक तेजस्वी यादव को इस बार एकजुट होकर पहल करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि इस पृष्ठभूमि में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) एक सामयिक और प्रासंगिक मुद्दा बन गया। राजनीतिक दृष्टि से देखें, तो राहुल गांधी के लिए यह यात्रा उनके राजनीतिक पुनर्वास का अंतिम विकल्प है, क्योंकि यदि इस बार वह बिहार के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में सफल नहीं हो सके, तो फिर वह राजनीतिक बियाबान में जाने को मजबूर होंगे। क्या है राहुल गांधी की इस यात्रा का सियासी मतलब और तीन दिन की यात्रा का राजनीतिक असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और अब ‘वोट अधिकार यात्रा’, ये वो यात्राएं हैं, जिनमें से दो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी निकाल चुके हैं और तीसरी अब तीन दिन पुरानी हो चुकी है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को राहुल ने लोकसभा चुनाव से पहले निकाला था, तो ‘वोट अधिकार यात्रा’ को बिहार चुनाव से पहले निकाल रहे हैं। कांग्रेस ने यात्रा के प्रयोग को लोकसभा चुनाव में हिट माना था, जिसके बाद इसे बिहार विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल करने का फैसला किया गया। लेकिन बड़ा सवाल उठता है कि क्या राहुल की यह यात्रा बिहार में महागठबंधन का सियासी गणित बदल पायेगी।

    लोकसभा चुनाव को देखें, तो राहुल गांधी जिन सीटों से अपनी यात्रा के दौरान गुजरे, उनमें से 41 सीटें कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल जीतने में कामयाब रहे। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने 71 सीटों को कवर किया था, जबकि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ 82 सीटों से होकर गुजरी थी, यानी कुल 153 सीटों से होकर ये दोनों यात्राएं निकली थीं, जिसमें से इंडिया गठबंधन को 41 सीटों पर जीत मिली थी। राहुल गांधी की ये यात्राएं बिहार से होकर भी गुजरी थीं। राज्य की सात सीटों से होकर ये यात्राएं गुजरी थी। इनमें से कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी पर जीत हासिल की। ​​वहीं, उसके सहयोगियों ने दो सीटें जीतीं। कुल मिलाकर ये यात्राएं बिहार में सफल रही थीं। वहीं देश भर में भी इस यात्रा से कांग्रेस की सीटें बढ़ीं। जो पार्टी पिछले दो चुनावों से 50 का आंकड़ा भी नहीं पार कर पा रही थी, वह 2024 के चुनाव में इससे काफी आगे निकलने में सफल हुई और यहां तक कि उससे लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने का अधिकार भी मिला।

    ‘वोट अधिकार यात्रा’ से क्या बदलेगा सियासी गणित
    कांग्रेस-आरजेडी के साथ मिलकर इस बार बिहार में सत्ता परिवर्तन का सपना देख रही है। इसको हकीकत में बदलने का मोर्चा खुद राहुल गांधी ने संभाल लिया है। जन-जन को साधने के लिए वह ‘वोट अधिकार यात्रा’ पर निकले हुए हैं। राहुल की इस यात्रा का मकसद जनता को उसके वोट के अधिकार के बारे में बताना है। दरअसल कांग्रेस और राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र चुनाव में वोटों की चोरी हुई है। बिहार में मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर भी चुनाव आयोग को वह निशाने पर लिये हुए हैं। वोट चोरी पर सरकार और चुनाव आयोग को घेरने के लिए राहुल ‘वोट अधिकार यात्रा’ पर निकले हुए हैं, जो 23 जिलों से होकर गुजरेगी। इसकी शुरूआत राहुल ने सासाराम से की, जो दलितों का गढ़ है। बाबू जगजीवन राम और फिर उनकी बेटी मीरा कुमार यहीं से सांसद चुनी जाती रहीं। मुस्लिमों की तरह दलित भी बिहार में कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहा है। बिहार में दुसाध-पासी वोट के साथ अन्य दलित जातियों का 55 से 65 फीसदी वोट एनडीए के पाले में जाता रहा है, लेकिन 2024 के चुनाव में इसमें गिरावट देखी गयी है। सासाराम के बाद ये यात्रा औरंगाबाद, गया, नालंदा-नवादा तक पहुंची है। अब इसे शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, छपरा और आरा से गुजरेगी।

