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    Home»विशेष»आखिर क्यों झारखंड बनता जा रहा है आतंकियों की पनाहगाह
    विशेष

    आखिर क्यों झारखंड बनता जा रहा है आतंकियों की पनाहगाह

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 11, 2025No Comments9 Mins Read
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    विशेष
    केमिकल बम बनाने वाला आतंकी आखिर क्या साजिश रच रहा था
    कभी अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट मॉड्यूल संचालित करने वाला डॉक्टर मिलता है
    झारखंड के 285 लोग आतंकी संगठनों से जुड़े हैं, सबसे अधिक 113 संदिग्ध पाकुड़ में
    33 स्लीपर सेल की पहचान, रांची, जमशेदपुर, धनबाद, लोहरदगा, हजारीबाग, गोड्डा और चान्हो में सक्रिय

    झारखंड एक बार फिर देश भर में चर्चा में है। राजधानी रांची के बीचो-बीच स्थित इस्लाम नगर के तबारक लॉज से दिल्ली पुलिस की एटीएस और रांची पुलिस ने अशर दानिश नामक एक युवक को गिरफ्तार किया है, जो खतरनाक आतंकी संगठन आइएसआइएस के मॉड्यूल का हिस्सा है। उसके पास से केमिकल बम समेत कई घातक हथियार और असलहा बरामद किये गये हैं। बोकारो निवासी यह युवक किसी खतरनाक साजिश को अंजाम देने की फिराक में था। रांची में आतंकी मॉड्यूल के पदार्फाश की यह पहली घटना नहीं है। वास्तव में झारखंड शुरू से ही आतंकियों की सुरक्षित शरणस्थली के रूप में चर्चित रहा है। 2002 में हजारीबाग के खिरगांव में पुलिस ने जब एक मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया था, तभी से ही झारखंड को आतंकी नेटवर्क के ठिकाने के रूप में चिह्नित किया गया था। मुठभेड़ में मारे गये दोनों आतंकी कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर पर हमले में शामिल थे और वारदात के बाद उन्होंने हजारीबाग में शरण ली थी। उसके बाद रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद और हजारीबाग जैसे बड़े शहरों के अलावा लोहरदगा, पाकुड़ और साहिबगंज जैसे छोटे शहरों में भी आतंकियों का ठिकाना होने की जानकारी मिली। देश के विभिन्न हिस्सों में पकड़े गये कई आतंकियों का झारखंड से बड़ा कनेक्शन मिला। इसके बाद पिछले महीने खुफिया एजेंसियों ने एक रिपोर्ट दी कि झारखंड में कम से कम 285 लोग विभिन्न आतंकी संगठनों के संपर्क में हैं। इस रिपोर्ट के बाद ही झारखंड में आतंकी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई की रूपरेखा तैयार हुई है। वहीं 22 सितंबर 2024 में झारखंड की राजधानी रांची में एक डॉक्टर नाम इश्तियाक की गिरफ्तारी हुई थी। इश्तियाक अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट मॉड्यूल को संचालितकरता था और फिदायीन दस्ता तैयार करने वाला था उसकी योजना पूरे झारखंड में आतंकवाद फैलाने की थी। क्या है आतंकियों के झारखंड कनेक्शन का पूरा मामला, बता रहे हैं आजाद सिपाही के संपादक राकेश सिंह।

    अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खनिज संपदा के लिए पूरी दुनिया में चर्चित झारखंड आज आतंकी संगठनों की गहरी पैठ के कारण सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। 10 सितंबर को रांची के इस्लाम नगर स्थित एक लॉज से आइएसआइएस आतंकी अशर दानिश की गिरफ्तारी ने एक बार फिर उस रिपोर्ट को सत्य साबित कर दिया है कि झारखंड के विभिन्न इलाकों में आतंकियों का नेटवर्क तेजी से पैर पसार रहा है। अशर दानिश पिछले कुछ दिनों से इस्लाम नगर स्थित तबारक लॉज में रह रहा था। वह बोकारो के पेटरवार का निवासी है। उसके पास से केमिकल बम समेत कई घातक हथियार बरामद किये गये हैं।

