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    Home»Breaking News»मी टू मामलाः एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा
    Breaking News

    मी टू मामलाः एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा

    azad sipahiBy azad sipahiOctober 17, 2018No Comments5 Mins Read
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    नयी दिल्ली। मी टू के आरोपों के चलते विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मी टू के तहत एमजे अकबर पर 16 महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाये थे, जबकि 20 महिलाएं इन आरोपों के समर्थन में आयी हैं। पिछले रविवार को विदेश दौरे से लौटने के बाद अकबर ने इस्तीफा देने से इनकार किया था, बल्कि अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था।

    इस्तीफा देने के बाद एमजे अकबर ने मीडिया में अपना लिखित बयान जारी कर अपनी बात कही है। अकबर ने कहा कि उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को अदालत में चुनौती दी है। व्यक्तिगत स्तर पर भी इन गलत आरोपों का जवाब देंगे। भारत सरकार की सेवा करने का अवसर देने के लिए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और सुषमा स्वराज को धन्यवाद देते हुए कहा है कि उनके चलते मुझे देश की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसका मैं जीवन भर आभारी रहूंगा।

    अकबर के इस्तीफे के बाद आया प्रिया रमानी का बयान 

    एमजे अकबर के इस्तीफा देने के बाद उन पर सबसे पहले आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी ने ट्वीट कर कहा है कि आज मैं एक महिला के रूप में एमजे अकबर के इस्तीफे को सही तरीके से महसूस कर सकती हूं, लेकिन मुझे अभी भी उस दिन की प्रतीक्षा है, जब इसके लिए मुझे अदालत से न्याय मिलेगा। इसके पहले यौन शोषण के आरोपों से घिरे विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ पत्रकार प्रिया रमानी समेत कई महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया था। एमजे अकबर द्वारा मानहानि का केस दर्ज कराने के बाद प्रिया रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार सामने आयी थीं, जिसके बाद अकबर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। आरोप लगाने वाली ये सभी महिला पत्रकार ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकी हैं। इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही है। साथ ही, अदालत से निवेदन किया है कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाये।

    ‘आरोप लगाने वालों में अकेली नहीं हैं प्रिया रमानी…’

    मी टू के तहत एमजे अकबर के खिलाफ जारी संयुक्त बयान में दावा किया गया है कि उनमें से कुछ (महिला पत्रकारों) का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया है, जबकि कई अन्य महिलाएं भी इसकी गवाह हैं। महिला पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा है, ‘इस लड़ाई में प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं। हम मानहानि के मामले की सुनवाई कर रही अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता (एमजे अकबर) के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं (महिला पत्रकारों) की गवाही पर विचार किया जाये, जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं।

    पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई आज

    पत्रकार प्रिया रमानी के आठ अक्टूबर के एक ट्वीट के बाद से ही अकबर के खिलाफ आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ था। एमजे अकबर ने प्रिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है। इस पर गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई होगी। एमजे अकबर ने 97 वकीलों को हायर किया है, इनमें से छह पैरवी करेंगे।

    जुलाई 2016 में बने विदेश राज्यमंत्री

    मोबाशर जावेद अकबर मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। उन्हें 5 जुलाई 2016 को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह झारखंड से राज्यसभा सांसद थे। हालांकि, उन्होंने 17 जून 2016 को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्हें दोबारा मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद बनाया गया। अकबर ने 1971 में टाइम्स आॅफ इंडिया से ट्रेनी के तौर पर पत्रकारिता करियर की शुरुआत की। वे कई बड़े पत्रकारिता संस्थानों में काम कर चुके हैं। उन्होंने राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया। 1989 से 1991 के बीच कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। 2014 में वह भाजपा में शामिल हुए थे।

    इन महिला पत्रकारों ने जारी किया संयुक्त बयान

    एमजे अकबर पर मी टू के तहत ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकीं पत्रकारों जिन्होंने संयुक्त बयान पर दस्तखत किये हैं, उनमें मीनल बघेल (1993-1996), मनीषा पांडेय (1993-1998), तुषिता पटेल (1993-2000), कणिका गहलोत (1995-1998), सुपर्णा शर्मा (1993-1996), रमोला तलवार बादाम (1994-1995), होइहनु हौजेल (1999-2000), आयशा खान (1995-1998), कुशलरानी गुलाब (1993-1997), कनीजा गजारी (1995-1997), मालविका बनर्जी (1995-1998), ए टी जयंती (1995-1996), हामिदा पार्कर (1996-1999), जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार (1996-2000), सुजाता दत्ता सचदेवा (1999-2000), रेशमी चक्रवाती (1996-98), किरण मनराल(1993-96) और संजरी चटर्जी शामिल हैं। डेक्कन क्रॉनिकल की एक पत्रकार क्रिस्टीना फ्रांसिस (2005-2011) ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किये हैं।

    रिटायर्ड जजों की कमेटी नहीं, मंत्री समूह बना सकता है केंद्र

    पिछले दिनों केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि मी टू कैंपेन के तहत सामने आ रहे मामलों की जांच के लिए सरकार रिटायर्ड जजों की कमेटी बनायेगी। यह कमेटी जनसुनवाई करेगी। हालांकि, बुधवार को एक न्यूज एजेंसी की खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सरकार अब ऐसे मामलों पर गौर करने के लिए मंत्री समूह बनाने पर विचार कर रही है। यह मंत्री समूह किसी वरिष्ठ महिला मंत्री के नेतृत्व में बनेगा। यह समूह कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कानून या नियम बनाने की सिफारिशें देगा।

    एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा
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