रांची। झारखंड के पाकुड़ जिले में बहुचर्चित पैनम कोल माइंस से जुड़े अवैध खनन और विस्थापितों के पुनर्वास के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताई।
संपत्तियों को सीज करने की चेतावनी अदालत ने पंजाब पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन को आदेश दिया है कि वह अपनी कुल चल-अचल संपत्तियों का विस्तृत ब्यौरा पेश करे। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि यदि अवैध खनन के आरोप सही साबित होते हैं, तो क्यों न कंपनी की संपत्तियों को कुर्क कर उनकी बिक्री से सरकारी राजस्व की भरपाई की जाए। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि चूंकि पंजाब पावर ग्रिड, पैनम कोल माइंस के साथ खनन कार्य में भागीदार रही है, इसलिए वह अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती।
राजस्व की हानि और विस्थापन का मुद्दा अधिवक्ता राम सुभग सिंह द्वारा दायर इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2015 में आवंटित लीज क्षेत्र से अधिक मात्रा में कोयला निकालकर राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है। साथ ही, पाकुड़ और दुमका के सैकड़ों ग्रामीणों को विस्थापित कर दिया गया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली सुनवाई 6 जनवरी को निर्धारित की है। तब तक सभी संबंधित पक्षों को अपना शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