    झारखंड में आतंकी नेटवर्क
    झारखंड में आतंकी नेटवर्क का पहला मामला 2002 में सामने आया था, जब हजारीबाग के खिरगांव इलाके में स्थानीय पुलिस ने दो आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। ये आतंकी उसी साल कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर हमले में शामिल थे, जिसमें 20 लोगों की हत्या कर दी गयी थी। मुठभेड़ के बाद तीन आतंकियों को गिरफ्तार भी किया गया था। इसके बाद अलग-अलग मौकों पर रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर और हजारीबाग के अलावा दूसरे जिलों में भी कई संदिग्ध आतंकी पकड़े गये। 2013 में पटना के गांधी मैदान में हुए धमाके के मामले में तो रांची के तीन आतंकियों को सजा तक हुई। इस धमाके की पूरी साजिश रांची के बाहरी इलाके में रची गयी थी। इतना ही नहीं, झारखंड के कई लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी गतिविधियों के आरोपों में गिरफ्तार किया गया।

    खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट
    अशर दानिश की गिरफ्तारी के बाद अब उस रिपोर्ट की चर्चा है, जो पिछले महीने खुफिया एजेंसियों के साथ मिल कर झारखंड एटीएस ने तैयार की है। इस रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि राज्य के 285 लोग देश और विदेश में सक्रिय प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं। जिन 285 संदिग्धों पर झारखंड पुलिस की नजर है, उनमें से सबसे अधिक 113 संदिग्ध पाकुड़ जिले से हैं, जो आतंकवाद के एक नये गढ़ के रूप में उभर रहा है। यह खुलासा न केवल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था के लिए चिंताजनक है, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है। रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 285 लोग विभिन्न प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इनमें इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम), स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया (सिमी), लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट (एक्यूआइएस), इस्लामिक स्टेट (आइएसआइएस), पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआइ), जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हिज्ब उत-तहरीर जैसे संगठन शामिल हैं। रिपोर्ट में इन संदिग्धों की पूरी जानकारी एकत्र की गयी है, जिसमें उनके नाम, पता, पिता का नाम, मोबाइल नंबर और अन्य महत्वपूर्ण विवरण शामिल हैं। इनमें से कई व्यक्ति पहले आतंकी घटनाओं में संलिप्तता के आरोप में जेल जा चुके हैं या जमानत पर रिहा हुए हैं। एटीएस ने इनकी गतिविधियों पर सतत निगरानी रखने के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत किया है।

    पूरे राज्य में फैला है आतंकी नेटवर्क
    रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि पाकुड़ जिला आतंकी गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। कुल 285 संदिग्धों में से 113 पाकुड़ से हैं, जो कुल आंकड़े का लगभग 40% है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि पाकुड़ में आतंकी संगठनों ने अपनी गतिविधियों को तेजी से बढ़ाया है। पाकुड़ के अलावा, साहिबगंज में 65, रांची में 49, जमशेदपुर में 22, हजारीबाग में 17, रामगढ़ में छह, लोहरदगा में पांच, गढ़वा में तीन और बोकारो, खूंटी, लातेहार, चतरा और गोड्डा में एक-एक संदिग्ध की पहचान की गयी है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आतंकी संगठनों ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अपने नेटवर्क को फैलाया है।

    धनबाद के वासेपुर से धराये पांच आतंकी
    धनबाद का वासेपुर, जो पहले माफिया और आपराधिक गतिविधियों के लिए बदनाम था, अब आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल का गढ़ बन गया है। 26 अप्रैल 2025 को झारखंड एटीएस ने वासेपुर में छापेमारी कर हिज्ब उत-तहरीर के चार संदिग्धों गुलफाम हसन (21), आयान जावेद (21), शबनम परवीन (20) और मोहम्मद शहजाद आलम (20) को गिरफ्तार किया। बाद में शबनम की निशानदेही पर पांचवें संदिग्ध अम्मार यासर को भी पकड़ा गया, जो पहले इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़ा था।

    अलकायदा का झारखंड मॉड्यूल
    22 अगस्त 2024 को दिल्ली पुलिस और झारखंड एटीएस ने रांची के चान्हो और बरियातू से चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिनमें रेडियोलॉजिस्ट डॉ इश्तियाक अहमद प्रमुख था। जांच में खुलासा हुआ कि इश्तियाक अलकायदा इंडियन सबकांटिनेंट के झारखंड मॉड्यूल का नेतृत्व कर रहा था। उसका मकसद देश में खिलाफत की स्थापना और गंभीर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना था। डॉ इश्तियाक अहमद ने बिग कैट नाम के कोड वाले एक व्यक्ति के साथ मिलकर यह मॉड्यूल तैयार किया था। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने अलकायदा इन इंडियन सबकॉटिनेंट के झारखंड मॉडयूल से जुड़े केस में चार्जशीट दायर की थी। पूरक चार्जशीट में जिक्र था कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक दंगों की चर्चा कर जिहाद की तैयारी के लिए बिग कैट ने हथियार और गोला-बारूद खरीदने और भारत भर में आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया था।

