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    Home»विशेष»क्या मोदी सरकार का ‘बचत उत्सव’ बिहार में ‘विजयोत्सव’ में तब्दील होगा
    विशेष

    क्या मोदी सरकार का ‘बचत उत्सव’ बिहार में ‘विजयोत्सव’ में तब्दील होगा

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 24, 2025No Comments7 Mins Read
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    जाति आधारित बिहार की राजनीति में आर्थिक तड़के से भाजपा को कितना लाभ मिलेगा, देखना दिलचस्प होगा
    -वैसे गरीब और मध्यम वर्ग को सीधे राहत मिलने से विपक्ष का महंगाई वाला मुद्दा कमजोर पड़ सकता है
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी सुधार लागू कर बड़ा आर्थिक दांव खेला है। उन्होंने इसे ‘बचत उत्सव’ का नाम दिया है और नवरात्र के पहले दिन इसे लागू कर दिया है। मोदी सरकार ने जीएसटी सुधार लागू कर कर व्यवस्था को सरल और उपभोक्ता-अनुकूल बना दिया है। 28% और 12% वाले स्लैब खत्म कर दिये गये हैं और अब अधिकतर वस्तुएं सिर्फ 5% और 18% स्लैब में आ गयी हैं। वहीं विलासिता के उत्पादों पर 40% कर बरकरार रहेगा। यह बदलाव नवरात्र के पहले दिन से लागू हो गया है और इसका असर बाजार और बिहार की राजनीति, दोनों पर साफ दिखने लगा है। अब सवाल यह है कि क्या जीएसटी सुधार चुनावी हथियार साबित होगा और क्या इससे बिहार में एनडीए को फायदा मिलेगा, क्योंकि नये जीएसटी स्लैब से घरेलू और रोजमर्रा के सामानों की कीमत घट गयी है। देश में अब तक महंगाई विपक्ष का सबसे बड़ा हथियार रही है, लेकिन जीएसटी सुधार ने सरकार को फ्रंटफुट पर ला दिया है। टैक्स घटा कर मोदी सरकार ने सीधे शहरी और मध्यम वर्ग को साधने की कोशिश की है। इसका असर बिहार जैसे राज्यों में त्योहार और शादी के सीजन पर पड़ेगा और उसके जरिये चुनावी असर को और बढ़ा सकता है। भाजपा का मानना है कि जीएसटी सुधार देश के आम जनमानस के हित में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देशवासियों की सहूलियत के लिए लाया है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह बेहद लाभकारी है और सभी वर्ग के लोगों के हितों का ध्यान रखा गया है। घरेलू उत्पादों में टैक्स कम होने के कारण लोग खरीदारी अधिक करेंगे और त्योहारों में अच्छे से खरीदारी करके खुश होकर त्योहार मनायेंगे। लेकिन सवाल है कि क्या इस फैसले से शहरी वर्ग में एनडीए की पकड़ मजबूत होगी। गरीब और मध्यम वर्ग को सीधे राहत मिलने से विपक्ष का महंगाई वाला मुद्दा कमजोर पड़ सकता है। इस बात में संदेह नहीं कि जीएसटी सुधार सिर्फ आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि चुनावी मौसम का सियासी हथियार भी बन सकता है। इससे विपक्ष के महंगाई वाले मुद्दे की धार कुंद हो जायेगी और पुराना मुद्दा विपक्ष के हाथ से छिन जायेगा और बिहार में एनडीए को इसका सीधा फायदा मिलेगा। भाजपा ने ‘बचत उत्सव’ को ‘विजयोत्सव’ में बदलने की तैयारी भी कर ली है। क्या है ‘बचत उत्सव’ का सियासी पहलू और बिहार में क्या होगा इसका असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के संपादक राकेश सिंह।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने फैसले से राजनीतिक भूचाल पैदा कर दिया है। उनका यह फैसला वैसे तो आर्थिक है, लेकिन इसका राजनीतिक असर कितना अधिक पड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरा विपक्ष सकते में है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस फैसले का समर्थन करे या विरोध। पीएम मोदी का यह फैसला है जीएसटी सुधार, जिसे उन्होंने ह्यबचत उत्सवह्ण का नाम दिया है। सोमवार से शुरू हुए नवरात्र के पहले दिन से यह उत्सव शुरू हो गया है और इसका असर बाजारों पर दिखाई देने लगा है।

    आर्थिक फैसले का राजनीतिक असर
    वैसे सरकार के किसी आर्थिक फैसले का राजनीतिक असर इतनी जल्दी दिखाई नहीं देता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से जीएसटी सुधारों को लागू किया है, उसका असर तत्काल दिखने लगा है। इसलिए इसे बड़ा राजनीतिक कदम भी कहा जा रहा है। इस एक कदम से पीएम मोदी ने भाजपा की सियासी राह को आसान बना दिया है।