    23 जिलों की 50 सीटों पर यात्रा
    राहुल जिन 23 जिलों की 50 विधानसभा सीटों पर जा रहे हैं, 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने इनमें से 23 सीटें जीती थीं। कांग्रेस 50 में से 20 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से आठ सीटों पर उसे जीत मिली थी। राहुल और कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि इस यात्रा से बिहार के आसन्न विधानसभा चुनाव में बदलाव देखने को मिलेगा। लेकिन पहले तीन दिन की यात्रा से तो बदलाव का कोई खास संकेत देखने को नहीं मिला है।

    बिहार में वापसी की कांग्रेस की कोशिश
    सियासी नजरिये से देखें, तो यह दशकों में बिहार में कांग्रेस का पहला बड़ा जमीनी स्तर का आंदोलन है, जहां लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे क्षेत्रीय नेताओं के उभरने के साथ इसका राजनीतिक प्रभाव लगातार कम होता गया। दोनों ही मंडल आंदोलन की उपज हैं, जिसने 1990 के दशक में राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दिया था। पिछले 20 साल से बिहार में नीतीश कुमार सत्ता शीर्ष पर हैं। उनसे पहले लालू यादव और राबड़ी देवी ने बिहार का शासन चलाया था। इस साढ़े तीन दशक के कालखंड में कांग्रेस राज्य में सियासी रूप से हाशिये पर रही।
    अब राहुल गांधी वापसी की कोशिश में जुटे हैं। इस साल फरवरी से अब तक राहुल आठ बार बिहार का दौरा कर चुके हैं और विरोध मार्च, ‘संविधान बचाओ’ सम्मेलनों और दलित नायकों पर आधारित फिल्मों की स्क्रीनिंग सहित विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं। साथ ही उन्होंने पार्टी के राज्य नेतृत्व के साथ कई दौर की बैठकें भी की हैं।

    कैसा रहा था विधानसभा का पिछला चुनाव
    2020 में बिहार में तीन चरणों में वोटिंग हुई थी। 243 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, आरजेडी को 75, कांग्रेस को 19, भाकपा माले को 12, एआइएमएम को पांच, भाकपा को दो, माकपा को दो, बसपा को एक, हम को चार, लोकजनशक्ति पार्टी को एक, विकासशील इंसान पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली थी। राहुल की कोशिश 2020 के आंकड़े को बदलने की है। यही नहीं, वह इस बार कांग्रेस के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवारों के लिए वोट हासिल करने का भी प्रयास करेंगे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleभारत की कूटनीति विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप होनी चाहिए : राष्ट्रपति
    Next Article झारखंड के उत्तर पश्चिम जिलों में 22 को भारी बारिश की आशंका, ऑरेंज अलर्ट जारी
    shivam kumar

      Related Posts

      राजनीतिक भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ है संविधान संशोधन विधेयक

      August 23, 2025

      दिलचस्प तो है, पर अप्रत्याशित नहीं होगा उपराष्ट्रपति चुनाव

      August 22, 2025

      बिहार में इस बार धार खो चुका है विशेष राज्य के दर्जे का हथियार

      August 21, 2025
      Add A Comment
      Leave A Reply Cancel Reply

      Recent Posts
      • राजनीतिक भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ है संविधान संशोधन विधेयक
      • केनेडी सेंटर में होगा फीफा वर्ल्ड कप 2026 का ड्रॉ : ट्रंप
      • दिल्ली प्रीमियर लीग: पुरानी दिल्ली 6 के लिए अब हर मैच फाइनल जैसा
      • यूपीटी20 लीग : सिद्धार्थ की विस्फोटक पारी से गोरखपुर लायंस की लखनऊ फाल्कन्स पर धमाकेदार जीत
      • कम समय में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की : प्रधानमंत्री
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version