    कटकी का प्रभाव
    डॉ इश्तियाक का अलकायदा से जुड़ाव अब्दुल रहमान कटकी के कोर ग्रुप के माध्यम से हुआ। कटकी, जो वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है, 2010 के बाद झारखंड के कई शहरों में सक्रिय था। वह धार्मिक तकरीरों के जरिये युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित करता था और उन्हें स्लीपर सेल में शामिल करता था। 2016 में मेवात से कटकी की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि उसने झारखंड के कई युवाओं को कटक ले जाकर जिहाद के लिए प्रशिक्षित किया था।
    इश्तियाक और अन्य संदिग्धों के पास से जब्त लैपटॉप, मोबाइल, और अन्य उपकरणों की फोरेंसिक जांच में कई अहम सुराग मिले। जांच में पता चला कि एक दर्जन से अधिक युवाओं को अलकायदा से जोड़ने की साजिश रची जा रही थी। पाकुड़ आतंकवाद का नया गढ़
    2025 में एक खुफिया पत्र ने खुलासा किया कि बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के सदस्य पाकुड़ में युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद वहां के प्रतिबंधित संगठनों ने भारत विरोधी साजिशें रचीं। जेयूएम का आतंकी अब्दुल मम्मुन मुर्शिदाबाद के रास्ते पाकुड़ पहुंचा था और उसने जेएएच नामक संगठन के सदस्यों को प्रशिक्षित किया। पाकुड़ मामले के बाद झारखंड एटीएस ने सभी जिलों के एसपी और डीआइजी को गोपनीय जांच के लिए पत्र लिखा। एटीएस ने अलर्ट जारी कर संदिग्धों की तलाश तेज कर दी है।

    स्लीपर सेल: आतंक का छिपा चेहरा
    स्लीपर सेल आतंकी संगठनों का एक गुप्त नेटवर्क होता है, जो सामान्य नागरिकों की तरह जीवन जीता है और लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है। ये लोग सामान्य नौकरी या व्यवसाय करते हैं और संगठन के आदेश पर ही सक्रिय होते हैं। झारखंड में स्लीपर सेल की मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती खड़ी की है। 2025 तक कम से कम 33 स्लीपर सेल की पहचान की गयी है, जो रांची, जमशेदपुर, धनबाद, लोहरदगा, हजारीबाग, गोड्डा और चान्हो में सक्रिय हैं। आतंकी संगठन डार्क नेट और सोशल मीडिया का उपयोग कर युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित कर रहे हैं। वासेपुर के संदिग्धों ने डार्क नेट के जरिये अपने हैंडलरों से संपर्क बनाये रखा, जबकि दूसरे लोग सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे।

    आतंकी संगठनों की रणनीति
    आतंकी संगठन सामाजिक, धार्मिक, और आर्थिक मुद्दों का सहारा लेकर युवाओं को अपने जाल में फंसाते हैं। विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में, जहां शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित हैं, ये संगठन युवाओं को आसानी से प्रभावित करते हैं। पीएफआइ जैसे संगठन सामुदायिक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जबकि हिज्ब उत-तहरीर और एक्यूआइएस डार्क नेट और सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।

    भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियां
    झारखंड के घने जंगल और ग्रामीण क्षेत्र आतंकियों के लिए छिपने की जगह प्रदान करते हैं। साथ ही सामाजिक-आर्थिक असमानता और कुछ स्थानीय समुदायों का समर्थन आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। पाकुड़ और साहिबगंज जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति आतंकी संगठनों के लिए अनुकूल है। एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां खुफिया तंत्र को और मजबूत करने पर जोर दे रही हैं। डार्क नेट और सोशल मीडिया की निगरानी बढ़ायी गयी है और स्थानीय पुलिस को आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष निर्देश दिये गये हैं।

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