    बिहार में भाजपा की तैयारी
    जीएसटी सुधार से आम लोगों के जीवन में होने वाले संभावित बदलाव को भाजपा बिहार विधानसभा चुनावों में भुनाने की कोशिशों में जुट गयी है। वैसे तो पार्टी की ओर से ह्यजीएसटी बचत उत्सवह्ण के नाम पर पूरे देश में अभियान शुरू किया गया है, लेकिन बिहार के लिए खास टीम बनायी गयी है और इसमें पार्टी को अपने सहयोगी जदयू का भी सहयोग मिलने लगा है। बिहार में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की जनसंख्या कुल आबादी का एक-तिहाई से ज्यादा है। ऐसे में भाजपा को भरोसा है कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ उन तक सही से पहुंचाने से पार्टी को चुनावों में इसका फायदा मिल सकता है।

    जीएसटी पर बिहार भाजपा का खास अभियान
    बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अगले महीने की शुरूआत में ही चुनाव आयोग की ओर से तारीखों के एलान की संभावना है। भाजपा ने बिहार के लिए ह्यजीएसटी बचत उत्सवह्ण के नाम पर एक खास रणनीति तैयार की है। इसके लिए पार्टी ने पांच नेताओं की एक टीम बनायी है, जिसकी अगुवाई की जिम्मेवारी भाजपा विधायक संजीव चौरसिया को दी गयी है। उन्हें इस मेगा अभियान का संयोजक बनाया गया है।

    बीपीएल परिवारों को होने वाले फायदे पर नजर
    बिहार की 34.13 प्रतिशत आबादी बीपीएल परिवारों के दायरे में आती है। ऐसे में जीएसटी दरों में कटौती से इस वर्ग के लोगों को जो फायदा मिलने की संभावना है, उसके प्रति पार्टी की ओर से लोगों को जागरूक किये जाने की तैयारी है। पांच सदस्यीय टीम में सुरेश रूंगटा, अमृता भूषण, मनन मिश्रा और नितिन अभिषेक सह-संयोजक की भूमिका में रहेंगे। इन नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे लोगों तक जायें और जीएसटी की दरों में कटौती से आम लोगों को मिलने वाले फायदे के बारे में बतायें। बता दें कि जीएसटी दरों में सुधार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रधानमंत्री को धन्यवाद किया है और कहा है कि इसे बिहार के हर वर्ग के लोगों को लाभ मिलेगा।

    10 नेताओं को राष्ट्रव्यापी अभियान का प्रभार
    बिहार के चुनावी माहौल से इतर भाजपा इसी तरह का अभियान राष्ट्रीय स्तर पर भी शुरू कर रही है। इस पर नजर रखने के लिए भाजपा के 10 नेताओं की एक टीम बनायी गयी है। इस टीम में भाजपा मुख्यालय के प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और वरिष्ठ नेता तरुण चुघ के अलावा आठ अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। इनमें से हर नेता को तीन से लेकर पांच राज्यों तक की जिम्मेदारी दी गयी है। ये सभी नेता जीएसटी कटौती से फायदे की बात जन-जन तक पहुंचाने वाले अभियान की निगरानी करेंगे।

    भाजपा के प्रत्येक सांसद निकालेंगे पदयात्रा
    भाजपा की ओर से ह्यजीएसटी बचत उत्सवह्ण को लेकर रविवार को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से सांसदों को एक चिट्ठी जारी की गयी है। इसमें सभी सांसदों से आग्रह किया गया है कि वे 27 सितंबर तक सात दिनों के ह्यजीएसटी बचत उत्सवह्ण में भागीदारी करें। सांसदों से कहा गया कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रतिदिन दो पदयात्रा निकालें, जिसमें उनके चुनाव क्षेत्र के दो बाजार कवर हो जायें।

    विपक्ष का सवाल और भाजपा का भरोसा
    इधर केंद्र में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस पहल पर सवाल खड़े कर रही है। पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री हर सरकारी कार्यक्रम को इवेंट में बदल देते हैं। उसका आरोप है कि जिन टैक्सों को मोदी सरकार ने आठ साल पहले लगाया था, अब उन्हीं में कटौती करके ह्यबचत उत्सवह्ण का माहौल बनाया जा रहा है। उधर भाजपा को उम्मीद है कि उसका अभियान न सिर्फ जनता को जीएसटी सुधारों की जानकारी देगा, बल्कि विपक्ष के आरोपों का जवाब भी बनेगा। पार्टी का दावा है कि इस पहल से स्वदेशी आंदोलन को बल मिलेगा और चुनावी राज्य बिहार में संगठन को नयी मजबूती भी मिलेगी।

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